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डॉ अमरनाथ सिंह कयर बोर्ड के विशेषज्ञ के रूप में नामित

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दुमका. एएन कॉलेज दुमका के वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष एवं झारखंड बायोडाइवर्सिटी बोर्ड के सदस्य डॉ अमर नाथ सिंह को भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली इकाई कयर बोर्ड ने पत्र भेजकर बंजर भूमि पर प्राकृतिक पुनरस्थापन के विशेषज्ञ के रूप में नामित किया है. डॉ सिंह खनन क्षेत्रों में कम लागतवाली पर्यावरण प्रिय प्राकृतिक पुनरस्थापन तकनीक पर दो दशक से शोध कर रहे हैं. डॉ सिंह ने बताया की प्राकृतिक जैव उर्वरकों के अधिकाधिक समावेश के साथ बंजर भूमि पर त्रिस्तरीय पौधरोपण यथा शाक, झाड़ तथा वृक्ष आदि से लागत भी कम आती है. दीर्घकालिक हरित पट्टी का विकास सुगमता से संभव हो जाता है. जैव उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति दिनोंदिन बढ़ती जाती है. जैव उर्वरकों के विभिन्न अवयव अपना गुणीकरण बखूबी कर लेते हैं. इस तकनीक के इस्तेमाल से दो से तीन वर्षों में बंजर भूमि का विकास हरित पट्टी के रूप में हो जाता है. तकनीक का इस्तेमाल डॉ सिंह भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो डॉ अवध किशोर राय की शोध टीम के सदस्य के रूप में कोल इंडिया की इकाई इस्टर्न कोल्फीलड्स लिमिटेड, महानदी कोल्फीलड्स लिमिटेड एवं नार्थर्न कोल्फीलड्स लिमिटेड के अंतर्गत आनेवाली खदानों में सफलता पूर्वक कर चुके हैं. वर्तमान में डॉ सिंह राजमहल परियोजना से विशेषज्ञ के रूप में जुड़कर वैज्ञानिक मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं. कयर बोर्ड द्वारा नारियल के रेशे से निर्मित कयर मैट के उपयोग को वे मिट्टी के कटाव को रोकने का सबसे बेहतर उपाय मानते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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