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East Singhbhum News : गालूडीह हाट में उमड़ी भीड़, बांस से बनी सामग्री, लाल साड़ी, मुर्गा-मुर्गी व बत्तख की हुई खरीदारी

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टुसू पर्व के रंग में रंगने लगे गांव, हाट में टुसू के गीत भी बज रहे थे

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गालूडीह. घाटशिला अनुमंडल के गांव टुसू पर्व के रंग में रंगने लगे हैं. घाटशिला प्रखंड के गालूडीह में सोमवार को साप्ताहिक हाट में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी. इस दौरान मकर में उपयोग होने वाले सामान की जमकर खरीदारी हुई. कोई मिट्टी की हंडी, तेलाई, नाद, तिलकुट, गुड़ आदि की खरीदारी कर रहा था, तो कोई कपड़ा और मसाला खरीदने में मस्त रहे.

जानकारी के अनुसार, गालूडीह में मकर पर्व की तैयारी लोग एक सप्ताह पहले कर लेते हैं. इस दौरान गालूडीह व आसपास के क्षेत्र में लगने वाली हाट में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है. मकर पर्व में लाल साड़ी का काफी महत्व होता है. लाल साड़ी लोग ज्यादा खरीदते हैं. एक और अंतिम मकर हाट 13 जनवरी को लगेगी. हाट में मुर्गा-मुर्गी और बत्तख की खूब बिक्री हुई. बांस से बने सामान की हाट में खूब मांग देखी गयी. कपड़े और जूते के दुकानों में काफी भीड़ रही. गालूडीह हाट में बंगाल के लोग भी पहुंचे थे. हाट में टुसू की छोटी-छोटी मूर्तियां भी खूब बिकी. खजूर गुड़ की दुकानें भी सजी थीं, जिसकी खूब बिक्री हुई. हाट में टुसू के गीत भी बज रहे थे.

टुसू प्रतिमा बनाने में जुटे गालूडीह के मूर्तिकार

गालूडीह के कुम्हार टुसू की मूर्ति बनाने में जोर-शोर से जुटे हैं. मूर्तिकारों का आंगन मूर्तियों से भरी है. हालांकि, पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे कुम्हार अब पीछे हटने लगे हैं. इसकी वजह है महंगाई. पायरागुड़ी गांव के बिरहीगोड़ा टोला निवासी मूर्तिकार अजीत भकत ने बताया कि टुसू मूर्ति में लगने वाले रंग से लेकर तमाम साधन जुटाने में इन्हें खासी रकम खर्च करनी पड़ती है. इसमें मुनाफा महज परिवार चलाने भर मिलता है. उन्होंने बताया कि अलग-अलग जगहों से टुसू मूर्ति के ऑर्डर मिल रहा है. इस बार कुल 50 टुसू मूर्तियों का ऑर्डर मिला है. चिकनी मिट्टी, बांस, चट बोरा, पुआल, लकड़ी, रंग, सजावट के समान, कपड़े, कांटी के दाम बढ़ जाने से परेशानी हो रही है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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