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भारतीय नौसेना में शामिल स्वदेशी युद्धपोत हिमगिरि का बोकारो स्टील प्लांट से क्या है कनेक्शन, पढ़िए ये रिपोर्ट

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बोकारो (सुनील तिवारी) : झारखंड के बोकारो जिले का बोकारो इस्पात संयंत्र पूरे प्रदेश के लोगों के लिए गौरव है. इस स्‍टील प्‍लांट को फिर एक गौरवशाली मुकाम हासिल हुआ, जब भारतीय नौसेना की शक्ति बढ़ाने वाला पोत ‘हिमगिरि' 14 दिसंबर 2020 को नौसेना में शामिल हो गया. रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसइ) द्वारा प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्मित रडार की नजरों से बच सकने वाले पहले युद्धपोत आइएनएस हिमगिरि का जलावतरण कोलकाता में किया गया. इस युद्धपोत में बोकारो स्टील प्लांट का 1800 टन डीएमआर प्लेट व शीट लगा है. सेल के अन्य प्लांटों से भी आपूर्ति की गयी है.

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बोकारो (सुनील तिवारी) : झारखंड के बोकारो जिले का बोकारो इस्पात संयंत्र पूरे प्रदेश के लोगों के लिए गौरव है. इस स्‍टील प्‍लांट को फिर एक गौरवशाली मुकाम हासिल हुआ, जब भारतीय नौसेना की शक्ति बढ़ाने वाला पोत ‘हिमगिरि’ 14 दिसंबर 2020 को नौसेना में शामिल हो गया. रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम गार्डेनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसइ) द्वारा प्रोजेक्ट 17ए के तहत निर्मित रडार की नजरों से बच सकने वाले पहले युद्धपोत आइएनएस हिमगिरि का जलावतरण कोलकाता में किया गया. इस युद्धपोत में बोकारो स्टील प्लांट का 1800 टन डीएमआर प्लेट व शीट लगा है. सेल के अन्य प्लांटों से भी आपूर्ति की गयी है.

भारतीय नौसेना की शक्ति और बढ़ाने वाला पोत हिमगिरि नौसेना की रक्षा तैयारियों को और मजबूती प्रदान करेगा. हुगली नदी के किनारे स्थित जीआरएसइ यार्ड में इस युद्धपोत का जलावतरण किया गया. जलावतरण के बाद यह अत्याधुनिक नौसैन्य पोत गहन परीक्षण से गुजरेगा. उसके बाद इसे नौसेना को सौंपा जायेगा. भारतीय नौसेना के अनुसार, 17ए प्रोजेक्ट के तहत ऐसे तीन युद्धपोतों का निर्माण किया जा रहा है, जिनको दुश्मन की रडार भी टै्रक नहीं कर सकेगी. नौसेना को साल 2023 में पहला युद्धपोत हिमगिरि मिलने की उम्मीद है, जबकि दो अन्य साल 2024 व साल 2025 में सौंपे जायेंगे.

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इन तीनों युद्धपोतों की सबसे बड़ी खासियत है कि ये अत्याधुनिक संसाधनों जैसे बराक-8 मिसाइल और हायपरसोनिक ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों से लैस होंगे. इन युद्धपोतों की लंबाई 149 मीटर व वजन क्षमता लगभग 6670 टन है, जबकि इसकी रफ्तार 28 समुद्री मील प्रति घंटा होगी. ये अत्याधुनिक स्वचालित एकीकृत हथियार प्लेटफॉर्म से युक्त मल्टी रोल वाले पी-17 युद्धपोत भारतीय नौसेना को समुद्र में बाकी देशों के मुकाबले बढ़त दिलाने वाले हैं. यह युद्धपोत पूरी तरह स्वदेशी है और मेक इन इंडिया के तहत इसका निर्माण किया गया है. इस युद्धपोत को दुश्मन के रडार भी टै्रक नहीं कर सकेगी.

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बीएसएल का इस्पात इंडियन नेवी की शक्ति बढ़ा रहा है. बीएसएल में बना ‘फौलाद’ भारतीय नौसेना की पहली पसंद बन चुका है. नौसेना के बेड़े में शामिल देश में बना पहला स्वदेशी युद्धपोत आइएनएस (इंडियन नेवल शिप) विक्रांत हो या फिर युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती. दोनों में बीएसएल के इस्पात का उपयोग किया गया है. इसके अलावे नौसेना के पनडुब्बी व डाइविंग सपोर्ट व्हेकिल (डीएसभी) के निर्माण के लिए भी नियमित रूप से बोकारो के इस्पात की आपूर्ति की जा रही है. इस तरह बोकारो स्टील प्लांट को आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. बीएसएल सहित संपूर्ण सेल के लिए यह गर्व का विषय है.

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भारतीय नौसेना के लिए बोकारो स्टील प्लांट में दो विशेष प्रकार के इस्पात का निर्माण किया जाता है. पहला है डीएमआर 249 ए एवं दूसरा आईआरएस ग्रेड. इसका उपयोग नौसेना के युद्धपोत, पनडुब्बी व डीएसभी में किया जाता है. झारखंड सहित बोकारो के लिए यह गौरव की बात है कि युद्धपोत हिमगिरि से पहले आइएनएस विक्रांत व स्वदेशी युद्धपोत आइएनएस कवरत्ती में बोकारो स्टील प्लांट के इस्पात का उपयोग किया गया है. हर साल नौसेना एवं आयुध कारखानों को लगभग 5000 टन विशेष इस्पात की आपूर्ति बोकारो स्टील से हो रही है. बीएसएल ने युद्धपोत निर्माण के लिए नौसेना को डीएमआर प्लेटों की आपूर्ति की है.

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संचार विभाग के प्रमुख मणिकांत धान बीएसएल ने ‘हिमगिरि’ के लिये 1800 टन डीएमआर प्लेट व शीट की आपूर्ति की है. सेल के अन्य प्लांट से भी आपूर्ति की गयी है. बीएसएल आत्मनिर्भर भारत में योगदान दे रहा है. आइएनएस विक्रांत व कवरत्ती में बीएसएल का इस्पात लगा है. पनडुब्बी व डीएसभी के निर्माण के लिए भी नियमित रूप से इस्पात की आपूर्ति की जाती है. बीएसएल में विशेष प्रकार के इस्पात का उत्पादन रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए हो रहा है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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