विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर पारसनाथ कॉलेज सभागार में बुधवार को राष्ट्रीय सेवा योजना ने संगोष्ठी का आयोजन किया. संगोष्ठी की शुरुआत प्राचार्य डॉ मनोज मिश्रा, उप प्राचार्य यशवंत सिन्हा व एनएसएस के कार्यक्रम समन्वयक डॉ शशि भूषण ने किया. डॉ भूषण ने कहा कि विश्व खाद्य दिवस पूरे विश्व में 16 अक्तूबर को मनाया जाता है. कोई भूखा ना रहे और पूर्ण रूप से पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध हो, इसके लिए जन जागरूकता अभियान चलाकर आमलोगों को लाभान्वित किया जाता है. भारत में भी कोई व्यक्ति भूखे ना रहे, इसके प्रति सरकार गंभीर है. जरूरतमंदों के लिए मुफ्त अनाज की व्यवस्था की गयी है. डॉ मिश्रा ने कहा कि भारत के सभी नागरिक को उतना ही भोजन लेना चाहिए, जितना उन्हें जरूरत है. भोजन की बर्बाद नहीं करें. वहीं, प्रो गौतम कुमार सिंह ने कहा कि भारत प्रतिवर्ष खाद्य दिवस के अवसर पर नयी थीम के साथ कार्य करती है. इसके तहत जलवायु परिवर्तन के साथ जैविक कृषि कार्य को बढ़ावा देने के लिए भी किसानों को जागरूक किया जाता है. किसान उन्नत बीच लगाकर आज देश के सभी नागरिकों को पूर्ण पोषणयुक्त अनाज उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं. प्रो रीतलाल प्रसाद वर्मा ने कहा कि ग्लोबल हंटर इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में भुखमरी की एक बड़ी समस्या है. 127 देश में भुखमरी के मामले में भारत का स्थान 105 वां है. इससे से निपटने के लिए भारत के हर व्यक्ति को विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर संकल्प के साथ कार्य करना होगा. मो इसरायल, योगेश प्रसाद आदि ने भी संबोधित किया. मौके पर संगीता कुमारी, मधु जायसवाल, प्रियंका कुमारी, सपना सिन्हा, कुबेर प्रसाद, डेगलाल महतो समेत अन्य प्राध्यापक, विद्यार्थी काजल, पीहू, उर्मिला, मनीषा, गीता,प्रकाश आदि उपस्थित थे.
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