15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 06:41 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Jharkhand Chunav 2024: पहला चुनाव बुरी तरह हार गये थे बिनोद बिहारी महतो, फिर ऐसे की वापसी

Advertisement

Jharkhand Chunav 2024: बिनोद बिहारी ने पहला चुनाव 1952 में बलियापुर विधानसभा से लड़ा था लेकिन वे बुरी तरह हार गये. साल 1980 में वे पहली बार टुंडी से विधानसभा से चुनाव जीते.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Jharkhand Chunav 2024, धनबाद : झारखंड की राजनीति में बिनोद बिहारी महतो उन गिने चुने राजनीतिक शख्सियतों में शुमार हैं, जिनके नाम की झारखंड में राजनीति करने वाले दल और नेता कसमें खाते हैं. झारखंड की राजनीति में बिनोद बाबू का काफी गहरा प्रभाव रहा है. उनके निधन पर 33 सालों के बाद भी झारखंड की राजनीति में एक बड़ा धड़ा उनके नाम के इर्द-गिर्द घूमता है. लेकिन जब बिनोद बाबू ने राजनीति में पहली बार कदम रखा, तो उन्हें खुद नाकामी झेलनी पड़ी थी. उन्होंने पहली बार बलियापुर विधानसभा से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा.

- Advertisement -

सात बार लड़ा विधानसभा का चुनाव

बिनोद बिहारी महतो ने अपने चार दशक के राजनीति जीवन में सात बार विधानसभा का चुनाव लड़ा था. इसमें 1980 में टुंडी, 1985 में सिंदरी और फिर 1990 में टुंडी विधानसभा सीट से ही सफलता हासिल की थी, लेकिन इससे पहले चार बार उन्हें विधानसभा चुनाव में नाकामी मिली थी. बिनोद बाबू ने पहली बार बलियापुर विधानसभा सीट (अब अस्तित्व में नहीं है) से 1951 -52 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था. तब उन्हें बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. उस समय चुनाव मैदान में सात प्रत्याशी थे. वह सातवें नंबर रहे थे. उन्हें कुल 403 वोट मिले थे. बलियापुर विधानसभा सीट से तब झरिया राजा काली प्रसाद सिंह विजयी हुए थे.

Also Read: Palamu News: सगी बेटी का कलेजा ही खा गई एक मां! तंत्र साधना के लिए अपनी दुधमुंही बच्ची की ली जान

1957 में निरसा विधानसभा से बिनोद बिहारी महतो ने जीता चुनाव

बिनोद बिहारी महतो ने दूसरी बार निरसा विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ा था. उन्होंने इस बार बेहतर प्रदर्शन किया था. इस चुनाव में वह दूसरे नंबर पर रहे थे. वह कांग्रेस प्रत्याशी राम नारायण शर्मा से हार गये थे. जहां श्री शर्मा को 17890 वोट मिले थे, वहीं बिनोद बाबू को 7938 वोट मिले थे.

1962 में जोड़ापोखर से लड़ा विधानसभा चुनाव

बिनोद बिहारी महतो ने तीसरी बार जोड़ापोखर विधानसभा सीट (अब अस्तित्व में नहीं है) से भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था. उन्होंने इस बार भी बेहतर प्रदर्शन किया था. इस चुनाव में भी वह दूसरे नंबर पर रहे थे और कांग्रेस प्रत्याशी राम नारायण शर्मा से ही हार गये थे. राम नारायण शर्मा को तब 14,931 वोट मिले थे. वहीं बिनोद बिहारी महतो को 9820 वोट मिले थे.

1972 में टुंडी विधानसभा से चुनाव लड़कर तीसरे स्थान पर रहे

बिनोद बाबू ने 1962 के बाद सीधे चौथी बार टुंडी विधानसभा क्षेत्र से 1972 में फिर से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में थे. इस चुनाव में वह तीसरे नंबर पर रहे थे. तब यहां से कांग्रेस प्रत्याशी सत्य नारायण सिंह चुनाव जीते थे. जबकि दूसरे नंबर पर भारतीय जन संघ के प्रत्याशी सत्य नारायण दुदानी रहे थे.

1980 में पहली बार हासिल की जीत

बिनोद बिहारी महतो पहली बार टुंडी विधानसभा सीट से 1980 में चुनाव जीतने में सफल हुए थे. इस बार वह झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से चुनाव लड़े थे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी नौरंगदेव सिंह को हराया था. वहीं तीसरे नंबर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सत्य नारायण दुदानी रहे थे. इसके बाद बिनोद बाबू ने 1985 में सिंदरी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. यहां उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी मुख्तार अहमद को हराया था. बिनोद बाबू को 22,487 वोट मिले थे. जबकि मुख्तार अहमद को 20,708 मत मिले थे. 1990 में उन्होंने तीसरी बार टुंडी विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. तब उन्होंने कांग्रेस के उदय कुमार सिंह को हराया था. उन्होंने जीवन का अंतिम चुनाव गिरिडीह लोक सभा सीट से लड़ा था. इसमें वह विजयी रहे थे. उनका निधन 18 दिसंबर 1991 को हो गया था.

Also Read: Jharkhand Assembly Election 2024: कहानी हेमंत सोरेन के गांव की, हो रहा CM हेमंत का इंतजार, बांटेंगे अपना सुख-दुख

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें