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सोहराय पर्व को लेकर आदिवासियों में उत्साह का माहौल

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आसपास के तालाब में जाकर मछली का करते हैं शिकार

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आदिवासियों का छह दिवसीय सोहराय पर्व गुरुवार से शुरू हो जायेगा. हापड़ाम आखड़ा वांचाव समिति के जिला अध्यक्ष ज्ञानदेव टुडू ने बताया कि सप्ताह भर चलने वाले पर्व को हाथी जैसा पर्व भी कहा जाता है. इसे हाथी लोका पर्व भी कहते हैं. जिला अध्यक्ष ज्ञानदेव टुडू ने बताया कि पर्व के पहले दिन उम महा का कार्यक्रम होता है, जिसमें लोग स्नान कर गोड़टाडी में मरांग बुरू, जाहेर ऐरा में पूजा पाठ करते हैं. जिलाध्यक्ष टुडू ने बताया कि पर्व पर बहन को आमंत्रित किया जाता है. पर्व के दूसरे दिन ओड़ाक पूजा की जाती है, जिसमें संथाल समाज के लोग निज देवता की पूजा करते हैं. तीसरे दिन खुंटो महा मनाया जाता है. इस दिन लोग गांव के बीच कुली में मवेशी को बांधकर विधि-विधान पूर्वक पूजते हैं. चौथे दिन जाले महा मनाया जाता है, जहां लोग सामूहिक भोज का आनंद उठाते हैं एवं एक-दूसरे के घर जाकर मिलते जुलते हैं. पर्व के पांचवें दिन हाकु काटकम मनाया जाता है. इस दिन आसपास के तालाब में जाकर मछली का शिकार करते हैं और मछली का सेवन करते हैं. सोहराय के छठे और अंतिम दिन बेंझातुंज मनाया जाता है. इस दिन तीरंदाजी की प्रतियोगिता होती है. गांव के बीच कुली के एक खूंटे में रोटी का टुकड़ा बांधकर निशाना लगाया जाता है. तीरंदाजी में उत्कृष्ट तीरंदाज को गांव की ओर से पुरस्कृत किया जाता है. छह दिनों तक पूजन कार्यक्रम के साथ नाचगान का दौर चलता रहता है. मकर संक्रांति के दिन इस पर्व का समापन हो जाता है. क्षेत्र के भांजपुर, जगरनाथपुर, कुमर्सी, केरवार, सरैया, तरडीहा, रुपुचक, महुआसोल, तेलनी, तेलनी, बासभीठा, मांछीटाड़, ढीबाबांध, डुमरिया, गांधीग्राम, कमलडीहा, पड़वा आदि आदिवासी गांवों में सोहराय पर्व को लेकर उत्साह का माहौल है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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