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धनबाद के इस पंचायत में बगैर फिल्टर सीधे दामोदर नदी के पानी की हो रही आपूर्ति, 40-45 वर्ष में लोग हो रहे बूढ़े

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बलियापुर प्रखंड की घड़बड़ पंचायत. यहां पानी में फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है. पंचायत के ब्राह्मण टोला में लगभग 80 फीसदी लोग फ्लोराइड से प्रभावित हैं.

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धनबाद : बलियापुर प्रखंड की घड़बड़ पंचायत. यहां पानी में फ्लोराइड की मात्रा बहुत ज्यादा है. पंचायत के ब्राह्मण टोला में लगभग 80 फीसदी लोग फ्लोराइड से प्रभावित हैं. इसे देखते हुए गांव में पाइपलाइन के जरिये जलापूर्ति की योजना बनी. एक वर्ष से जलापूर्ति भी हो रही है. पर गांववालों के मुताबिक दामोदर नदी से सीधे गंदे पानी की आपूर्ति की जा रही है. इसे फिल्टर नहीं किया जा रहा.

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नतीजा, न इस पानी को लोग पी पा रहे हैं और न ही खाना बनाने के लिए उपयोग कर पा रहे हैं. इधर बोरिंग के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से यहां बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक बीमार पड़ रहे हैं. 40-45 वर्ष की उम्र में ही लोग बूढ़े लगने लगे हैं. बच्चों के भी दांत पीले हो चुके हैं. ग्रामीणों की मांग है-हमें फिल्टर किया हुआ पानी दें. उल्लेखनीय है कि जहां से इस गांव में पानी की आपूर्ति की जाती है, वहां फिल्टर प्लांट बना भी हुआ है.

योजनाएं बनती गयीं, बीमारी बढ़ती गयी :

धनबाद जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर धनबाद-सिंदरी मुख्य मार्ग के समीप घड़बड़ पंचायत है. इस गांव में खास कर ब्राह्मण टोला के लोगों के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलना सबसे बड़ी समस्या है. ग्रामीणों के अनुसार इस गांव में शुरू से पानी में फ्लोराइड की मात्रा परेशानी का सबब बनी हुई है. यहां पहले लोग तालाब के पानी का ही उपयोग करते थे.

बीमारी बढ़ने के बाद यहां पर चापाकल लगाये गये, पर इसमें भी वही समस्या रही. फिर एक चापाकल में फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया. कहा गया, इससे पानी की गुणवत्ता ठीक हो जायेगी, लेकिन यह भी फेल हो गया. इसके बाद पाइपलाइन के जरिये जलापूर्ति की योजना बनी. एक साल से यहां पाइपलाइन के जरिये जलापूर्ति भी हो रही है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

घड़बड़ पंचायत के भू-गर्भ इलाके में फ्लोराइड युक्त चट्टान की संख्या ज्यादा है. यहां डीप बोरिंग सफल नहीं हो सकती. लोगों को एक तालाब का जीर्णोद्धार कराना चाहिए. उस तालाब का पानी सिर्फ पीने के लिए ही उपयोग करना चाहिए. पाइपलाइन के जरिये जालपूर्ति से ज्यादा सार्थक तालाब वाली व्यवस्था रहेगी. वहां पर विस्तृत सर्वे कराने की जरूरत है.

पानी पर जम रही काली परत

ग्रामीणों ने बताया कि पाइपलाइन के जरिये हो रही जलापूर्ति महज खानापूर्ति है. सोमवार को ग्रामीणों ने ‘प्रभात खबर की टीम’ को बाल्टी व अन्य बर्तन में जमा पानी दिखाया. पानी एकदम गंदा था. लोगों ने बताया कि कुछ देर बर्तन में पानी छोड़ देने से काली परत बन जाती है. कीड़ा रहता है. पीना तो दूर, इस पानी से खाना भी नहीं बना सकते. दामोदर नदी से पानी सीधे जलमीनार के जरिये आपूर्ति की जा रही है. कभी फिल्टर नहीं किया जाता.

फ्लोराइड से क्या होता है नुकसान

अधिक मात्रावाले फ्लोराइड युक्त पानी पीना शरीर के लिए हानिकारक है. दांत का खराब होना शुरुआती लक्षण है. गर्दन, कमर, घुटने की हड्डी टेढ़ी होने लगती है. लोग सीधा नहीं चल पाते हैं. सुबह में बिस्तर से उठने में भी दिक्कत होती है. महिलाओं में बांझपन की समस्या भी हो सकती है. आंख की रोशनी व किडनी पर भी असर पड़ता है. आरओ भी एक सीमा तक ही पानी को पीने योग्य बना सकता है.

सक्षम लोग जार का पानी खरीदने को विवश

ग्रामीणों ने बताया कि खाना बनाने से लेकर पीने के लिए सक्षम लोग तो जार का पानी खरीद लेते हैं, पर गांव की अधिकतर आबादी गरीब है, वह फ्लाेराइड युक्त पानी पीने को मजबूर है. कानंद कहते हैं : 20 रुपये में 20 लीटर पानी जार में मिलता है. जिस घर में परिवार के सदस्य अधिक हैं, वहां रोज एक जार पानी की खपत है. सक्षम लोगों पर भी हर माह 12 सौ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ गया है. सरकार पानी दे भी रही है. हमलोगों को फायदा भी नहीं हो पा रहा है.

Posted By : Sameer Oraon

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