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गणतंत्र दिवस समारोह में झारखंड के ये शिक्षक विशिष्ट अतिथि के रूप में होंगे शामिल

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डॉ सपन की चर्चा माननीय प्रधानमंत्री जी ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में भी किए थे. डॉ सपन कहते हैं कि वह एक ऐसे दुर्गम सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक हैं, जहां पहुंचना काफी कठिन रहता है.

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दुमका : झारखंड प्रदेश के दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड के आदिवासी बहुल सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित डुमरथर विद्यालय के शिक्षक डॉ सपन कुमार 26 जनवरी को इस बार नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में विशिष्ट अतिथि होंगे. उन्हें वीआईपी गैलरी में अपने परिवार के साथ बैठकर गणतंत्र दिवस की परेड देखने का निमंत्रण केंद्र सरकार की ओर से मिला है. साथ ही 26-27 एवं 28 जनवरी को बतौर विशेष मेहमान अलग-अलग कार्यक्रमों में नई दिल्ली में भाग लेंगे.

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बता दें कि ब्लैकबोर्ड मॉडल के जनक शिक्षक डॉ सपन कुमार मन की बात कार्यक्रम के 100 वें एपिसोड में भी दिल्ली में आयोजित विशेष कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इसके अलावा डॉ सपन कुमार को भारत में आयोजित जी-20 के सेवा समिट में भी शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था. डॉ सपन की चर्चा माननीय प्रधानमंत्री जी ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में भी किए थे. डॉ सपन ने कहते हैं कि वह एक ऐसे दुर्गम सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक हैं जहां पहुंचना काफी कठिन रहता है.

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यह ट्राइब क्षेत्र है और ट्राइब में भी वे एक ऐसे ट्राइब हैं जहां के अधिकांश लोगों ने शिक्षा प्राप्त नहीं की है. लोगों ने कॉपी कलम को नहीं छुआ है. इस क्षेत्र के बच्चों के लिए दुमका सबसे बड़ा शहर हुआ करता था. वैसी परिस्थिति में माननीय प्रधानमंत्री जी के एक भारत श्रेष्ठ भारत एवं बापू जी के सपनों का ग्राम स्वराज के सपने को इस गांव में पूर्ण करने का प्रयास किया जा रहा है.

चाहे कोविड के समय की बात हो या कोविड-19 के बाद की बात हो. कठिन परिस्थिति आया तो ब्लैकबोर्ड बाजार से नहीं खरीद कर आपसी सहयोग से सभी ने मिलकर प्रकृति में उपलब्ध संसाधन से एकमत होकर, गांव के सभी दीवारों पर ब्लैकबोर्ड बना दिया गया. जरूरत की डस्टर, झाड़ू, चटाई का निर्माण गांव में ही किया गया तो वहीं ग्राम स्वराज के स्वालंबन के सपने को पूरा करने का प्रयास भी लगातार जारी है.

डॉ सपन बताते हैं कि आज हमारे विद्यालय के बच्चे अमेरिका, जापान को भी जानते हैं. बच्चों को देश के साथ कदम से कदम मिलाकर भारत को श्रेष्ठ बनाने के लिए वे लगातार हैं. उन्होंने कहा कि वे अत्यंत पिछड़े क्षेत्र के शिक्षक हैं, जहां शिक्षा की रोशनी जलाने का प्रयास किया जा रहा है. समुदाय को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के साथ साथ सामाजिक जागरूकता एवं वयस्क शिक्षा कार्यक्रम, बिजली खंभा में अक्षर ज्ञान, मिलेट के प्रति जागरूकता आदि विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है.

ज्ञात हो कि कोरोना काल में लॉकडाउन के समय डॉ सपन ने समुदाय के सहयोग से गांव के सभी दीवारों पर ब्लैक बोर्ड बनाकर किताब के पाठों को लिखकर, चित्र बनाकर बच्चों की पढ़ाई जारी रखी थी. सम्मान मिलने के बाद डॉ सपन कुमार ने कहा कि गणतंत्र दिवस भारत के लिए महत्वपूर्ण दिन है. यह दिन औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्र गणराज्य बनने तक का भारत की लंबी यात्रा का जश्न मनाता है.

डॉ सपन ने कहा कि एक शिक्षक के रूप में यह उनके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है. एक शिक्षक के रूप में वीआईपी गैलरी में भारत सरकार का विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होना, उनके जीवन का सबसे बड़ा उपहार है. उन्होंने आगे कहा कि यह देश के वैसे सभी लोगों का सम्मान है जो कठिनाईयों में कार्य करते हुए देश को श्रेष्ठ बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं. गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्हें मिलने वाला यह सम्मान झारखंड प्रदेश के सभी लोगों का सम्मान है. खास कर उस समुदाय का जिनके साथ मिलकर वह बरसों से कार्य कर रहे हैं. साथ ही साथ यह विद्यालय परिवार के सभी सदस्यों का सम्मान है.

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