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आदिवासी बहुल गांव रमड़ो की कच्ची सड़क का नहीं हो सका पक्कीकरण

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विगत 20 वर्ष पूर्व कच्ची सड़क का हुआ था निर्माण

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पथरगामा प्रखंड के मांछीटांड़ पंचायत अंतर्गत आदिवासी बहुल गांव रमड़ो तक जाने वाली मिट्टी मोरंग की कच्ची सड़क का आज तक पक्कीकरण नहीं हो सका है. पिछले कई वर्षों से गांव के मुख्य संपर्क पथ की स्थिति नारकीय हो चुकी है. बता दें कि गोड्डा-पीरपैंती मुख्य मार्ग स्थित सिदो-कान्हू मोड़ से लगभग एक किलोमीटर तक रमड़ो गांव की सड़क पर बड़े-छोटे गड्ढे की भरमार नजर आती है. वर्तमान समय में सड़क के दुर्दशा की वजह से दो पहिया वाहनों का आवागमन गांव में मुश्किल से हो पाता है. सड़क पर पैदल चलना भी एक चुनौती भरा कार्य साबित हो रहा है. लगभग 300 से अधिक जनसंख्या की आबादी वाले रमड़ो गांव के ग्रामीण प्रतिदिन सड़क की दुर्दशा का दंश झेलने को मजबूर हैं. बताया जाता है कि मिट्टी ढोने वाले ट्रैक्टर के दौड़ने की वजह से सड़क की सूरत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है. हालांकि समय-समय पर पंचायत के मुखिया की पहल पर सड़क के गड्ढों में मिट्टी की भराई भी की जाती रही है. लेकिन इससे कोई विशेष फायदा नहीं दिखाई देता है. ग्रामीणों के मुताबिक विगत 20 वर्ष पूर्व कच्ची सड़क का निर्माण हुआ था. इसके बाद से कभी सड़क पर अच्छे तरीके से मरम्मत का कार्य नहीं कराया गया. स्थानीय ग्रामीण मोतीलाल टुडू, मनोज मुर्मू, प्रेम मुर्मू, अनिल मुर्मू, सुनिराम मरांडी आदि ने बताया कि रमड़ो गांव की सड़क पर विगत 11 वर्ष पूर्व मिट्टी मोरन से भराई का कार्य हुआ था. इसके बाद से आज तक सड़क की मरम्मत नहीं करायी गयी है. बताया कि रात के वक्त सड़क के गड्ढे में गिरकर अक्सर ग्रामीण चोटिल हो जाया करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि झारखंड राज्य अलग हुए इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक रमड़ो गांव की सड़क को पक्की नहीं बनाया जा सका.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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