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Deoghar News: त्रिकूट पर्वत, जहां रावण को हुए थे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के दर्शन

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Deoghar News: देवघर के कण-कण में भगवान शिव का निवास है. त्रिकूट पर्वत का नाम तीनों देवताओं ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के नाम पर रखा गया है.

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Deoghar News- बाबानगरी देवघर से करीब 20 किलोमीटर दूर हरे-भरे जंगलों के बीच तीन चोटियों वाला त्रिकूट पर्वत है. इस पहाड़ की कहानी त्रेता युग से जुड़ी हुई है. रावण और जटायु के बीच यहां युद्ध हुआ था. यहां एशिया का सबसे ऊंचा (लगभग 1500 फिट) रोपवे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इस पहाड़ में तीन चोटियां हैं जो हिंदू धर्म के तीनों देव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश के नाम पर हैं. इसलिए इसे त्रिकूट पर्वत कहा जाता है. पहाड़ के नीचे बाबा त्रिकुटेश्वर नाथ का मंदिर है, जिसे रावण ने स्थापित किया था.

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बना है रावण के हेलीपैड का मुख्य बिंदु

लोगों का मानना है कि रावण ने शिवलिंग को कैलाश से लंका ले जाने के लिए इस मार्ग का उपयोग किया था. अपनी यात्रा के बीच में वह पहाड़ी की चोटी पर उतरा. इसलिए त्रिकूट पहाड़ के एक बिंदु को रावण का हेलीपैड नाम दिया गया है. कुछ लोग मानते हैं कि यहां माता सीता ने जो दीप जलाया था, वह आज भी मौजूद है. इसे देखने दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं.

चोटी पर है शालिग्राम पत्थर

त्रिकूट पर्वत की चोटी पर विश्व का सबसे बड़ा शालिग्राम पत्थर भी लोगों को अपनी तरफ खींच लाता है. इसे विष्णु टॉप कहा जाता है. जो सिर्फ दो कोण के बीच 14 इंच के फासले पर टिका हुआ है. मान्यता है कि जो इसके बीच से पार हो जाता है उसके ग्रह कट जाते हैं. इसके अलावा यहां घूमने के लिए हाथी पहाड़ भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है. जहां 40 फीट से बड़े हाथी की आकृति का चट्टान है और शेष नाग की आकृति का नाव रूपी आसन भी है, जिसे भगवान विष्णु के शयन के रूप में देखा जाता है.

पहाड़ की चोटी पर जाने के लिए रोपवे की सुविधा

त्रिकूट पर्वत की सारी धार्मिक मान्यताओं के अलावा यहां 1 हजार 282 फीट की सबसे ऊंची चोटी पर ले जाने के लिए रोपवे भी बना हुआ है. जिसकी लंबाई 2 हजार 512 फीट है. 26 ट्रॉलियों वाली ये रोपवे एशिया की सबसे ऊंची रोपवे है, जो पर्यटकों को सिर्फ 8 मिनट में पर्वत के शिखर पर पहुंचा देती है. अगर आप धार्मिक कथाओं के साथ प्रकृति की खूबसूरती, रहस्य और रोमांच का अनुभव करना चाहते हैं तो एक बार त्रिकूट की पहाड़ी पर जरूर आएं.

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