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देवघर : बाबाधाम में फाल्गुन मास की पूर्णिमा तक ओढ़ाया जायेगा मेखला, चार माह तक जलेगी अखंड अग्नि, जानें कारण…

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तीर्थ पुरोहित नीरज झा ने बताया कि यह पूजा चार माह तक चलती है और इसमें अखंड अग्नि चार महीने तक जलते रहता है. आजादी के समय भी इस खप्पर पूजा के पास आकर अंग्रेजों से स्वतंत्रता सेनानी बचते थे. जब भी कोई अंग्रेज आते थे तो उन्हें यह बताया जाता था कि यहां पर कोई भी नहीं है. सिर्फ अनुष्ठान चल रहा है.

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देवघर : बुधवार को बाबा मंदिर में मासव्यापी विशेष भोग लगाने और बाबा को मेखला चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हो गयी है. मंदिर इस्टेट की ओर से दोपहर 12 बजे भीतरखंड स्थित श्री यंत्र मंदिर में दही चूड़ा का भोग बाबा सहित परिसर में स्थित सभी देवताओं के नाम से अर्पित किया गया. यह परंपरा पूरे एक माह तक जारी रहेगी. रात में शृंगार पूजा के बाद पुजारी सोनाधारी झा ने बाबा को मेखला ओढ़ाया. मेखला अर्पित करने की परंपरा फाल्गुन मास पूर्णिमा तक चार महीने जारी रहेगी.

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चार महीने तक निरंतर जलती रहेगी अग्नि

देवघर में बुधवार को बाबा मंदिर प्रांगण स्थित मां काली मंदिर में धूमधाम से चार माह तक चलने वाली खप्पर पूजा का आयोजन किया गया. संध्या चार बजे काली मंदिर खप्पर पूजा समिति द्वारा परंपरा के अनुसार आचार्य मिट्ठू महाराज पुजारी सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा द्वारा वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ खप्पर में अग्नि प्रज्वलित की गयी. यह अग्नि अब पूरे चार माह तक प्रज्वलित रहेगी. यह पूजा हर साल काली मंदिर खप्पर पूजा समिति द्वारा आयोजित की जाती है. अब बुधवार से होलिका दहन के दिन यानी फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर विधिवत पूजा कर नगर कुमारी बटुक का भोज आयोजित करने के उपरांत इसका समापन किया जायेगा. तीर्थ पुरोहित नीरज झा ने बताया कि यह पूजा चार माह तक चलती है और इसमें अखंड अग्नि चार महीने तक जलते रहता है. सालों पूर्व बैद्यनाथधाम में चारों ओर जंगल था, जहां पर श्रद्धालु पहुंचने के बाद दूसरे दिन ही वापस जा सकते थे. मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को ठंड से बचने के लिए यह पूजा शुरू की गयी थी, जो आज भी जारी है. आजादी के समय भी इस खप्पर पूजा के पास आकर अंग्रेजों से स्वतंत्रता सेनानी बचते थे. जब भी कोई अंग्रेज आते थे तो उन्हें यह बताया जाता था कि यहां पर कोई भी नहीं है. सिर्फ अनुष्ठान चल रहा है. पूजा अर्चना की जा रही है, जिसे देखकर अंग्रेज वापस चले जाते हैं.

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