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East Singhbhum : मुसाबनी में सड़क किनारे बांस की डोल बना मौसमी रोजगार कर रहा मादुली परिवार

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धान कटनी की शुरुआत से मकर तक होती है कमाई, दिनभर धूप में काम करते हैं, सरकारी भवनों में गुजारते हैं रात, हर साल पश्चिम बंगाल के तपासिया से मुसाबनी में आता है परिवार, मौसमी रोजगार के कारण खुशी पूर्वक मकर मना पाता है पूरा परिवार

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मुसाबनी. मुसाबनी के केंदाडीह में सड़क किनारे चंदू मादुली और उसके बड़े भाई सूर्य मादुली का परिवार बांस से बडे़ आकार की टोकरी (डोल) बना रहे हैं. उक्त डोल धान रखने के काम में आता है. इसमें परिवार की महिलाएं और बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं. चंदू मादुली का परिवार बरसोल से सटे पश्चिम बंगाल के तपासिया का रहने वाला है. उन्होंने कहा कि यह पुश्तैनी धंधा है. प्रत्येक वर्ष धान कटनी की शुरुआत में काली पूजा के बाद परिवार के साथ यहां आते हैं. मकर तक यहां रहकर बांस की डोल बनाते हैं. डेढ़ से दो माह में कमाई हो जाती है. इससे परिवार मकर संक्रांति का पर्व खुशी पूर्वक मानता है. बांस खरीद कर परिवार के लोग एक दिन में सुबह से शाम तक मेहनत कर एक डोल बना लेता है. एक डोल डेढ़ से 2 हजार रुपये में बिक्री होती है. यह उनका मौसमी रोजगार है.

पहले की तुलना में घटी डोल की मांग

चंदू मादुली के मुताबिक पहले की तुलना में धान रखने के लिए बांस से बने डोल की मांग घट गयी है. किसान प्लास्टिक के बोरों का उपयोग कर रहे हैं. वहीं, कई किसान खेत में ही मशीन से धान झाड़ कर उसे बोरों में भरकर सीधे बेच देते हैं. इस ठंड के मौसम में आसपास के सरकारी भवनों के बरामदे में मादुली परिवार के लोग रात गुजारते हैं. दिनभर धूप में बैठकर काम करते हैं.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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