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धनबाद : एसएनएमएमसीएच में 19 महीने से बंद है मनोरोगियों का इलाज, जानें क्या है वजह

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19 माह की अवधि में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन व स्वास्थ्य विभाग एक मनोरोग चिकित्सक नहीं ढूंढ़ पाया है.

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शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में डेढ़ वर्ष से ज्यादा समय से मनोरोग विभाग में चिकित्सा सेवा ठप है. 19 माह पूर्व, 28 जून 2022 को मनोरोग विभाग की एक मात्र सीनियर रेजिडेंट (एसआर) चिकित्सक डॉ शिल्पी का करार समाप्त होने के बाद से अस्पताल में मनोरोगियों के लिए चिकित्सा सेवा बंद कर दी गयी है. ऐसे में मनोराेग के मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. जबकि, एसएनएमएमसीएच के मनोरोग विभाग में रजिस्टर्ड मरीजों की कुल संख्या 1500 से ज्यादा है. अस्पताल के मनोरोग विभाग में चिकित्सा सेवा बंद होने वाले माह, जून 2022 में 400 से ज्यादा नए मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ था. इससे साफ है कि जिले में मनोरोग के मरीजों की संख्या बढ़ी है.

इलाज के लिए रांची जाना बनी विवशता

पूर्व में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मनोरोग मरीजों के लिए चिकित्सा सुविधा उपलब्ध थी. यहां मनोरोगियों के इलाज के लिए ओपीडी संचालित होता था. यहां पदस्थापित एकमात्र चिकित्सक मरीजों का इलाज करती थीं. बाद में मनोरोग के मरीजों की बढ़ती संख्या को देख वार्ड का निर्माण कराया गया था. मनोरोग विभाग में ओपीडी चिकित्सा ठप होने के कारण वार्ड भी शुरू नहीं हो पाया. अब इलाज के लिए धनबाद के मरीजों को रांची स्थित रिनपास जाना पड़ता है.

लाखों की लागत से तैयार वार्ड बना कबाड़खाना

अस्पताल के ओपीडी बिल्डिंग में मनोरोगियों के लिए जनवरी 2022 में विशेष वार्ड बनाया गया था. वार्ड के निर्माण में एसएनएमएमसीएच प्रबंधन ने लाखों रुपये खर्च किये थे. शुरुआत में वार्ड में मरीजों के लिए बेड समेत अन्य उपकरण लगाए गए थे. बाद में मनोरोग विभाग में चिकित्सा सेवा बंद होने पर वार्ड में लगे बेड व उपकरणों को हटा लिया गया. वर्तमान में मनोरोगियों के लिए बनाया गया वार्ड कबाड़खाना बन गया है.

19 माह में एक चिकित्सक नहीं ढूंढ़ पाया स्वास्थ्य विभाग

19 माह की अवधि में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन व स्वास्थ्य विभाग एक मनोरोग चिकित्सक नहीं ढूंढ़ पाया है. अस्पताल प्रबंधन के अनुसार स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग व जिला स्वास्थ्य विभाग से कई बार मनोरोग चिकित्सक उपलब्ध कराने के लिए पत्राचार किया गया है. अबतक कोई कार्यवाही नहीं हुई है.

जिले में मनोरोगियों के लिए सिर्फ काउंसेलिंग की सुविधा

वर्तमान में जिले के मनोरोगियों के लिए सिर्फ काउंसेलिंग की व्यवस्था है. सदर अस्पताल में सप्ताह में तीन दिन मनोरोगियों को काउंसलिंग की सुविधा प्रदान की जा रही है. हालांकि, गंभीर मरीजों के लिए काउंसलिंग काफी नहीं होती है. सदर अस्पताल में ऐसे मरीजों के पहुंचने पर उन्हें रिनपास जाने की सलाह दी जाती है.

क्या कहा प्रभारी अधीक्षक ने

मनोरोग विभाग में चिकित्सक नहीं होने की जानकारी स्वास्थ्य मुख्यालय को काफी पहले ही दे दी गयी है. स्वास्थ्य मुख्यालय स्तर पर ही चिकित्सक की नियुक्ति होनी है. स्थानीय स्तर पर भी चिकित्सक उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई चिकित्सक सेवा देने को तैयार नहीं हुआ. हालांकि, मुख्यालय ने जल्द चिकित्सक उपलब्ध कराने का भरोसा दिया है.

डॉ ज्योति रंजन प्रसाद, प्राचार्य सह प्रभारी अधीक्षक, एसएनएमएमसीएच

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