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सिमडेगा के किशोर सोरेंग के लिए रहनुमा बनीं गोपीकांदर की सावित्री, दिल्ली में 13 साल तक बगैर मजदूरी के कराया जा रहा था किशोर से काम

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मजदूरी के रूप में मिलता था केवल खाना, ऐसे में घर लौट नहीं पा रहा था किशाेर, बगल के इलाके में काम कर रही सावित्री ने की मदद, साथ लेकर पहुंची गोपीकांदर

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गोपीकांदर. 13 साल तक अपने परिवार से दूर रहने के बाद आखिर में किशोर सोरेंग को उसका परिवार मिल ही गया. मजदूरी करने के बाद भी पैसे नहीं मिलने के कारण किशोर ने अपने परिवार से मिलने का आश छोड़ दिया था. किशोर के पास गोपीकांदर थाना क्षेत्र के भालकी गांव के एक महिला मसीहा बनकर पहुंची और फिर अपने पैसे खर्च कर किशोर को गोपीकांदर लेकर आई. तब जाकर 13 वर्ष बाद किशोर को परिवार से मिलने का मौका मिला. दरअसल, मामला बेरोजगारी को लेकर पलायन से संबंधित है. मामला झारखंड के सिमडेगा जिला से जुड़ा हुआ है. किशोर मूलरूप से सिमडेगा जिला के रेगारिह थाना क्षेत्र के कोंगसेरा गांव का रहने वाला है. किशोर के भाई सुबोध केरकेट्टा ने गोपीकांदर थाना में दिए आवेदन में बताया है कि उनका भाई किशोर वर्ष 2011 मजदूरी करने दिल्ली गया हुआ था. वहां उसे मजदूरी के बदले पैसे नहीं दिए जाते थे. किशोर को सिर्फ भरण-पोषण का खर्चा ठेकेदार उठाता था. उसके पास पैसे नहीं रहने के कारण वह घर नहीं आ पा रहा था. यही वजह रही कि किशोर 13 सालों तक बगैर मजदूरी के ही काम करता रहा. किशोर जिस ठेकेदार के पास काम करता था उसके बगल में गोपीकांदर थाना क्षेत्र की भालकी गांव की सावित्री देवी रहती थी. दोनों ने एक दूसरे को झारखंड का रहने वाला बताया. किशोर ने अपनी आप बीती सावित्री को बतायी. सावित्री अपनी पैसे खर्च कर किशोर को गोपीकांदर अपने घर लेकर आयी. 20 अगस्त को सावित्री और किशोर गोपीकांदर थाना में मामले की जानकारी दी. जिसके बाद गोपीकांदर थाना प्रभारी रंजीत मंडल ने सिमडेगा पुलिस से संपर्क किया. 23 अगस्त को किशोर के परिजन गोपीकांदर थाना पहुंचे. शुक्रवार को पुलिस ने किशोर को उसके परिजनों को सुपुर्द कर दिया है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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