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Sawan 2020 : बैद्यनाथ मंदिर में विराजमान नीलकंठ महादेव की अपनी है महिमा

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Sawan 2020 : द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर और इनके प्रांगण की सभी मंदिरों की अपनी पौराणिक महत्व है. इसमें सर्वाधिक महत्व बाबा बैद्यनाथ की पूजा के उपरांत बाबा भोलेनाथ के द्वारा समुद्र मंथन में निकले हलाहल विषपान करने वाले नीलकंठ महादेव की पूजा का है. जहां भक्त पूजा करने के लिए घंटों इंतजार करते हैं. यहां नीलकंठ महादेव और शनिदेव सहित नवग्रह विराजमान हैं.

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Sawan 2020 : देवघर (संजीव मिश्रा) : द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर और इनके प्रांगण की सभी मंदिरों की अपनी पौराणिक महत्व है. इसमें सर्वाधिक महत्व बाबा बैद्यनाथ की पूजा के उपरांत बाबा भोलेनाथ के द्वारा समुद्र मंथन में निकले हलाहल विषपान करने वाले नीलकंठ महादेव की पूजा का है. जहां भक्त पूजा करने के लिए घंटों इंतजार करते हैं. यहां नीलकंठ महादेव और शनिदेव सहित नवग्रह विराजमान हैं.

नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण लगभग 19 शताब्दी में पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री शैलजा नंद ओझा ने कराया. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. यह मुख्य मंदिर के सामने पूरब की ओर है और लक्ष्मी नारायण मंदिर एवं पार्वती मंदिर के बीच स्थित है. इसके शिखर की लंबाई लगभग 25 फुट और चौड़ाई 20 फीट है.

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नीलकंठ महादेव के शिखर पर तांबे का कलश है. इसके ऊपर पंचशूल नहीं त्रिशूल लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे सफेद रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से सीधे भक्त नीलकंठ महादेव सहित सभी नवग्रह देवी- देवता की पूजा अर्चना करते हैं. नीलकंठ महादेव के प्रांगण में पहुंचते ही सामने के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भ गृह में प्रवेश करते हैं.

यहां घोड़े पर सवार नीलकंठ महादेव की काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है. इस मूर्ति की ऊंचाई 3 फीट है. यहां पर नीलकंठ महादेव की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. नीलकंठ महादेव मंदिर के प्रांगण में बैठने वाले तीर्थ पुरोहितों की ओर से विशेष पूजा व भव्य महाशृंगार किया जाता है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही जगदीश पंडा के वंशज, गंगाराम पंडा परिवार के वंशज, विश्वनाथ पंडा के वंशज व भोलापंडा चार भाई परिवार के वंशज नीलकंठ महादेव के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए गद्दी पर रहते हैं.

Posted By : Samir Ranjan.

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