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सारंडा : थोलकोबाद आवासीय विद्यालय में नहीं हो रहा दाखिला, गरीब बच्चे पढ़ाई से वंचित

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नक्सलियों ने भवन उड़ा दिया, तो स्कूल को मनोहरपुर स्थानांतरित किया, गांव के लोगों को दाखिला की जानकारी नहीं दी, अब सीटें फुल हो गयीं

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गुवा. सारंडा जंगल स्थित थोलकोबाद गांव कभी नक्सलियों का गढ़ रहा था. यहां संयुक्त बिहार के समय से संचालित आवासीय विद्यालय के भवन को नक्सलियों ने उड़ा दिया था. इसके बाद अनुसूचित जनजाति आवासीय विद्यालय थोलकोबाद को मनोहरपुर में स्थानांतरित कर दिया गया था. ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के नाम से संचालित स्कूल में स्थानीय बच्चों का दाखिला नहीं है हो रहा है. इसे लेकर थोलकोबाद व आस-पास के ग्रामीणों में सरकार व शिक्षा विभाग के प्रति आक्रोश है.

वर्ष 2005 से पूर्व 85 बच्चे पढ़ते थे

उल्लेखनीय है कि संयुक्त बिहार के समय थोलकोबाद में स्कूल का निर्माण हुआ था. आवासीय स्कूल खोलने का मुख्य उद्देश्य गरीब आदिवासी बच्चों को प्रारम्भिक शिक्षा देना था. क्षेत्र में स्कूल व आवागमन की सुविधा नहीं थी. वर्ष 2005 से पूर्व अनुसूचित जनजाति आवासीय कैम्प विद्यालय में लगभग 85 बच्चे पढ़ते थे. इस स्कूल भवन को नक्सलियाें ने उड़ा दिया. इस स्कूल को मनोहरपुर में स्थानांतरित कर दिया गया.

स्कूल को फिर गांव में शुरू करने की मांग

थोलकोबाद निवासी बिमल होनहागा, गुमिदा होनहागा आदि ग्रामीणों ने बताया कि हालत यह है कि हमारे गांव के नाम से उक्त आवासीय विद्यालय है, लेकिन थोलकोबाद व आसपास के गांवों के बच्चों का नामांकन नहीं हो रहा है. विद्यालय प्रबंधन ने नामांकन प्रारम्भ होने संबंधी जानकारी नहीं दी. बाद में पता चला कि नामांकन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है. स्कूल में अब सीट खाली नहीं है. ऐसे में गांव के गरीब बच्चे नामांकन के लिए कहां जायें. ग्रामीणों ने सरकार व शिक्षा विभाग से मांग की है कि स्कूल को पहले की तरह हमारे गांव थोलकोबाद में लाया जाये. गांव में नया स्कूल भवन व छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग सीटों की संख्या बढ़ाकर पढ़ाई की बेहतर सुविधा प्रदान की जाये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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