16.1 C
Ranchi
Saturday, February 22, 2025 | 03:28 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अतीत के झरोखे से: भारत के पांचवें थल सेनाध्यक्ष रहे जयंत नाथ चौधरी का झारखंड के सरिया में था भव्य बंगला

Advertisement

1962 से 1966 तक भारत के पांचवें थल सेनाध्यक्ष रहे जयंत नाथ चौधरी का झारखंड से खास लगाव रहा है. गिरिडीह के सरिया में उनका भव्य बंगला था.

Audio Book

ऑडियो सुनें

सरिया (गिरिडीह), लक्ष्मीनारायण पांडेय: देश की आजादी के पूर्व उस समय के हजारीबाग जिले का सरिया (रेलवे स्टेशन हजारीबाग रोड) बंगाली कोठियों के मामले में काफी चर्चित रहा था. उस समय यहां की भव्य कोठियों की सुंदरता तथा उनकी क्यारियों में लगे नाना प्रकार के सुगंधित फूल बरबस लोगों का मन मोह लिया करते थे. प्रकृति की सुंदर छटा, शांत तथा स्वच्छ वातावरण के कारण इस क्षेत्र में बंगाल के कई संभ्रांत परिवार के लोगों ने अपना आशियाना बना रखा था. जहां छुट्टियां बिताने के लिए लोग चेंजर बनकर आया करते थे. उन्हीं में से एक थे जनरल जयंत नाथ चौधरी, जो उच्च शिक्षा प्राप्ति के बाद 1962 से 1966 तक भारत के पांचवें थल सेनाध्यक्ष रहे.

पद्म विभूषण जयंत नाथ चौधरी


बताया जाता है कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने कनाडा में भारत के उच्चायुक्त के रूप में (1966 से 1969 ई तक) कार्य किया था. 1962 में भारत- चीन की लड़ाई तथा 1965 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में जनरल जयंत नाथ चौधरी का महत्वपूर्ण योगदान था. जिस कारण उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण सहित कई अवार्ड देकर सम्मानित किया गया था. उनकी जीवनी के बारे में एकीकृत बगोदर-सरिया प्रखंड के प्रथम उप प्रमुख टेकलाल मंडल (वयोवृद्ध) ने बताया कि जयंत नाथ चौधरी बंगाल के एक संभ्रांत तथा कुलीन ब्राह्मण परिवार से थे. इनके पूर्वजों के नाम में चौधरी टाइटल था. डॉ रवींद्रनाथ टैगोर के निजी रिश्तेदार थे.

सरिया की आबोहवा के दीवाने थे लोग


गिरिडीह के सरिया की सुंदर आबोहवा के कारण बंगाल से सैकड़ों बंगाली परिवार ने यहां अपना आलीशान बंगला बनाया. प्रकृति प्रेमी होने के कारण उन परिवारों ने कई प्रकार के फलदार वृक्ष तथा विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों की क्यारियां लगाईं. अपने भवन तथा फल फूलों की बगीचों की देखभाल के लिए केयरटेकर रखा.इसी बीच लगभग 1940 के दशक में जयंत नाथ चौधरी ने भी सरिया के चंद्रमारणी गांव में लगभग चार बीघा जमीन खरीदी. सुंदर तथा भव्य बंगला बनवाया.चारों बगल चहारदीवारी का निर्माण करवाया. चहारदीवारी के बीच एक-एक छोटा-बड़ा गेट लगाया गया. आम, अमरूद, इमली, कटहल, लीची, चीकू, बेल, बेर, नारियल, शीशम यूकेलिप्टस, अशोक, गोल्ड मोहर आदि फलदार तथा छायादार वृक्षों का पौधारोपण किया.जूही, चंपा,चमेली,रात रानी,गुलाब,गेंदा,बेली, सदाबहार,जीनियां,उड़हुल सहित अन्य प्रकार के फूलों से बगीचों को सजावाया.भौतिक सुख-सुविधा तथा मनोरंजन के लिए बगीचे में झूले तथा कुर्सियां लगवाई. परिजनों के साथ हॉकी, बैडमिंटन, वॉलीबॉल जैसे आउटडोर गेम खेलने के लिए उस अनुसार परिसर के अंदर खेल का मैदान भी था.

छुट्टियां बिताने परिवार के साथ आते थे जयंत नाथ चौधरी


बताया जाता है कि इस भव्य बंगले में जयंत नाथ चौधरी अपनी पत्नी,पुत्र दिलीप कुमार चौधरी तथा असीम चौधरी सहित परिवार के अन्य सदस्यों के साथ छुट्टियां बिताने आया करते थे. बताया जाता है कि जनरल चौधरी के बड़े बेटे दिलीप कुमार चौधरी भी उच्च ओहदे पर कार्यरत थे. जबकि छोटा पुत्र असीम चौधरी नौकरी छोड़कर गुरुवर साधु सीताराम जी महाराज के आनंद भवन आश्रम की शाखा ऋषिकेश में संत बन गए. जे एन चौधरी के शांतिकुंज नामक इस भव्य भवन तथा चित्ताकर्षक बगीचे की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी.

बंगले की सुंदरता खरीददार ने रखी है संभालकर


बगीचे को देखने के लिए हजारीबाग,कोडरमा,गिरिडीह जैसे जगहों से दूर-दूर से लोग आते थे.उनके सुंदर बगीचे में फिल्मी कलाकारों द्वारा कई बार शूटिंग भी ली गई है.बताया जाता है कि समय एवं परिस्थिति के अनुसार सरिया से धीरे-धीरे बंगाली परिवार ने अपना आशियाना समेटना शुरू कर दिया.अपनी अचल संपत्ति बेचकर हुए पश्चिम बंगाल लौटने लगे. इसी कड़ी में जे एन चौधरी के परिजनों द्वारा भी बीते वर्ष 2014 ई में स्थानीय लोगों के हाथ शांति कुंज नामक अपने उस बंगले को बेच दिया.जिसे खरीददार लोगों ने परती जमीन को टुकड़े-टुकड़े कर बेच दिया, जबकि उस बंगले की सुंदरता आज भी खरीदार ने संभाल कर रखी है.

Also Read: सरिया में गुलाब कोठी के नाम से मशहूर कुमार आश्रम में आजादी के दीवाने बनाया करते थे योजना

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें