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तीन सौ वर्षों का इतिहास समेटे अतुलनीय है जरमुंडी खैतोरी टोला दुर्गा मंदिर की महत्ता

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इस दुर्गा मंदिर में भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है, विजयादशमी के दिन मेला का होता है आयोजन

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बासुकिनाथ. जरमुंडी खेतोरी टोला स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर के दरबार में सभी मनोकामना पूर्ण होती है. लगभग तीन सौ वर्षो के इतिहास को अपने गर्भ में छुपाए मां दुर्गा अपने भक्तों को कभी भी निराश नहीं करती हैं. दिनों-दिन इनके प्रति आस्था में वृद्धि ही देखी जा रही है, जरमुंडी खेतोरी टोला स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर मुगलकाल के जमाने से है. मंदिर में पूजा की तैयारी जोर शोर से की जा रही है. तीन सदी पुराने गाथा को अपने में समेटे इस दुर्गा मंदिर में आज भी भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मां की आराधना करता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है. यहां पहले खपरैल की छत व मिट्टी के दीवार का मंदिर हुआ करता था. जिसमें हजारों लोग पूजा अर्चना करते थे. कारीगरों द्वारा जहां प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है. वहीं, पूजा कमेटियां इसको सफल बनाने में जुटी हुई हैं. समय के साथ यहां भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है. मार्बल टाइल्स द्वारा मंदिर में आकर्षक लुक दिया गया है. ग्रामीण शैलजानंद राय ने बताया कि प्रखंड के खरवा गांव स्थित मां की मंदिर से खेतोरी नागर सिंह द्वारा मां दुर्गा का कलश लाकर यहां प्राण प्रतिष्ठा की गयी थी. तभी से ही इस मंदिर में भक्तों की भीड़ पूजा अर्चना के लिए लगी रहती है. चीनी से बने बताशा का यहां मुख्य रूप से भोग लगाया जाता है. दूर-दूर से भक्त इस मंदिर में मन्नत मांगने पहुंचते हैं. सप्तमी से लेकर दशमी तक लोगों की भीड़ मंदिर प्रांगण में लगी रहती है. अष्टमी को मंदिर प्रांगण में रात्रि जागरण किया जाता है. तकरीबन 1977-78 में ग्रामीणों के सकारात्मक प्रयास से यहां मंदिर का निर्माण कराया गया था. नवमी के दिन सैकड़ों की तादाद में पाठा की बलि प्रदान की जाती है. वहीं विजयादशमी के दिन यहां भव्य मेला का होता है आयोजन. 22 मौजा के करीब 50 गांव के लोग यहां जुटते हैं

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