फाल्गुनी मरीक कुशवाहा . उपभोक्ताओं के विवादों के निवारण के लिए बने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की अदालत से एक साल में 128 मामलों में फैसला आया. जनवरी 2024 से दिसंबर 2025 तक आंकड़ाें के अनुसार 12 महीने में सवा सौ से अधिक मामले निष्पादित किये गये, जिसमें से उपभोक्ता वाद -114, एक्सक्यूसन केस -12 व मिसलेनियस केस -2 शामिल हैं. इसे प्रति माह औसतन देखा जाय तो हर माह 10 मामलों में फैसले आ रहे हैं. निष्पादित मामलों में अधिकतर पुराने मामले हैं, जहां तक मुकदमों के दर्ज होने के आंकड़े को देखा जाय तो 12 माह में 69 केस दर्ज हुए हैं, जो औसतन प्रति माह छह के लगभग आता है. इसमें उपभोक्ता वाद 47 तथा एक्सक्यूसन के 22 शामिल हैं.
दूसरे अर्थ में कहा जाये तो जिले में बहुत ही कम उपभोक्ताओं की ओर से केस दर्ज कराये गये हैं. हालांकि फोरम के विचाराधीन मुकदमों को देखा जाये तो इसकी संख्या 940 है, जिसका ट्रायल चल रहा है. कुछ मामले में स्टेट फोरम से स्टे लगा दिया गया है. कई मामलों में त्वरित फैसला सुनाया गया और उपभोक्ताओं को न्याय मिला है. एक्सक्यूसन केस में दावाकर्ताओं को विपक्षियों ने आदेशित राशि का चेक दिया व वाद का निष्पादन किया है.उपभोक्ता संरक्षण फोरम का 2004 में हुआ था उद्घाटन
जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम देवघर का उद्घाटन 26 जनवरी 2004 को हुआ था. तत्कालीन अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार सिन्हा ने नये भवन का उद्घाटन किया और लगभग 20 वर्षों से फोरम का सफर जिले में है, जहां पर देवघर व मधुपुर अनुमंडल क्षेत्र के उपभोक्ताओं का दायरा आता है. बाद में उपभोक्ता संरक्षण फोरम काे परिमार्जित कर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग कर दिया गया. वर्तमान में जिला उपभोक्ता फोरम में अध्यक्ष राजेश कुमार हैं, जिन्हें देवघर के अलावा पाकुड़ का भी अतिरिक्त प्रभार मिला है. सप्ताह में तीन दिन पाकुड़ स्थित उपभोक्ता न्यायालय में मामलों की सुनवाई के लिए इन्हें जाना पड़ता है. सदस्य के दो पदों में से महज एक पद पर सुचित्रा झा आसीन हैं. अध्यक्ष का एक पद करीब सात आठ माह से रिक्त है. मामलों की सुनवाई के लिए कम से कम अध्यक्ष व एक सदस्य की अनिवार्यता है.पांच लाख रुपये तक के दावे में कोई शुल्क नहीं
जिला उपभोक्ता आयोग में अब कोई भी उपभोक्ता पांच लाख रुपए तक के दावे के लिए नि:शुल्क आवेदन कर सकता है. इसके पहले उपभोक्ता को एक लाख रुपए के दावे के लिए 100 व एक से 5 लाख के लिए 200 रुपए कोर्ट फीस देनी पड़ती थी. जब से उपभोक्ता आयोग का गठन हो गया है, इसमें पांच लाख रुपए तक के दावे किसी प्रकार के शुल्क नहीं देने का प्रावधान कर दिया गया है. 5 लाख से 10 लाख रुपए तक के दावे के लिए 200 व 10 लाख रुपए से 20 लाख तक के दावे के लिए 400 फीस कर दी गयी है. 20 लाख से 50 लाख रुपये तक के दावे में एक हजार, 50 लाख रुपये से एक करोड़ तक के दावे में चार हजार व एक करोड़ से ऊपर तक के दावे में पांच हजार रुपये शुल्क देने का प्रावधान है.पक्षकार स्वयं भी फोरम में रख सकते हैं अपना पक्ष
कोई भी पक्षकार उपभोक्ता फोरम में वाद दाखिल करने के लिए स्वतंत्र है. पक्षकार चाहे तो अधिवक्ता रख सकते हैं या तो स्वयं भी अपना पक्ष रख सकते हैं. वर्तमान में ऑनलाइन वाद दाखिल करना अनिवार्य कर दिया गया है. वाद दर्ज करने के बाद विपक्षियों को नोटिस दी जाती है व दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आदेश पारित किये जाते हैं. फोरम में अध्यक्ष व दो सदस्यों की बेंच गठित है, जहां पर मामलों की सुनवाई की जाती है और त्वरित न्याय मिला करता है.दाखिल मामले एक नजर में
उपभोक्ता वाद – 47एक्सक्यूसन केस – 22
कुल – 69निष्पादित मामले
उपभोक्ता वाद – 114एक्सक्यूसन केस -12
मिसलेनिसय केस – 02कुल -128
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