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Ghatshila News : धनकटनी शुरू, चुनाव के कारण नहीं खुला धान क्रय केंद्र, किसान परेशान

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घाटशिला अनुमंडल में महिलाएं सुबह से खेत चली जा रही है, भाजपा ने 3100 और झामुमो ने 3200 रुपये प्रति क्विंटल दाम देने की घोषणा की है, पिछले वर्ष राज्य सरकार ने बोनस समेत 2300 रुपये प्रति क्विंटल दिया था

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मो.परवेज. घाटशिला अनुमंडल के सभी प्रखंडों में काली पूजा, बांदना व सोहराय पर्व के बाद धान कटनी शुरू हो गयी है. सुबह से ग्रामीण धान कटनी में जुट जा रहे हैं. धान कटनी दिसंबर तक चलेगी. दूसरी ओर, सरकारी अमला चुनाव में व्यस्त है. धान खरीद केंद्र खोलने की सुगबुगाहट भी नहीं है. पिछले साल 15 दिसंबर को जिले में 41 केंद्रे खोले गये थे. इस बार चुनाव में धान खरीद का मुद्दा छाया रहा. भाजपा ने 3100 रुपये, तो झामुमो ने 3200 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने की घोषणा की है. 23 नवंबर को मतों की गिनती के बाद जिसकी सरकार बनेगी, उन्हें किसानों से किये वादे को पूरा करना होगा. पिछले साल राज्य सरकार ने किसानों को धान का समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल बोनस समेत 2300 रुपये दिये थे.

पिछले साल जिले में 5,742 किसानों ने छह लाख क्विंटल धान बेचा था

पूर्वी सिंहभूम के लैंपस समेत जिले के कुल 41 केंद्रों में पिछले साल 5,742 किसानों से छह लाख क्विंटल धान की खरीद हुई थी. सरकार ने किसानों के बैंक खाते में 1.32 अरब रुपये का भुगतान दो किस्तों में किया था. इस वर्ष चुनावी मौसम होने के कारण किसानों को इंतजार करना पड़ेगा. इस बार समर्थन मूल्य बढ़ने से किसानों की संख्या और बढ़ेगी.

जिले में 22,867 किसान निबंधित, ज्यादातर किसान बंटाई में करते खेती

जिले में 22,867 किसान निबंधित हैं. पिछले साल 5442 किसानों ने केंद्र में जाकर धान बेचा. इसकी बड़ी वजह है कि अधिकतर छोटे और मध्यम दर्ज के किसान बंटाई में खेती करते हैं. बड़े जमींदारों से जमीन बंटाई (लीज) में लेकर खेती करते हैं. जमीन का कागज असल मालिक के पास है. इससे बंटाई में खेती करने वाले किसानों को सरकारी समर्थन मूल्य का हक नहीं मिल पाता है.

डर-डर कर धान काट रहे किसान, कब मौसम बदल जाये कहना मुश्किल

घाटशिला, गालूडीह समेत अन्य क्षेत्र में किसान डर-डर कर धान काट रहे हैं. कहते हैं कब मौसम बदल जायेगा, कहना मुश्किल है. अभी बारिश हुई, तो पक कर तैयार धान बर्बाद हो जायेगा. धान काट कर किसान खेत में रखते हैं. चूंकि झाड़कर बोरे में भरना जल्द नहीं होता. धान अच्छी तरह सूख जाने के बाद बोरे में भरते हैं. तबतक मौसम ठीक रहता तो किसानों को फायदा मिलता. अगर मौसम बिगड़ा तो सब बर्बाद हो जाता है. किसान कहते हैं धान कटाई के लिए मजदूर नहीं मिलते हैं. अधिकतर किसान अब मशीन का प्रयोग करने लगे हैं. कुछ बड़े किसान बंगाल से धान काटने वाले मजदूरों को बुलाते हैं. ट्रेन से गालूडीह स्टेशन आते हैं और किसान गाड़ी से अपने गांव खेत ले जाते हैं. उसके बाद ट्रेन के समय में स्टेशन पहुंचा दिया जाता है. किसान अतनु कुमार महतो, अमिय महतो, शंकर महतो, विष्णु महतो, परमेश्वर महतो आदि ने बताया कि किसानों में इस बात की खुशी है कि अच्छी बारिश होने के कारण इस बार धान की अच्छी पैदावार हुई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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