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एक करोड़ से बने सरकारी आवासों में नहीं रहते अधिकारी-कर्मी, रखा है जब्त कोयला

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एक करोड़ से बने सरकारी आवासों में नहीं रहते अधिकारी-कर्मी, रखा है जब्त कोयला

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प्रतिनिधि, शिकारीपाड़ा शिकारीपाड़ा प्रखंड परिसर में सरकारी आवासीय भवनों की स्थिति चिंताजनक है. सुपरवाइजर स्तर के अधिकारियों के लिए बनाये गये चार आवासीय भवन, जो लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए गए थे, उपयोग में नहीं आ रहे हैं. इसके विपरीत, इन भवनों के सामने जब्त कोयले का ढेर लगा दिया गया है, जिससे पूरा परिसर अव्यवस्थित और अनुपयोगी हो गया है. इस स्थिति ने अधिकारियों को अन्यत्र आवास लेने पर मजबूर कर दिया है. 2016 में लगभग तीन करोड़ रुपये की लागत से बनाये गये सुपरवाइजर क्वार्टर, प्रखंड सचिवालय भवन, बीडीओ और सीओ के क्वार्टर, तथा तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के क्वार्टर अब वीरान पड़े हैं. करीब दो वर्षों से ये आवास खाली हैं, और परिसर में झाड़ियां उग आयी हैं, जो भवनों को लगभग छिपा देती हैं. खाली क्वार्टर के कारण अधिकारी आवासीय असुविधा का सामना कर रहे हैं. सुपरवाइजर स्तर के अधिकारी जैसे महिला प्रसार पदाधिकारी और राजस्व निरीक्षक वर्तमान में अस्थायी रूप से अन्य स्थानों पर आवास कर रहे हैं. राजस्व निरीक्षक को तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के क्वार्टर में ठहरना पड़ रहा है, जबकि महिला प्रसार पदाधिकारी कहीं और रह रहे हैं. क्वार्टर परिसर में रखे हुए हैं जब्त कोयला जानकारी के अनुसार, 2020 में तत्कालीन उपायुक्त द्वारा जब्त कोयले को सुरक्षित रखने के लिए सुपरवाइजर क्वार्टर के परिसर में रखा गया था. इस कोयले के आने से पहले इन क्वार्टरों में प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी रहते थे. उनके स्थानांतरण के बाद ये क्वार्टर खाली हो गए थे. कोयले का ढेर लगाने से परिसर की उपयोगिता पूरी तरह बाधित हो गयी है. शिकारीपाड़ा में कई पदाधिकारी और कर्मचारी अपने प्रखंड मुख्यालय में आवास नहीं कर रहे हैं. इसका परिणाम यह है कि वे अक्सर समय पर कार्यालय नहीं पहुंच पाते. तकनीकी विभाग के अधिकारियों के लिए तो प्रखंड मुख्यालय पहुंचने का कोई समय निर्धारित ही नहीं है. इस लापरवाही का सीधा प्रभाव क्षेत्र के विकास कार्यों की गति पर पड़ रहा है. सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए इन आवासीय भवनों का उद्देश्य तभी सार्थक होगा, जब इनका उपयोग सुनिश्चित होगा. प्रशासन को इस दिशा में गंभीर कदम उठाने होंगे ताकि न केवल आवासीय समस्या का समाधान हो, बल्कि प्रखंड के विकास कार्यों को भी नई दिशा मिल सके. क्या कहते हैं पदाधिकारी सुपरवाइजर क्वार्टर में जब्त कोयला उनके पदस्थापन के पूर्व से रखी हुई है. उक्त कोयला के संबंध में वाद न्यायालय में विचाराधीन है. न्यायालय के आदेश पर ही उक्त क्वार्टर से जब्त कोयला को हटाकर खाली कराया जा सकता है. एजाज आलम, बीडीओ ================= 2016 में बनाये गये चार आवास, नहीं रहते अधिकारी-कर्मी

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