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आलू उत्पादन में संताल परगना में दूसरे स्थान पर गोड्डा, फिर भी किसानों के लिए अब तक एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं

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आलू के सीजन में मोटी रकम खर्च करके खेती करते हैं किसान

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संताल परगना में आलू के उत्पादन में गोड्डा का दूसरा स्थान है. जिले में किसानों के खेत में लहलहाती फसल उनके चेहरे के मुस्कान को बढ़ाता है. मगर किसान अच्छी फसल के बावजूद मन से संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं. जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र एवं करीब डेढ़ लाख किसानों की आबादी के बावजूद गोड्डा को महज एक कोल्ड स्टोरेज नहीं मिल पाया है.

क्या है उत्पादन की स्थिति

जिले के ऊपरी क्षेत्र (उसर व बलुआई लाल मिट्टी वाले क्षेत्र में) आलू की खेती बड़े तादात में होती है. पोड़ैयाहाट प्रखंड के पूर्वी क्षेत्र के अलावा पश्चिमी व सुंदरपहाड़ी के पश्चिमी क्षेत्र में गोड्डा के कझिया नदी के पूर्वी छोर के साथ-साथ महागामा व मेहरमा के किसान प्रति वर्ष करीब आठ हजार एकड़ से भी ज्यादा भूभाग में आलू की खेती करते हैं. अमूमन गोड्डा जिले से प्रतिवर्ष करीब अस्सी हजार क्विंटल के करीब आलू का उत्पादन होता है. आलू की खेती को करने वाले जिले के किसान यहां दो बार आलू लगाते हैं. पहले तो आलू सितंबर माह में लगाया जाता है. बाद में उस आलू को उखाड़ने व धान एवं दलहन आदि की फसल कटने के बाद आलू लगाते हैं. किसान अपने खेतों में मिश्रित खेती के रूप में भी आलू का उत्पादन करते हैं.

ऊंची कीमत पर खरीदते हैं आलू के बीज

जिले के किसान हर साल आलू के बीज 20 से लेकर 22 रुपये प्रतिकिलो की दर से खरीदते हैं. लाल बालू के बीज की कीमत 25 रुपये तक चली जाती है. खेती के अनुसार किसान करीब 10 से 15 हजार रुपये खर्च करते हैं, मगर किसानों के खर्च की तुलना में आलू की उपज के बाद उसे औने-पौने दामों में बेचना पड़ता है. किसानों का कहना है आलू को उखाड़ने के बाद जल्दी से बाजार में बेचना पड़ता है. अगर उसे रखा जाये, तो आलू का कलर चेंज होने के साथ-साथ खराब भी हो जाता है. आलू को केवल कोल्ड स्टोरेज में ही रखा जाता है.

गोड्डा के किसानों की मुराद 30 सालों में भी नहीं हुई पूरी

गाेड्डा के पोड़ैयाहाट से लेकर गोड्डा व महागामा अनुमंडल से जुडे किसानों की डिमांड कोल्ड स्टोरेज की रही है. इस दौरान किसानों द्वारा 30 वर्षों से कोल्ड स्टोरेज की मांग करते हुए अपने उत्पादित आलू व हरी सब्जियों के रख-रखाव को जरूरी बताया है. किसानों का कहना था कि जिस स्तर पर किसान आलू का उत्पादन करते हैं, अगर रखने की क्षमता का प्रबंधन हो जाता, तो आज जिले के किसानों के अलावा आम लोगों को कम कीमत पर ही आसानी से मिल पाता. मगर अब तक ना किसी जनप्रतिनिधि व ना ही जिले के किसी मंत्री स्तर पर ही इस मामले पर पहल की गयी है. यहां के किसान प्रति हेक्टेयर सौ क्विंटल आलू का उत्पादन करते हैं. बताते चलें कि गाेड्डा में करीब तीस वर्ष पूर्व रौतारा चौक के पास कोल्ड स्टोरेज हुआ करता था. मगर कुछ कारणों से बंद हो गया. बंद होने के बाद से अब तक किसानों के लिए दूसरा कोल्ड स्टोरेज नहीं बन पाया.

आलू कम कीमत में जाता है बंगाल, वापस ऊंची कीमत में खरीदते हैं लोग

आलू को लेकर सबसे दुखद बात है कि यहां के किसान आलू का उत्पादन करने के बाद कम कीमत पर ही आलू बेचते हैं. जनवरी से लेकर मार्च तक के सीजन में आलू को खरीदकर बंगाल के व्यापारी बंगाल ले जाते हैं. बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में उसी आलू को रखकर ऊंची कीमत पर पुन: झारखंड व गोड्डा भेजा जाता है.

किसानों सुनते जनप्रतिनिधि तो समस्या का हो जाता समाधान

जिले के किसानों में किसानों में शामिल प्रभास कुमार, श्रवण कुमार कुशवाहा आदि का कहना है कि केवल पोड़ैयाहाट के निपनिया, नुनबट्टा से लेकर करीब 20 गांव में आलू की प्रचूर खेती होती है. आलू के उत्पादन के बाद उसे कम दर पर बेचने को विवश होना पड़ता है. जिस तरह से किसान आलू को बेच देते हैं, अगर उसे कोल्ड स्टोरेज रखा जाता तो किसानों को दोगुना लाभ होता. मगर अब तक एक भी नेता व जनप्रतिनिधि इस मामले को लेकर गंभीर नहीं हैं. कहा कि आज जिस तरह से बंगाल के कारण आलू की मारामारी हो रही है, ऐसे झंझट से मुक्ति मिल जाती.‘जिले के किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज हो जाने से किसान के अलावा आलू का इस्तेमाल करने वाले आम ग्राहकों को फायदा होता. सीजन में कम कीमत पर ही किसानों को अपना उत्पादन बेचना पड़ता है. मगर बाद में उसी आलू को बंगाल के लोग अपने यहां स्टोर कर ऊंची कीमत पर बेचते हैं. गोड्डा से खरीदा गया आलू वापस ऊंची कीमत पर गोड्डा आता है. इस तरह यहां के किसानों के लिए दुखदायी है.,

– डॉ रविशंकर , कृषि वैज्ञानिकB

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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