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Bokaro News : आज से शुरू होगी बरवाबेड़ा गांव की शिफ्टिंग

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Bokaro News : कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट में शामिल सीसीएल की एकेके माइंस विस्तार को लेकर बरवाबेड़ा गांव को शिफ्ट करने की प्रक्रिया मंगलवार को शुरू होगी.

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बेरमो. कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट में शामिल सीसीएल के बीएंडके एरिया अंतर्गत एकेके परियोजना में माइंस विस्तार को लेकर बरवाबेड़ा गांव को शिफ्ट करने के लिए परियोजना प्रबंधन रेस हो गया है. गांव के लोगों को तीन किमी दूर केएसपी फेज दो परियोजना के पास नये आरआर साइट (पुनर्वास स्थल) में शिफ्ट किया जाना है. बरवाबेड़ा गांव के दरगाह मुहल्ला को जहां शिफ्ट किया जाना है, वहां लगभग 20 करोड़ रुपये से शिफ्टिंग का कार्य संबंधित संवेदक ने किया है. प्रबंधन ने प्रथम चरण में यहां शिफ्ट होने वाले करीब 80 लोगों को प्लॉट आवंटित कर दिया है. इन लोगों को 17 दिसंबर से यहां बसने की तैयारी शुरू करने का अल्टीमेटम दिया गया है. इसको लेकर बोकारो डीसी व बेरमो एसडीओ के निर्देश पर बेरमो सीओ को मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है. प्रबंधन ने भी ग्रामीणों के साथ बैठक कर सारी बातों से अवगत करा दिया है.

पीओ केएस गेवाल ने बताया कि शिफ्टिंग को लेकर प्रबंधन ने तैयारी की है. सीआइएसएफ जवानों के साथ सीसीएल के सुरक्षा कर्मी और पुलिस बल की तैनात रहेगी. दो साल से शिफ्टिंग को लेकर प्रबंधन प्रयास कर रहा है. अब शिफ्टिंग की प्रक्रिया को गति दी जायेगी. जो लोग वहां शिफ्ट नहीं होने की बात कह रहे हैं, वह अपनी दो एकड़ जमीन का कागज दिखायें. निश्चित रूप से उन्हें नियोजन दिया जायेगा. इधर, बेरमो सीओ ने कहा कि शिफ्टिंग कराना प्रबंधन का काम है. प्रशासन की जहां जरूरत होगी, प्रबंधन की मदद करेंगे.

शिफ्टिंग के बाद मिलेगा 40 मिलियन टन कोयला

बरवाबेड़ा गांव की शिफ्टिंग के बाद सीसीएल को इस गांव के भू-गर्भ से करीब 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा. सालाना सात से 11 मिलियन टन तक कोयला सात साल तक उत्पादन किया जा सकेगा. बरवाबेड़ा गांव के करीब 250 घरों को शिफ्ट किया जाना है. पहले फेज में शिफ्टिंग के लिए गांव के दरगाह मुहल्ला के करीब 80 लोगों को पांच-पांच डिसमिल जमीन दी गयी है. अन्य लोगों की शिफ्टिंग के लिए कागजी कार्रवाई चल रही है. दरगाह मुहल्ला के 37 लोगों का शिफ्टिंग के लिए प्रबंधन ने एसेसमेंट किया है. इनके घर के एवज में मुआवजा देना है, जिसके लिए प्रबंधन के पास फिलहाल चार करोड़ रुपया सीसीएल मुख्यालय से आया हुआ है. जो लोग नये पुनर्वास स्थल में शिफ्ट नहीं होना चाहते हैं, उन्हें छह लाख रुपये दिये जायेंगे. इसके अलावा शिफ्ट होने वाले लोगों को कोल इंडिया की एन्युटी स्कीम का लाभ भी मिलेगा.

गोविंदपुर के विस्थापित रैयत कर रहे विरोध

इधर, नये पुनर्वास स्थल में बरवाबेड़ा गांव को शिफ्ट किये जाने का विरोध गोविंदपुर के विस्थापित रैयत कर रहे हैं. उनका कहना है कि उनकी जमीन 80 के दशक में सीसीएल ने अधिग्रहित की थी और 84 विस्थापितों को नौकरी देने का एग्रीमेंट हुआ था. लेकिन 63 लोगों को नौकरी दी गयी. 21 लोगों को नौकरी अभी तक नहीं मिली है. ऐसे में पुनर्वास स्थल की जमीन हमारी है. जब तक बकाया नौकरी नहीं मिलेगी, यहां बरवाबेड़ा गांव के लोगों को प्लॉटिंग नहीं करने देंगे. वर्ष 2020 में नये पुनर्वास स्थल में संवेदक ने काम शुरू किया तो गोविंदपुर के विस्थापित रैयतों ने विरोध किया. आंदोलन के क्रम में 32 जोड़ा हल के साथ उक्त स्थल पर कुरथी बोयी गयी थी. इसके बाद लगातार 21 दिनों तक धरना दिया गया. बाद में बेरमो विधायक कुमार जयमंगल व बेरमो एसडीएम की मध्यस्थता में विस्थापित रैयतों की दो-तीन राउंड बैठक हुई. सीसीएल सीएमडी स्तर पर भी दो राउंड विधायक की मौजूदगी में वार्ता हुई. विस्थापित संघर्ष समिति के अनुसार विस्थापितों ने सीसीएल प्रबंधन को अपनी जमीन की वंशावली भी प्रस्तुत की. लेकिन प्रबंधन का कहना है कि जिस वक्त जमीन अधिग्रहण किया गया था, उसी वक्त सभी 84 विस्थापित रैयतों को नौकरी दे दी गयी थी. दूसरी ओर परियोजना प्रबंधन का कहना है कि सीओ की मध्यस्थता में ऑन रिकाॅर्ड विस्थापितों से कहा गया कि अगर उनके पास कागजात है तो दिखाएं, लेकिन विस्थापितों ने कागजात सबमिट नहीं किया.

पुनर्वास स्थल का काम समाप्त, अभी तक प्रबंधन को हैंड ओवर नहीं

जानकारी के अनुसार नये पुनर्वास में संबंधित संवेदक ने वर्ष 2023 में काम समाप्त कर दिया है, लेकिन प्रबंधन को अभी तक हैंड ओवर नहीं किया गया है. जानकारी के अनुसार सीसीएल प्रबंधन को पोल व लाइट लगाने के लिए संवेदक को देना था. लेकिन प्रबंधन द्वारा इस पर पहल नहीं किये जाने के बाद संवेदक ने हैंड ओवर के लिए प्रबंधन को पत्राचार किया. फिलहाल अभी तक प्रबंधन ने हैंड ओवर नहीं लिया है. पीओ के अनुसार संवेदक को एरिया के एसओसी को हैंड ओवर देना है. इस संबंध में एसओसी का कहना है आरआर साइट में अभी कुछ काम शेष है, इसलिए हैंड ओवर नहीं लिया गया है. मालूम हो कि नये पुनर्वास स्थल में दो जगह चहारदीवारी की गयी है. एक चहारदीवारी के अंदर मस्जिद व मदरसा का निर्माण कराया गया है. दूसरी चहारदीवारी में नाली व पीसीसी पथ का निर्माण कराया गया है. 14 करोड़ 61 लाख 65 हजार 896 रुपये की लागत से संजय कंस्ट्रक्शन ने इस काम को लिया था. बाद में पेटी पर 85 फीसदी काम दूसरे संवेदक ने किया. छह सितंबर 2020 को इसका काम शुरू हुआ तथा 2023 में काम समाप्त हो गया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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