21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

आपके शरीर में स्थित पांच कोशों की भी जानकारी देता है बैद्यनाथ धाम का पंचशूल

Advertisement

बाबा बैद्यनाथ मंदिर के शिखर पर स्थित पंचशूल मानव शरीर में स्थित पांच कोशों की जानकारी देता है. ये पांच कोश इस प्रकार से कहे गये हैं- अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और पांचवां आनंदमय कोश.

Audio Book

ऑडियो सुनें

डॉ मोतीलाल द्वारी. कोश पंचक : बाबा बैद्यनाथ मंदिर के शिखर पर स्थित पंचशूल मानव शरीर में स्थित पांच कोशों की जानकारी देता है. ये पांच कोश इस प्रकार से कहे गये हैं- अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश और पांचवां आनंदमय कोश . मानव शरीर तीन शरीरों का संयुक्त रूप है. स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर. स्थूल शरीर में दो कोश हैं- अन्नमय कोश और प्राणमय कोश. सूक्ष्म शरीर में भी दो कोश हैं-मनोमय कोश और विज्ञान मय कोश, वहीं कारण शरीर में पांचवां कोश आनंदमय कोश है. योग साधक अपनी यात्रा अन्नमय कोश से आरंभ करते हैं. ईश्वर की कृपा से चारों कोशों का भेदन कर आनंदमय कोश में प्रवेश करते हैं. इसी आनंदमय कोश में सच्चिदानंद आत्म तत्व विराजमान रहता है. समाधि में साधक को इनसे साक्षात्कार होता है. यह आनंदमय कोश मनुष्य के हृदय में स्थित है. यही शिव-शिवा रूप ब्रह्म का निवास स्थान है.

- Advertisement -

पंचशूल पांच कोशों की जानकारी देता हुआ आह्वान करता है कि चार कोशों का भेदन कर पांचवें कोश में प्रवेश करो. इस बैद्यनाथ देवालय में उसी आनंदमय कोश हृदयपीठ में आत्म तत्व स्वरूप शिव-शिवा विराजमान हैं. उनका साक्षात्कार करो. बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पांचों कोशों का मानचित्र उपस्थित है. योग शास्त्र कहता है कि सिंह द्वार से अन्नमय कोश में प्रवेश होता है. बैद्यनाथ मंदिर में उत्तरमुखी पहला दरवाजा सिंह द्वार ही है. इसी सिंह से साधक बाबा मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करते हैं. बैद्यनाथ मंदिर के मंझले खंड के दरवाजे पर श्री गणेश विराजमान हैं. यही स्थुल शरीर में स्थित अन्नमय और प्राणमय कोश की सीमा है.

योग शास्त्र के अनुसार, अन्नमय और प्राणमय कोश पर नियंत्र यम, नियम, आसन और प्राणायाम से होता है. बैद्यनाथ की कृपा से इन चारों की उपलब्धि भक्ति से हो जाती है. भक्त बाबा मंदिर के मंझलेखंड के दरवाजे तक पहुंच जाता है. यही अन्नमय और प्राणमय कोश का भेदन है. मंझले खंड के दरवाजे पर स्थित गणेशजी की पूजा अति आवश्यक है. गणेशजी की कृपा से ही हम मंझलेखंड में प्रवेश करते हैं. बाबा बैद्यनाथ मंदिर के मंझलेखंड में दक्षिण और वाम दिशा में दो दरवाजे हैं. बाबा के गर्भ गृह आनंदमय कोश में प्रवेश से पहले दक्षिण और वाम मार्ग की सिद्धियां विघ्न उत्पन्न कर सकती हैं. बिना गणेश के कृपा मिले बाबा तक नहीं पहुंचा जा सकता गणेश जी ही अष्टांग योग का प्रत्याहार संपन्न कराते हैं. यह प्रत्याहार संपन्न नहीं होने पर ऋद्धि सिद्धि हमें विचलित करती हैं.

ऋद्धि-सिद्धि प्रेरहिंबहु भाई।

बुद्धि लोभ दिखावाहिं आई ।।

यदि हम ऋिद्धि सिद्धि पर निंत्रण अष्टांग योग के ध्यान ,धारणा से नहीं करते तो मंझेखंड में स्थित दो दरवाजों से हम बाहर निकल जाते हैं. ये दरवाजे मंझलेखंड के अंतर्गत हैं. ये दक्षिण वाम में स्थित दो दरवाजे दक्षिण और वाम मार्ग की सिद्धियों में उलझे साधक को बाहर का रास्ता दिखा देती है. और गर्भ गृह में स्थित आनंदमय बैद्यनाथ के दर्शन से हम वंचित रह जाते हैं. ध्यान धारणा से सिद्धियों पर नियंत्रण रखने के पश्चात ही समाधि में बाबा बैद्यनाथ के गर्भ गृह में हम प्रवेश करते हैं. और आनंदमय हो जाते हैं. मंझलाखंड सूक्ष्म शरीर मनोमनय कोश और विज्ञानमय कोश में माया की प्रवलता रहती है. श्री गणेश जो महामाया भगवती उमा के अंक में बैठे रहेत हैं यही श्री गणेश साधक को महामाया भगवती की कृपा दिाते हैं और बाबा के अंक में विराजमान वह भगवती साधक को बाबा तक पहुंचा देती है. कारण शरीर गर्भ गृह में बाबा से साक्षात्कार होता है. जैसे साधक योगियों को अपने कारण शरीर के आनंदमय कोश में चैतन्य आत्म तत्व से साक्षात्कार होता है. यही चैतन्य आत्मा सबों के हृदय में स्थित है. जैसे बाबा बैद्यनाथ हृदयपीठ पर आसीन हैं यही सच्चिदानंद हैं. सत्य हैं चित या हृदय में हैं और आनंदमय हैं. आंनद इति परं ब्रह्म पचंशूल हमें मानव शरीर में स्थित पांचों कोशों की जानकारी देते हुए प्रेरित करता है कि योगियों को बड़ी कठिनाई से जो अष्टांग योग सिद्धि होता है, वह बाबा बैद्यनाथ की निश्चल भक्ति से स्वत: सिद्ध हो जाता है. बाबा के प्रति प्रागढ़ भक्ति भाव चाहिए. इसलिए पंचकोशों का मानचित्र बाबा बैद्यनाथ के मंदिर में प्रस्तुत है और साधकों को प्रेरित करता है कि भक्ति भाव से पांचों कोशों का भेदन संभव है. हृदयपीठ के आनंदमय कोश में प्रवेश कर आंनदमय बाबा बैद्यनाथ से साक्षात्कार किया जा सकता है. जो योगियों के लिए भी दुर्लभ है.

(लेखक डॉ मोतीलाल द्वारी, शिक्षाविद् सह हिंदी विद्यापीठ के पूर्व प्राचार्य हैं)

Also Read: बाबा बैद्यनाथ के पंचशूल का पांचवां मंत्र-चिंतामणि, प्रदान करता है सुख-समृद्धि

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें