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– जहां माता का सम्मान, वहां लक्ष्मी का वास : स्वामी बालकानंद

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कौआबांध स्थित राजविलास रिसोर्ट में देवी भागवत

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गोविंदपुर.

महिलाएं ममतामयी देवी हैं. उनका सम्मान करना हम सबका कर्तव्य है. जिस घर में माता का सम्मान होता है, वहां साक्षात लक्ष्मी का वास होता है. ऊंचे महल बना लेना सुख-समृद्धि का परिचायक नहीं है. यदि झोपड़ी में रहकर भी परिवार की माताएं और वृद्ध हंसते हैं तो समझे उस घर में लक्ष्मी है और उस घर की समृद्धि व तरक्की तय है. उक्त बातें आनंद पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज ने बुधवार को कौआबांध स्थित राजविलास रिसोर्ट में देवी भागवत करते हुए कही. उन्होंने माताओं को संदेश दिया कि सत्य का पालन करें, परिवार के सभी सदस्यों को एकजुट रखें. माता को सहनशील होना जरूरी है. आज घरों में महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे सुपुत्र पैदा नहीं होते क्योंकि ऐसी महान माताओं की कमी है.

बालक- बालिकाओं की शिक्षा में न हो भेदभाव :

इस अवसर पर कोलकाता से आए देवी भागवत मर्मज्ञ श्रीकांत शर्मा ने कहा कि घर को स्वर्ग या नरक बनाना माता पर निर्भर है. माताएं यदि संस्कारी हो तो भाव के बीच भी घर स्वर्ग जैसा रहेगा और यदि माताएं नहीं चाहे तो तमाम सुविधाओं के बाद घर की स्थिति नर्क जैसी रहेगी. उन्होंने कहा कि हमें बच्चों को संस्कार युक्त शिक्षा देनी होगी. बालक- बालिका में शिक्षा देने में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. आज के दौर में बालिकाओं को भी तकनीकी शिक्षा जरूरी है. बालिकाएं शिक्षित होंगी तो पूरा परिवार शिक्षित होगा. कथा के आयोजक शंभूनाथ अग्रवाल, नंदलाल अग्रवाल, बलराम अग्रवाल व श्याम सुंदर केजरीवाल ने सभी का स्वागत किया.

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