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दुमका के सरकारी स्कूलों में गुणात्मक सुधार का दावा फेल, एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं कई स्कूल

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सरकार शिक्षा में गुणात्मक सुधार की बात तो करती है. मगर स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती के मामले में गंभीर प्रयास नहीं कर रही है. इसका उदाहरण मसलिया के तिलाबाद मध्य विद्यालय व मध्य विद्यालय दुमदुमी में देखा जा सकता है.

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दुमका : दुमका के सरकारी स्कूलों का हाल बेहद खराब है. एक ओर प्रशासन और सरकार तो गुणात्मक सुधार शिक्षा की बात तो करती है लेकिन शिक्षकों कमी पर ध्यान नहीं देती. इसका ताजा उदाहरण मसलिया के तिलाबाद मध्य विद्यालय व मध्य विद्यालय दुमदुमी में देखा जा सकता है. तिलाबाद स्कूल में 165 छात्र-छात्रा एवं दुमदुमी मध्य विद्यालय में 166 विद्यार्थियों में महज एक-एक शिक्षक की तैनाती है.

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प्रधानाध्यापक का जिम्मेदारी भी उसी शिक्षक पर है. प्रखंड व जिला की बैठक हो या प्रशिक्षण में विद्यालय के बच्चे भगवान भरेसे पढ़ाई होती है. दुर्गम विद्यालयों में जहां अध्यापक की भारी कमी देखने को मिलता है. वहीं, सुगम क्षेत्रों में जरूरत से अधिक अध्यापक की तैनाती रहती है. सरकार द्वारा तय मानकों की खुली अनदेखी और नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है.

बावजूद इसके शासन-प्रशासन से कोई सकारात्मक पहल देखने को नहीं मिली है. विद्यालय में एक ही अध्यापक होने के कारण बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है. जिस कारण अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में भेजने से कतरा रहे हैं. विद्यालय में गरीब बच्चे ही अध्ययन कर रहे हैं. आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने के कारण इनके अभिभावक इनका दाखिला निजी स्कूलों में कराने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में इन गरीब बच्चों को शिक्षा का अधिकार सही मायनों में नहीं मिल रही है.

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