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प्रमुख :: बोआरीजोर व सुंदरपहाड़ी में केंद्रीय जांच टीम ने की नल-जल योजनाओं की जांच

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जिले में जल जीवन मिशन के तहत करीब 12 सौ करोड़ की लागत से काम चल रहा है. विभाग के संवेदक के द्वारा घटिया कार्य करने की वजह से लोगों को बेहतर पानी नहीं मिल पा रहा है.

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योजना में व्यापक गड़बड़ी की मिल रही थी शिकायतें, सांसद की पहल पर पहुंची है टीमसुंदरपहाड़ी के कई गांवों में सोलर जलमीनार लगने के साथ ही हो गयी थी बंद

तसवीर- 01 में सुंदपहाड़ी में नल-जल योजना की जांच करती टीम. 02 सुंदरपहाड़ी गांव के चामेर की जलमीनार, 03 में पहाड़िया गांव में झरने के पानी लाते लोग. 04 में सुंदरपहाड़ी में झरना का पानी भरती महिलाएं.

संवाददाता, गोड्डा /बोआरीजोरगोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे की पहल पर जिले में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नल-जल योजना की जांच की गयी. व्यापक गडबड़ी की शिकायत को लेकर केंद्रीय जांच दल गोड्डा पहुंचकर जांच में लगा है. केंद्रीय जांच दल विभागीय सचिव के निर्देश पर जांच करने पहुंचा है. टीम में तीन सदस्य शामिल हैं. इसमें अतुल कुमार द्विवेदी, सोहनलाल सालवी व रमेश चंद्र मिश्रा हैं. सदस्यों ने बोआरीजोर प्रखंड की मेघी पंचायत के पहाड़ी क्षेत्र में आदिवासी व पहाड़िया के बीच पेयजल की स्थिति का जायजा लिया गया. पंचायत के वर्गभीठा में टीम के सदस्यों ने बोरिंग के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जांच की. सदस्यों ने दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में ग्रामीणों से मिलकर उनकी समस्या को सुना. बताया गया कि पहाड़ पर रहनेवाले लोगों को पानी की सुविधा के लिए नल के माध्यम से व्यवस्था की जा रही है. ग्रामीणों को झरने का पानी नहीं पीना पड़े. इस बात के लिए ही नल के माध्यम से पानी दिया जा रहा है. सरकार ऐसे लोगों को सुविधा देने की कोशिश कर रही है. ताकि जल स्वच्छता मिशन के तहत पीने के साफ पानी की व्यवस्था हो पाये. पेयजल स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता संजय कुमार शर्मा, जेइ आदित्य कुमार, मुखिया मनोज कुमार भी टीम का सहयोग कर रहे थे.

जिले में करीब 12 सौ करोड़ की लागत से चल रहा है काम

मालूम हो कि जिले में जल जीवन मिशन के तहत करीब 12 सौ करोड़ की लागत से काम चल रहा है. विभाग के संवेदक के द्वारा घटिया कार्य करने की वजह से लोगों को बेहतर पानी नहीं मिल पा रहा है. दूसरी तरफ सुंदरपहाड़ी की बड़ा पाकतरी पंचायत के लगभग सभी गांव में करीब चार वर्ष पहले सोलर आधारित पेयजल सुविधा देने को लेकर व्यवस्था की गयी थी. इन गांवों में छोटा चामेर, चामेर, गढ़सिमला, गढ़गामा में लगी सोलर जलमीनार महज कुछ दिनों के बाद पूरी तरह से बंद हो गयी. लोग झरने के पानी को पी रहे हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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