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आदिवासी समाज भाषा, संस्कृति और रीति-रिवाजों को संरक्षित करे : डॉ जानुम सिंह सोय

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पहाड़ पर बसे लखाइडीह में आश्रम पूजा हुई, तीन राज्यों से लोग पहुंचे, बिना शिक्षा के आदिवासी समाज का विकास मुश्किल

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डुमरिया. पहाड़ पर बसे लखाइडीह में आश्रम पूजा हुई, तीन राज्यों से लोग पहुंचे- बिना शिक्षा के आदिवासी समाज का विकास मुश्किल

डुमरिया.

डुमरिया प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र जंगल की गोद में बसे लखाइडीह गांव में मंगलवार को पूर्णिमा पर ऑल इंडिया सरना धर्म चेमेद आसड़ा ने धूमधाम से आश्रम पूजा की. यहां सरना धर्म के अनुयायियों के साथ अन्य लोग भी पहुंचे थे. हजारों की संख्या में विभिन्न क्षेत्र से लोग पूजा करने पहुंचे. आयोजन के सूत्रधार लखाइडीह के ग्राम प्रधान कान्हूराम टुडू रहे. मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ जानुम सिंह सोय व पद्मश्री छुटनी महतो उपस्थित रही. अतिथियों का स्वागत पारंपरिक नृत्य व गाजे-बाजे के साथ हुआ. पद्मश्री जानुम सिंह सोय ने कहा कि ऐसा आयोजन सराहनीय है. इसमें संस्कृति, प्रकृति व भाईचारा समाहित है. इसकी अलग अनुभूति है. आदिवासी समाज अपनी भाषा, संस्कृति, रीति-रिवाजों व प्रथाओं को संरक्षित करे. अपनी मातृभाषा व अपनी संस्कृति का ज्ञान होना जरूरी है. आदिवासी समाज के लोगों को अधिक से अधिक पढ़ाई कर शिक्षित समाज बनाने की जरूरत है. बिना शिक्षा के समाज का विकास मुश्किल है. हम गौरवान्वित हैं कि लखाइडीह शिक्षा के मामले में जागरूक है.

गांवों से डायन कुप्रथा को खत्म करें : छुटनी महतो

पद्मश्री छुटनी महतो ने कहा कि शिक्षा और जागरूकता बहुत जरूरी है. ग्रामीण क्षेत्रों में डायन कुप्रथा है. हमें लोगों को जागरूक कर इसे खत्म करना है. इसमें गरीब, विधवा माता- बहनें अपनी जान गंवाती हैं. आप सभी इस दिशा में लोगों को जागरूक करें. पता चला कि लखाइडीह नशा मुक्त गांव है, तो काफी खुशी हुई. जानुम सिंह सोय ने लखाइडीह के शिक्षको से मिलकर उनका हौसला बढ़ाया.

ओडिशा व बंगाल से भी अनुयायी पहुंचे थे

आश्रम पूजा के लिए आस पास के क्षेत्र व ओडिशा तथा पश्चिम बंगाल से काफी संख्या में अनुयायी पहुंचे थे. यहां खाने व रहने की उचित व्यवस्था की गयी थी. चारों ओर साल का हरा-भरा जंगल होने के कारण चिलचिलाती धूप में लोग शांति से कतारबद्ध होकर पूजा करते रहे. कान्हूराम टुडू ने रीति-रिवाज से पूजा करायी. मौके पर मुखिया सुरेन्द्र हेंब्रम, बीडीओ निलेश कुमार, गायक शिमाल टुडू आदि उपस्थित थे.

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