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Jharkhand Chunav 2024: संताल परगना की 9 हॉट सीट, जहां है कांटे की टक्कर, CM हेमंत सोरेन समेत इनकी प्रतिष्ठा दांव पर

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Jharkhand Chunav 2024: संताल परगना की 9 सीटें ऐसी हैं जहां मौजूदा वक्त में कांटे की टक्कर है. यहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अलावा विधानसभा स्पीकर रवींद्रनाथ महतो की प्रतिष्ठा दांव पर हैं.

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Jharkhand Chunav 2024, देवघर : संताल परगना में विधानसभा चुनाव में हर दल इस बार संताल परगना से अधिक से अधिक सीटें जीतने की रणनीति के साथ चुनाव में है, क्योंकि कहा जाता है कि झारखंड की सत्ता की चाबी संताल परगना से होकर गुजरती है. यहां 18 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से सात सीटें एसटी रिजर्व, एक एससी रिजर्व और 10 सीटें जेनरल हैं. 2024 के चुनाव में हॉट सीटों के अलावा सभी सीटों पर कांटे की टक्कर के आसार दिख रहे हैं.

सत्ताधारी दल की सीधी टक्कर भाजपा से

सत्ताधारी दल झामुमो, कांग्रेस और गठबंधन दलों की सीधी टक्कर भाजपा से होगी. संताल परगना की 18 सीटों में से लगभग नौ हॉट सीटें हैं, जहां महामुकाबला देखने को मिल सकता है. इन सीटों पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व उनके तीन मंत्री के अलावा विधानसभा के स्पीकर का मुकाबला है. इसके अलावा इंडिया गठबंधन फोल्डर से पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख, पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की पत्नी निशात आलम, पूर्व मंत्री सुरेश पासवान, भाजपा के कार्यकाल में पूर्व मंत्री रहीं डॉ लुइस मरांडी (अब झामुमो में), प्रदीप यादव, नलिन सोरेन की जगह उनके बेटे आलोक सोरेन, पूर्व मंत्री स्टीफन मरांडी चुनाव मैदान में हैं. वहीं एनडीए फोल्डर से मुख्यमंत्री को टक्कर देने के लिए बरहेट में जमीन से जुड़े भाजपा नेता गमालियल हेंब्रम कमर कस कर उतरे हैं. जामताड़ा में मंत्री इरफान अंसारी (कांग्रेस) को टक्कर देंगी सीता सोरेन (भाजपा), वहीं महागामा में मंत्री दीपिका पांडेय सिंह को पूर्व विधायक अशोक भगत, पाकुड़ में निशात आलम को अजहर इस्लाम (आजसू) और मधुपुर से मंत्री हफीजुल के खिलाफ भाजपा के गंगा नारायण सिंह कड़ी टक्कर देने को तैयार हैं. वहीं जामा में झामुमो की डॉ लुइस मरांडी के खिलाफ भाजपा ने सुरेश मुर्मू तो दुमका में बसंत सोरेन को टक्कर देने के लिए भाजपा के पूर्व सांसद सुनील सोरेन पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं. वहीं, देवघर में पूर्व मंत्री सुरेश पासवान को दो बार के सीटिंग भाजपा विधायक नारायण दास के साथ मुकाबला है.

एनडीए हो या इंडिया गठबंधन, दोनों के लिए भितरघात से निबटना चुनौती

विधानसभा चुनाव में संताल परगना में जिन दावेदारों को टिकट नहीं मिला है, वे बागी हो गये हैं. संगठन से इतर जाकर बयानबाजी कर रहे हैं. रुठने-मनाने का दौर चल रहा है. एनडीए हो या इंडिया गठबंधन दोनों के लिए अपनी पार्टी के बागियों से निबटना चुनौती होगी. रुठने-मनाने की बात तो यहां तक आ पहुंची है कि असम के सीएम हिमंता विश्व सरमा को घर-घर पहुंचना पड़ रहा है. चाहे नाला हो या जामताड़ा, दुमका हो या जामा, गोड्डा हो या पोड़ैयाहाट या महागामा, मधुपुर हो देवघर, राजमहल हो लिट्टीपाड़ा, अधिकांश सीटों पर दोनों ही फोल्डर के दावेदार पार्टी की जीत की राह में परेशानी का सबब बन रहे हैं.

बरहेट विधानसभा (एसटी सीट)

यह सीट शुरू से ही झामुमो के खाते में रही है. सेफ सीट के कारण ही हेमंत सोरेन ने इस सीट को 2014 में अपने लिए चुना है. 2014 के चुनाव हेमंत के सामने भाजपा से हेमलाल मुर्मू चुनाव मैदान में थे. इस चुनाव में झामुमो 24087 वोटों ( 17.8% वोट शेयर) से जीती थी. 2009 के चुनाव की बात करें तो इस सीट पर झामुमो की टिकट हेमलाल मुर्मू 20318 वोटों ( 20% वोट शेयर) से जीते थे. तब भाजपा चौथे नंबर पर रही थी. वहीं 2019 के चुनाव में हेमंत सोरेन के सामने भाजपा के सिमोन मालतो थे. झामुमो ने इस चुनाव में 25740 वोटों ( 18.7% वोट शेयर) से जीत दर्ज की थी. इस बार टिकट नहीं मिलने से नाराज सिमोन मालतो ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है. भाजपा के लिए इस सीट पर भितरघात का खतरा है, लेकिन हेमंत की सीधी टक्कर गमालियल से होगी.

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मधुपुर विधानसभा (सामान्य सीट)

इस सीट पर झारखंड सरकार के मंत्री हफीजुल हसन मैदान में हैं. इस बार भाजपा ने हफीजुल के सामने फिर से गंगा नारायण सिंह को उतारा है. एक ओर जहां यहां एंटी इनकंबैंसी का मामला हो सकता है. वहीं भाजपा भितरघात से जूझ रही है. टिकट नहीं मिलने से नाराज पूर्व मंत्री राज पलिवार सहित कई ऐसे दावेदार हैं जो पार्टी के निर्णय से नाराज हैं. 2009 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के हाजी हुसैन 20468 वोटों ( 13.9% वोट शेयर) से जीती थी. इस चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर रही थी. तब भाजपा ने अभिषेक आनंद झा को टिकट दिया था. वहीं 2014 के चुनाव में भाजपा से राज पलिवार 6884 वोटों ( 3.5% वोट शेयर) से जीते थे. तब हाजी हुसैन दूसरे नंबर थे. लेकिन 2019 के चुनाव में झामुमो के हफीजुल हसन 23069 वोटों ( 10.1% वोट शेयर) से जीते. इस चुनाव में भाजपा के राज पलिवार हार गये थे. तीसरे नंबर आजसू की टिकट पर गंगा नारायण सिंह रहे थे. 2024 के चुनाव में इस बार भाजपा ने गंगा नारायण सिंह को टिकट दिया है. वहीं झामुमो और भाजपा के बीच बसपा की टिकट पर जियाउल हक उर्फ टार्जन के उतरने से त्रिकोणीय संघर्ष के आसार हैं.

जामताड़ा विधानसभा (सामान्य सीट)

इस सीट पर कांग्रेस की टिकट पर मंत्री डॉ इरफान अंसारी के सामने इस बार भाजपा ने सोरेन परिवार की बहु सीता सोरेन को मैदान में उतारा है. 2005 में इस सीट पर विष्णु प्रसाद भैया ने कमल खिलाया था. उसके बाद भाजपा कभी वापस नहीं आ सकी. सोरेन परिवार की बहू होने के कारण सीता सोरेन को एसटी कम्यूनिटी का फायदा मिल सकता है. इसलिए जामताड़ा सीट पर कांटे की टक्कर की संभावना है.1962 से 1977 तक काली प्रसाद सिंह, 1982 से 2000 तक फुरकान अंसारी और उसके बाद 2014 और 2019 में डॉ इरफान जीते हैं. बीच में 2005 में विष्णु प्रसाद भैया और 2009 में शिबू सोरेन झामुमो (उपचुनाव) से चुने गये थे. 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 9137 वोटों ( 4.8% वोट शेयर) से जीती लेकिन 2019 के चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा, इस सीट पर डॉ इरफान 38741 वोटों ( 18.2% वोट शेयर) से जीते.

महागामा विधानसभा (सामान्य सीट)

इस सीट पर झारखंड सरकार की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह फिर कांग्रेस की टिकट पर मैदान में हैं. भाजपा ने 2014 और 2019 के चुनाव में हारे प्रत्याशी अशोक कुमार भगत को टिकट दिया है. जबकि अशोक कुमार 2014 में महागामा से जीत दिला चुके हैं. इस सीट पर सीधी फाइट है. कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से है और यहां कांटे की टक्कर है. 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 8186 वोटों ( 5.8% वोट शेयर) से, 2014 में भाजपा 31560 वोटों ( 17.5% वोट शेयर) से और 2019 में कांग्रेस 12499 वोटों ( 6.4% वोट शेयर) से जीती.

जरमुंडी विधानसभा (सामान्य सीट)

इस सीट पर लगातार दो टर्म से कांग्रेस के बादल पत्रलेख जीतते रहे हैं. इस बार हैट्रिक के लिए मैदान में हैं. झारखंड की हेमंत सरकार के पूर्व मंत्री रहे हैं. इस बार बादल को टक्कर देने के लिए भाजपा ने अपने पुराने प्रत्याशी देवेंद्र कुंवर को उतारा है. 2009 में भाजपा ने देवेंद्र कुंवर को टिकट नहीं दिया तो वे झामुमो से लड़े और दूसरे नंबर पर रहे थे. उस चुनाव में भाजपा चार नंबर पर रही थी. निर्दलीय हरिनारायण राय 10487 वोटों ( 9% वोट शेयर) से जीते थे. 2014 में कांग्रेस 2708 वोटों ( 1.8% वोट शेयर) से और 2019 में कांग्रेस से बादल पत्रलेख 3099 वोटों ( 1.9% वोट शेयर) से जीते. एक ओर यहां जहां पूर्व मंत्री के खिलाफ एंटी इनकंबैंसी भी बड़ा फैक्टर हो सकता है. वहीं देवेंद्र कुंवर को हरिनारायण राय का साथ मिल रहा है. इससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है.

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दुमका विधानसभा (एसटी सीट)

यह सीट इसलिए हॉट माना जा रहा है क्योंकि यहां से सीएम हेमंत भी चुनाव लड़ चुके हैं. झामुमो का गढ़ रहा है. झामुमो ने बसंत सोरेन को दूसरी बार उम्मीदवार बनाया है. उनके सामने दुमका के सांसद और जामा से विधायक रहे सुनील सोरेन मैदान में हैं. दुमका में घमासान के आसार हैं. हालांकि पिछले तीन चुनावों में 2009 और 2019 में झामुमो जीता, वहीं 2014 के चुनाव में भाजपा की डॉ लुइस मरांडी ने झामुमो के हेमंत सोरेन को 5262 वोटों से हराया था. वैसे 2009 में भी इस सीट पर झामुमो 2669 वोटों से ही जीता, लेकिन 2019 में झामुमो का वोट प्रतिशत बढ़ा, हेमंत सोरेन 13188 वोटों से जीते. उसके बाद उपचुनाव हुआ और उसमें भी झामुमो के बसंत सोरेन ने भाजपा की डॉ लुइस मरांडी को हराया.

पाकुड़ विधानसभा (सामान्य सीट)

यह सीट कांग्रेस के खाते में है. अल्पसंख्यक बहुल विधानसभा क्षेत्र होने के कारण यहां से प्राय: अल्पसंख्यक प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं. यहां के विधायक आलमगीर आलम पूर्व मंत्री रहे हैं. वे जेल में हैं. उनकी जगह पत्नी निशात आलम को कांग्रेस को उतारा है. जबकि उन्हें टक्कर देने के लिए एनडीए फोल्डर के आजसू प्रत्याशी अजहर इस्लाम मैदान में हैं. यहां डायरेक्ट फाइट होगी. 2009 में झामुमो के अकिल अख्तर 5676 वोटों ( 3.4% वोट शेयर) से जीते. लेकिन 2014 में कांग्रेस के आलमगीर आलम 18066 वोटों से जीते. वहीं 2019 में कांग्रेस के आलमगीर आलम 65108 वोटों ( 26.3% वोट शेयर) से जीते. इस तरह यहां कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है.

बोरियो विधानसभा (सामान्य सीट)

इस सीट से 2024 के चुनाव में झामुमो छोड़ भाजपा में आये लोबिन हेंब्रम मैदान में हैं. वहीं, झामुमो ने भी स्थानीय नेता धनंजय सोरेन को प्रत्याशी बनाया है. लोबिन काफी कद्दावर नेता माने जाते हैं. उनकी व्यक्तिगत छवि आदिवासियों के बीच अच्छी है. बोरियो, बरहेट, महेशपुर, लिट्टीपाड़ा और पाकुड़ जिले में आदिवासियों के बीच खासकर नौजवानों के बीच पैठ है. यही कारण है कि इस बार झामुमो को बोरियो सीट बचाना चुनौती भरा होगा. इस सीट पर लोबिन के कारण भाजपा फ्रंट फुट पर खेल रही है. 2009 में झामुमो के लोबिन हेंब्रम 9040 वोटों से जीते थे. 2014 में लोबिन को भाजपा के ताला मरांडी ने मात्र 712 वोटों से हराया. वहीं 2019 के चुनाव झामुमो ने भाजपा को 17924 वोटों हराया था.

जामा विधानसभा (सामान्य सीट)

जामा सोरेन परिवार की सीट रही है. शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन के बाद उनकी पत्नी सीता सोरेन वहां से जीतती रही हैं. लेकिन इस बार सीता सोरेन भाजपा में हैं और उनकी जगह झामुमो ने जामा से दुमका की डॉ लुइस मरांडी को मैदान में उतारा है. उनका सामना भाजपा के सुरेश मुर्मू से है. 2009 में झामुमो 12706 वोटों से जीता, लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में झामुमो का ग्राफ गिरा. 2014 में झामुमो मात्र 2306 और 2019 में 2426 वोटों ( 1.7% वोट शेयर) से ही जीत दर्ज की. इसलिए कांटे की टक्कर के बीच डॉ लुइस मरांडी के लिए जीत की राह आसान नहीं है. भाजपा ने जामा सीट को जीतने के लिए एग्रेसिव कैंपेन शुरू किया है. इस राह में सीता और उनकी बेटियों के साथ होने का भी फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है.

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