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Jharkhand Assembly Election: सुखाड़ व पलायन का दंश झेल रहा गढ़वा, 1980 के बाद नहीं जीत पायी कांग्रेस पार्टी

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Jharkhand Assembly Election: झारखंड के गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में सुखाड़ और पलायन आज भी चुनावी मुद्दा है. इस सीट पर 1980 के बाद कभी भी कांग्रेस को जीत नहीं मिली.

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Jharkhand Assembly Election|गढ़वा, विनोद पाठक : गढ़वा विधानसभा सीट वर्ष 1952 में अस्तित्व में आयी. इस सीट पर शुरुआत में 20 वर्ष तक कांग्रेस का कब्जा रहा. 1980 के बाद इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का कब्जा रहा. वर्ष 2019 में पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने इस सीट पर जीत दर्ज की.

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पलायन, सुखाड़ और बेरोजगारी अब भी क्षेत्र की मुख्य समस्या

पलायन, सुखाड़ और बेरोजगारी अब भी इस क्षेत्र की मुख्य समस्या बनी हुई है. वर्ष 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के राजकिशोर सिन्हा पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद 1957 में कांग्रेस की राजेश्ववरी सरोज दास जीतीं. 1962 में स्वतंत्र पार्टी के गोपीनाथ सिंह ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली, लेकिन 1967 में लक्ष्मी प्रसाद ने इस सीट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस को यह सीट वापस दिला दी.

1977 में जनता पार्टी की लहर में कांग्रेस से छिन गई गढ़वा सीट

1972 के चुनाव में अवध किशोर तिवारी ने जीत दर्ज कर कांग्रेस की यह सीट बरकरार रखी. 1977 में जनता पार्टी की लहर में गढ़वा विधानसभा सीट कांग्रेस से छिन गई. 1980 में युगल किशोर पांडेय ने जीत दर्ज कर एक बार फिर यह सीट कांग्रेस की झोली में डाल दी. इसके बाद कांग्रेस इस सीट पर फिर कभी नहीं जीत सकी. यद्यपि इसके बाद भी कांग्रेस की पकड़ यहां बहुत कमजोर नहीं हुई थी.

Garhwa Samharnyalay
गढ़वा समाहरणालय का एरियल व्यू.

भाजपा के गोपीनाथ सिंह से 300 वोट से हारे थे युगल किशोर पांडेय

1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी युगल किशोर पांडेय भाजपा के गोपीनाथ सिंह से महज कुछ वोटों के अंतर (करीब 300) से हार गए थे. इसके बाद कांग्रेस पार्टी की ऐसी कमजोर स्थिति बनी कि वह बदले राजनीतिक हालात में चुनाव लड़ने की बजाय गठबंधन धर्म का पालन करने तक सिमट कर रह गयी है.

सबसे ज्यादा 4 बार राजद का रहा गढ़वा विधानसभा सीट पर कब्जा

गढ़वा सीट पर कांग्रेस के बाद सर्वाधिक 4 बार राजद का कब्जा रहा है. राजद ने यहां 1993 (उप-चुनाव), 1995, 2000 और 2005 में लगातार जीत दर्ज की. इन सभी चुनावों में राजद से गिरिनाथ सिंह यहां से विजयी रहे. भाजपा ने यह सीट 1985, 1990 और 2014 में तीन बार जीती है. दिलचस्प बात है कि भाजपा के टिकट पर 1985 और 1990 दोनों बार गिरिनाथ सिंह के पिता गोपीनाथ सिंह विजयी हुए थे.

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30 साल तक गिरिनाथ सिंह के परिवार ने किया गढ़वा का प्रतिनिधित्व

इस तरह इस सीट पर अब तक सबसे ज्यादा 30 साल तक (स्वतंत्र पार्टी, भाजपा व राजद मिलाकर) गिरिनाथ सिंह के परिवार का कब्जा रहा है. इस परिवार से वर्ष 2009 में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के टिकट पर सत्येंद्रनाथ तिवारी ने यह सीट छीन ली थी. वर्ष 2014 के चुनाव में बतौर भाजपा प्रत्याशी उन्होंने जीत हासिल की और लंबे अंतराल (1990 के बाद) के बाद इस सीट को वापस भाजपा की झोली में डाल दी.

Jharkhand Assembly Election 2024 Photo 1
Jharkhand assembly election: सुखाड़ व पलायन का दंश झेल रहा गढ़वा, 1980 के बाद नहीं जीत पायी कांग्रेस पार्टी 6

2019 में पहली बार झामुमो के मिथिलेश कुमार ठाकुर जीते

वर्ष 2019 के चुनाव में झामुमो प्रत्याशी मिथिलेश कुमार ठाकुर ने यहां से जीत दर्ज की. झामुमो को पहली बार गढ़वा सीट पर जीत मिली. पहली बार विधायक बनने वाले मिथिलेश कुमार ठाकुर को हेमंत सोरेन, चंपाई सोरेन और फिर हेमंत सोरेन की कैबिनेट में मंत्री बनाया गया. इस सीट पर भाजपा और झामुमो के बीच राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई जारी है.

विकास की नयी गाथा लिखने का काम किया : मिथिलेश

Mitihilesh Thakur Jmm

गढ़वा के वर्तमान विधायक सह झारखंड सरकार के मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर कहते हैं कि उनके साढ़े चार साल के कार्यकाल में हर क्षेत्र में विकास हुआ है. गढ़वा में स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पेयजल, शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की बात हो अथवा सरकारी योजनाओं को धरातल पर मजबूती से उतारने की, गढ़वा में अभूतपूर्व कार्य हुए हैं. सभी क्षेत्रों में अच्छी सड़कों और पुल-पुलिया का निर्माण हुआ है. आवागमन की व्यवस्था दुरुस्त हुई है. गढ़वा शहर के लिए फोरलेन बाइपास के काम को गति दिलाई. शहर के लिए सुंदर नगर भवन, बिरसा हेलीपैड उद्यान, पाइप जलापूर्ति योजना, बिजली के लिए तरसते गढ़वावासियों के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति, नया समाहरणालय, सभी चौक-चौराहों का सौंदर्यीकरण करवाया. अभी कई महत्वाकांक्षी योजनाएं पाइपलाइन में हैं, जिन्हें वह वर्तमान विधानसभा चुनाव के पूर्व धरातल पर उतारने के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं.

गढ़वा शहर का विस्तार अधिकांशत: कल्याणपुर पंचायत में हो रहा है. पर वहां बस रहे लोगों को बिजली, सड़क, नाली आदि की व्यवस्थित सुविधा नहीं है. आनेवाले दिनों में आबादी के और बढ़ने पर इस इलाके में गंभीर समस्या उत्पन्न होगी.

अनिल विश्वकर्मा, समाजसेवी, कल्याणपुर

विकास के नाम पर सिर्फ लूट हुई है : सत्येंद्रनाथ

पूर्व विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी कहते हैं कि गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में पिछले साढ़े चार साल में विकास के नाम पर सिर्फ लूट हुई है. विकास योजनाओं में कमीशन बढ़ गया. ठेकेदारी सिर्फ मंत्री के करीबी लोग कर सकते हैं. गरीब आदमी को बालू नहीं मिल रहा है और मंत्री के लोग यहां के बालू को बाहर बेच रहे हैं. बालू के अभाव में गरीब जनता का घर नहीं बन पा रहा है. कानून-व्यवस्था का मजाक बनकर रह गया है. केंद्र सरकार की योजनाओें को अपना बताकर विकास के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. फोरलेन बाइपास हो या हटिया ग्रिड से बिजली आपूर्ति अथवा सोन-कनहर पाइपलाइन योजना, सब केंद्र की योजना है. मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर की तुष्टीकरण के चलते फोरलेन बाइपास का कार्य अब तक लंबित है. पेयजल एवं सिचांई योजनाएं भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयीं हैं.

Satyendra Nath Tiwary Bjp

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टंडवा दानरो नदी पुल पर सिंगल पुल होने से अक्सर जाम की समस्या बनी रहती है. यह पुल भी जर्जर हो गया है. इस पुल से झारखंड के अलावा छत्तीसगढ़, बिहार व यूपी के लिए सैकड़ों यात्री वाहन व मालवाहक वाहन गुजरते हैं.

दीपक तिवारी, रंका रोड, गढ़वा

एक्सपर्ट बोले

Diwakar Tiwary

समाजसेवा के क्षेत्र में कार्य करनेवाले दिवाकर तिवारी कहते हैं कि वर्तमान गढ़वा विधायक सह पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर का कार्यकाल गढ़वा विधानसभा के लिए परिवर्तन वाला कार्यकाल रहा. विकास के पैमाने पर ढांचागत कार्य को धरातल पर उतारने और लंबित योजनाओं को पूर्ण कराने में वर्तमान जनप्रतिनिधि सफल हुए हैं. कुछ योजनाएं जैसे शहरी पेयजलापूर्ति योजना एवं बाइपास सड़क का नहीं बन पाना एक चुनौती है. शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में काफी कुछ करने की जरूरत है. स्वास्थ्य सुविधाएं अब भी गढ़वा के लिए चुनौती बनी हुई हैं. औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए एक मास्टर प्लान की जरूरत है. इस पर कार्य नहीं हो पाया है. इससे पलायन का दंश झेल रहे गढ़वा को कुछ राहत मिल सकती है.

गढ़वा शहर में वाहन पार्किंग की व्यवस्था नहीं है. इस कारण अक्सर मुख्य मार्ग पर जाम की समस्या रहती है. बाहर से बाजार करने आनेवाले लोग अपने वाहन की पार्किंग को लेकर परेशान रहते हैं. चारपहिया वाहन व टेंपो के लिए कोई स्टैंड नहीं है.

विनोद कमलापुरी, समाजसेवी, मेनरोड गढ़वा

गढ़वा विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे

  • गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में पाइपलाइन से सिंचाई एवं जलापूर्ति योजना को जल्द पूरा कराना.
  • शहर के लिए रिंग रोड बनवाकर सड़क को जाम से मुक्ति दिलाना.
  • एक बेहतर व अंतर्राज्यीय स्तर के बस स्टैंड का निर्माण कराना.
  • शहर की विलुप्त हो रही नदियों दानरो व सरस्वतिया को अतिक्रमण व गंदगी से मुक्त कराकर उनका सौंदर्यीकरण.
  • जिला मुख्यालय के शिक्षण संस्थानों की स्थिति सुधारना, छात्र-छात्राओं के लिए प्राथमिक व उच्च शिक्षा के लिए बेहतर वातावरण तैयार करना.
  • उद्योगों की स्थापना कर युवाओं को रोजगार देना व पलायन को रोकना.

2009 के चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामप्राप्त वोट
सत्येंद्रनाथ तिवारीझाविमो50474
गिरिनाथ सिंहराजद40412

2014 के चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामप्राप्त वोट
सत्येंद्रनाथ तिवारीभाजपा74638
गिरिनाथ सिंहराजद53128

2019 के चुनाव परिणाम

उम्मीदवार का नामपार्टी का नामप्राप्त वोट
मिथिलेश ठाकुरझामुमो106681
सत्येंद्रनाथ तिवारीभाजपा83159



गढ़वा विधानसभा के अब तक के विधायक

चुनाव का वर्षविधायक का नामपार्टी का नाम
1952राजकिशोर सिन्हाकांग्रेस
1957राजेश्वरी सरोज दासकांग्रेस
1962गोपीनाथ सिंहस्वतंत्र पार्टी
1967लक्ष्मी प्रसादकांग्रेस
1972अवध किशोर तिवारीकांग्रेस
1977विनोद नारायण दीक्षितजनता पार्टी
1980युगल किशोर पांडेयकांग्रेस
1985गोपीनाथ सिंहभाजपा
1990गोपीनाथ सिंहभाजपा
1993गिरिनाथ सिंहराजद
1995गिरिनाथ सिंहराजद
2000गिरिनाथ सिंहराजद
2005गिरिनाथ सिंहराजद
2009सत्येंद्रनाथ तिवारीझाविमो
2014सत्येंद्रनाथ तिवारीभाजपा
2019मिथिलेश कुमार ठाकुरझामुमो

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