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Ghatshila News : 85 लाख के ट्रॉमा सेंटर को चार साल से उद्घाटन का इंतजार

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घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में बना है भवन, नहीं मिल रहा लाभ, चिकित्सक और कर्मचारियों के पद तक सृजित नहीं

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अजय पाण्डेय, घाटशिला

घाटशिला अनुमंडल अस्पताल परिसर में लगभग 85 लाख रुपये की लागत से बना ट्रॉमा सेंटर (अभिघात केंद्र) चार साल से उद्घाटन के इंतजार में है. सेंटर में अबतक स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सक व कर्मचारियों का पद सृजन नहीं किया है. ट्रॉमा सेंटर में फिलहाल न रूई है, न सूई. अनुमंडल अस्पताल के रूई, सूई और अन्य चीजों का इस्तेमाल ट्रॉमा सेंटर में इलाजरत मरीजों के लिए किया जाता है.

टीबी के मरीज नहीं रहने से खाली रहता है बेड

ट्रामा सेंटर के 10 बेड पर टीबी के मरीजों का इलाज होता है. टीबी मरीज नहीं रहने पर बेड खाली रहता है. बेड पर धूल जमी रहती है. सेंटर के बाहर बेड पर झाड़ू और अन्य सामान रखे गये हैं. हालांकि, ट्रॉमा सेंटर की सफाई अनुमंडल अस्पताल में बहाल स्वास्थ्य कर्मचारी प्रतिदिन करते हैं. ट्रॉमा सेंटर भवन बनकर वर्ष 2020 में तैयार हुआ था. कोरोना काल में ट्रॉमा सेंटर को स्वास्थ्य विभाग ने कोरेंटिन सेंटर बनाया था. बाद में टीबी के मरीजों का इलाज होने लगा है.

अनुमंडल अस्पताल में डॉक्टर व कर्मी की कमी

अनुमंडल अस्पताल सूत्रों का कहना है कि सब डिविजनल हॉस्पिटल में चिकित्सक और कर्मचारियों की घोर कमी है. ऐसे में ट्रॉमा सेंटर में चिकित्सक और कर्मचारियों की बहाली कैसे हो सकती है.

ट्रॉमा सेंटर बनने के बाद एनएच पर दुर्घटना में 50 लोगों की जान गयी

ट्रॉमा सेंटर के पास राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 18 है. ट्रॉमा सेंटर बनने के बाद एनएच पर लगभग 50 से अधिक लोगों ने दुर्घटना में जान गंवायी है. इसके बावजूद सेंटर में चिकित्सक और कर्मचारियों की बहाली की दिशा में पहल शुरू नहीं हुई है.

शिलापट्ट पर उद्घाटन की तिथि अंकित नहीं

अभिघात केंद्र के बाहर मुख्य द्वार पर शिलापट्ट लगाया गया है. शिलापट्ट पर सांसद विद्युत वरण महतो, विधायक रामदास सोरेन, विधायक समीर कुमार मोहंती के नाम अंकित हैं. शिलापट्ट पर उद्घाटन की तिथि खाली है.

…कोट…

ट्रॉमा सेंटर में अबतक स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सक और कर्मचारियों का पद सृजन नहीं किया है. सेंटर के बेड पर टीबी मरीजों का इलाज होता है, ताकि भवन और बेड को सही ढंग से रखा जा सके. सेंटर में इलाजरत मरीजों को दवा समेत अन्य चीजें अनुमंडल अस्पताल के जरिये ही उपलब्ध कराया जाता है. किचन गार्डन में साग-सब्जियां लगायी जायेंगी. झाड़ियों की सफाई करायी जायेगी.

– डॉ आरएन सोरेन, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, घाटशिला.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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