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Ram Navami: विंध्यवासिनी धाम में 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किये माता के दर्शन, पढ़ें आंखों देखी

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मिर्जापुर से लेकर विध्यांचल का पूरा इलाका विंध्यवासिनी मां के दर्शन को लेकर श्रद्धालुओं से पटा रहा. कहीं माई के गीत-संगीत व भजन गाये जा रहे, तो मंदिर में श्रद्धालु लगा जय माई के गगनभेदी नारे लगा रहे. महाअष्टमी और महानवमी के मौके पर करीब पांच लाख श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किये.

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बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर भक्तों की विध्यांचल मां के प्रति श्रद्धा और भक्ति देखते बनती है. देश भर से लाखों की संख्या में आकर श्रद्धालुओं ने माई के दर्शन किये. हर तरफ ‘जय हो माई’ की गूंज है. श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी है कि मंदिर परिसर में कहीं भी पैर रखने की जगह नहीं थी. मंदिर तक पहुंचने के लिए रात बारह बजे से ही हजारों महिला और पुरुष श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग जा रही है. महाअष्टमी और महानवमी में विध्यांचल मां के मंदिर में क्या थी हलचल, बता रहे आंखों देखा हाल.

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मां के दरबार में हर कोई आने को आतुर

कोई अपने बच्चे को कंधे में टांगे हुए, तो कोई सीने से चिपकाये. कोई हाथ में अपने बोरिया बिस्तर और मां का प्रसाद हाथों में लेकर ही घंटों कतार में माई के दर्शन के लिए खड़ा है. विध्यांचल स्टेशन से लेकर बस स्टैंड, वाहन पार्किंग, धर्मशाला, होटल में हर जगह हजारों श्रद्धालु जमा हैं. स्टेशन व बस स्टैंड में तो हजारों श्रद्धालुओं ने सपरिवार जमीन पर ही अपना रैन बसेरा बना लिया है. लोग वहीं लकड़ी की आग पर लिट्टी-चोखा सहित भात-दाल-रोटी व सब्जी बनाकर जमीन पर ही बैठकर उसका आनंद ले रहे हैं. लोगों की बस यही चाहत है कि किसी तरह माई के दर्शन हो जाये.

मुस्तैद है उत्तर प्रदेश की पुलिस

पूरे मंदिर परिसर से लेकर विध्यांचल के चप्पे-चप्पे पर उत्तर प्रदेश पुलिस पूरी मुस्तैदी से श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ को नियंत्रित करने में लगी है. किसी का कोई सामान तथा परिवार का कोई सदस्य कहीं भीड़ में खो गया तथा उसके बरामदगी के बाद तुरंत पुलिस चौकी से लाउडस्पीकर के माध्यम से भक्तों को सूचना दी जा रही है. भक्तों का एक ही लक्ष्य है कि किसी तरह मंदिर के अंदर से विंध्यवासिनी मईयां के चरणों तक संभव नहीं हो, तो कम से कम माई के मंदिर की दीवार पर ही अपना मत्था टेक दें. माई के दरबार राजा-रंग में कोई अंतर नहीं. सारे भक्तों को एक ही फाटक से मंदिर के अंदर प्रवेश कराया जा रहा है. अगर कोई वीआईपी आ गये, तो उन्हें पुलिस और पंडाओं की मदद से दर्शन व कतारबद्ध होने में थोड़ी छूट दी जा रही है.

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महिलाएं गा रही थीं माई के कर्णप्रिय गीत

मंदिर परिसर से तीन-चार किमी दूर तक कतार में हजारों की संख्या में खड़ी महिला श्रद्धालुओं द्वारा गाये जा रहे माई के कर्णप्रिय गीत अद्भुत आध्यात्मिक छटा बिखेरते रहे. कहीं महिलाएं गा रही थी ‘ऊंचे पहड़ियां में बसी गईले है विध्यांचल माई… तो कहीं लोग गा रहीं थी सातो रहे बहनिया आ गईली तोहरे चरनी है मईया..’ ‘ है माई हमर दुखवा हरा हो माई.. वहीं पुरुष श्रद्धालुओं के भी जय माई के उद्घोष से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान होता रहा. कई साधु-संतों की टोली भी भजन-कीर्तन के साथ मंदिर में प्रवेश करती रही तथा माई का दर्शन किया.

महाअष्टमी व महानवमी में पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किया दर्शन

ऐसे तो पूरे नवरात्र के दौरान विध्यांचल में विंध्यवासिनी माई के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन सप्तमी, अष्टमी व नवमी के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. बुधवार को महाअष्टमी व गुरुवार को महानवमी के दिन तकरीबन पांच लाख से ज्यादा लोगों ने माई का दर्शन किया. सप्तमी को रात 11.30 बजे से लेकर रातभर हजारों श्रद्धालुओं का यहां माई के दर्शन के लिए तांता लगा रहा. पंडा विद्यवासिनी त्रिपाठी उर्फ तिकड़म बाबा के अनुसार नवरात्र में यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

मां का मंगला आरती और राजश्री शृंगार

विध्यांचल में विंद्यवासिनी माई का रोजाना चार तरह का शृंगार होता है. प्रात 3.30 बजे से 4 बजे तक माई का मंगला आरती शृंगार होता है. इसके बाद फिर दोपहर में 12 बजे से एक बजे तक माई का राजश्री शृंगार होता है. पुन: शाम 7.15 से 8.15 बजे तक माई की छोटी आरती शृंगार व फिर रात्रि में 9.30 बजे 10.30 बजे तक बड़ी आरती शृंगार होता है. इन सभी शृंगार में माई के चार अद्भत व अलौकिक रूप के दर्शन होते हैं. प्रात: काल में ही झांकी दर्शन भी होता है, जिसे भी साक्षात माई को देखने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं. हर शृंगार में मां को अलग-अलग वस्त्र, शृंगार व आभूषण के साथ-साथ सुगंधित फूलों से सजाया जाता है. चंदन, ईत्र, पवित्र जल सहित कई तरह के शृंगार से मां को सजाया जाता है. भक्तों का विश्वास ऐसा कि हर शृंगार में भक्त माई के चरणों में अपनी इच्छानुसार फल-फूल, साड़ी, आभूषण व राशि अर्पण करते हैं तो माई के शृंगार में भागीदार बनकर अपने को तृप्त करते हैं.

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चहूं ओर ढोल-ढाक की गूंज व गगनभेदी नारे

मंदिर परिसर में ढोल-ढाक की आवाज के साथ-साथ पुजारियों के चिल्लाने की आवाज व भक्तों के जय माई के गगनभेदी नारे गूंजते रहते हैं. मंदिर परिसर से जितनी तेजी से भक्त माई के मंदिर में प्रवेश करते हैं, उतने ही तेजी से पंडा व पुलिस उन्हें बाहर निकाल देते हैं. दर्जनों श्रद्धालु तो बाहर से ही अपने पूजा के फूल व प्रसाद चढ़कर तथा माई को प्रणाम कर वहां से निकल जाते हैं. दर्शन के लिए मिले कई भक्तजन पूछे जाने पर कहते हैं, विध्यांचल की माई सभी के दुखों का तारणे वाली देवी है. जो भी भक्त श्रद्धा व आस्था के साथ माई के चरणों में मत्था टेकता है, उसे माई अपना आशीर्वाद अवश्य ही देती हैं. यहां मां साक्षात रूप से विराजी हुई हैं.

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