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पंडित नेहरू ने बोकारो थर्मल में एशिया के पहले पावर प्लांट का किया था उद्घाटन, जानें पहले PM की खास बातें

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14 नवंबर को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जयंती है. पंडित नेहरू का झारखंड से नाता रहा है. 1953 में DVC के बोकारो थर्मल में एशिया के पहले पावर प्लांट का उद्घाटन किया था. वहीं, पंडित नेहरु को देखने और सुनने के लिए BTPS में काफी भीड़ उमड़ी थी.

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Jharkhand News: 14 नवंबर को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती है. पंडित नेहरू का झारखंड से लगाव रहा है. बेरमो कोयलांचल अंतर्गत DVC के बोकारो ताप विद्युत केंद्र (Bokaro Thermal Power Station- BTPS) में एशिया का पहला तथा देश भारत का पहला बहुउद्देशीय पावर प्लांट (Multipurpose Power Plant) वर्ष 1952 में एक प्लांट के रूप में यहां आया था. स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के इस पहले पावर प्लांट का उद्घाटन 21 फरवरी, 1953 को किया. इस प्लांट को यूएसए तथा वेस्ट जर्मनी के सहयोग से भारत ने बनाया था.

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तीन यूनिट से 172.5 मेगावाट विद्युत जेनरेशन की क्षमता

तीन यूनिट वाले इस प्लांट के एक नंबर यूनिट से 57.5 मेगावाट, दो नबंर यूनिट से 67.5 मेगावाट तथा तीन नंबर यूनिट से 57.5 मेगावाट समेत कुल 172.5 मेगावाट विद्युत जेनरेशन की क्षमता थी. बाद के वर्षों में इसका चार नंबर यूनिट अस्तित्व में आया था, जिसकी उत्पादन क्षमता 75 मेगावाट की थी. 17 जुलाई, 2000 को किसी कारणों (प्रदूषण नियंत्रण मानक को पूरा नहीं करने के कारण) से इस प्लांट को बंद कर दिया गया.

2011 से इसका निर्माण कार्य शुरू

BTPS के पुराने A प्लांट के स्थान पर भेल कंपनी (BHEL Company) ने करीब चार हजार करोड की लागत से 500 मेगावाट क्षमता का नया प्लांट का निर्माण किया. वर्ष 2011 से इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ. कुछ तकनीकी कारणों से इसके निर्माण में विलंब हुआ. 22 फरवरी, 2017 के रात 12 बजे से इस नये-A प्लांट से विद्युत जेनरेशन शुरू हो गया. हालांकि, अभी भी पूरी तरह से पुराने A प्लांट का अस्तित्व बरकरार है. आज तक DVC ने इस प्लांट को डेमोलिश नहीं किया है.

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प्लांट में बनने वाली वॉल पेंटिंग को लेकर नेहरू ने उद्घाटन की तारीख बढ़ायी थी

कहते हैं जब BTPS का A प्लांट बनकर तैयार हुआ, तो प्लांट में वॉल पेेंटिंग का निर्माण समय पर पूरा नहीं हो पाया था, जिसके कारण प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्लांट के उद्घाटन की तारीख को बढ़ाया था. बोकारो थर्मल निवासी एवं शांति निकेतन, कोलकाता से जुड़ी कलाकार विनीता बंधोपाध्याय कहती हैं कि शांति निकेतन कला भवन, कोलकाता के निदेशक रहे नंदलाल बोस ने ए प्लांट में वॉल पेंटिंग का ले-आउट तैयार किया था, जिसे सुरेंद्रनाथ कौर ने प्लांट में उकेरा था. विनिता कहती हैं कि ए प्लांट के पूरे वॉल पेंटिंग को नेहरू जी ने देखने के बाद इसे काफी सराहा था. बनाये गये वॉल पेंटिंग में जहां उस वक्त एकीकृत बिहार-झारखंड की संस्कृति को दर्शाया गया था, वहीं एक पुरुष और महिला को टोकरी लिए हुए दिखाया गया था, जिसका अर्थ था कर्म ही पूजा है. इसके अलावा पांच महिलाओं का आकर्षक वॉल पेंटिंग भी बनाया गया था, जिसे पंच शखी कहा गया. इस वॉल पेंटिंग के माध्यम से दर्शाया गया कि हमें इसी पंचतत्व में विलीन हो जाना है.

प्लांट के अंदर ही स्टूल पर बैठकर नेहरू ने सभा को किया था संबोधित

स्पेशल सैलून से बोकारो थर्मल आने के बाद प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ए प्लांट के अंदर ही एक साधारण से स्टूल पर बैठक प्लांट के मजदूरों को संबोधित किया था. उस वक्त प्लांट के अधिकारियों, मजदूरों सहित बोकारो थर्मल और आसपास के क्षेत्र के लोगों में नेहरू को देखने एवं सुनने को लेकर काफी उत्सुकता थी. नेहरू बोकारो थर्मल के गेस्ट हाउस में रुके थे.

माली बोधी राम को मेड इन यूएसए का रेजर दिया

उस वक्त गेस्ट हाउस में माली के रूप में बोधी राम माली कार्यरत थे. कहते हैं कि गेस्ट हाउस का बगान घूमने के दौरान जब माली बोधी राम पर पंडित नेहरू की नजर पड़ी, तो उन्होंने उन्हें पास बुलाया तथा पूछा कि आपने इतनी दाढ़ी क्यों बढ़ा रखी है? माली ने जवाब दिया कि उनके गांव में 10-15 दिनों में एक बार ठाकुर आता है. इसलिए नियमित रूप से दाढ़ी नही बना पाते हैं. यह सुनकर नेहरू  ने अपना मेड इन यूएसए का रेजर जो प्लेटिनम का था, उसे बक्से समेत बोधी राम माली को दे दिया. आज भी बोधी राम माली के परिवार ने नेहरू द्वारा दिये गये उस रेजर को काफी सहेज कर रखा है.

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हजारीबाग के बांका के रहने वाले थे बोधी राम माली

बोधी राम माली का परिवार बोकारो थर्मल से सटे गोविंदपुर एफ पंचायत के लहेरियाटांड में वर्ष 1949 में हजारीबाग के कटकमसांडी के बांका से आये थे. बोधी राम महली 1974 में डीवीसी से सेवानिवृत हुए थे. उनके पुत्र देवनारायण प्रसाद भी डीवीसी बोकारो थर्मल में कार्यरत थे जो वर्ष 2011 में सेवानिवृत हुए. देवनारायण प्रसाद के एक भाई भीम प्रजापति डीवीसी में ही सप्यालर है तथा एक भाई कृष्णा प्रजापति सीसीएल में सेवारत है. देवनारायण प्रसाद के पुत्र गुलाबचंद्र प्रजापति दामोदर बचाओ अभियान से जुडे हुए है. गुलाबचंद्र प्रजापति कहते हैं कि उनकी दादी दाहनी देवी बचपन में बताती थी कि गेस्ट हाउस में देश के बड़े साहब आये थे, वहीं तुम्हारे दादा को दाढ़ी बनाने वाला रेजर दिये थे.

अतीत को याद कर आज भी रोमांचित हो उठते है उस वक्त के कुछ लोग

BTPS A प्लांट के उद्घाटन के समय कंस्ट्रक्शन कंपनी के अंदर काम करने वाले बोकारो थर्मल में अभी भी कुछ लोग हैं जो अतीत को याद कर रोमांचित हो उठते हैं. जब ए प्लांट बना था उस वक्त इसके पहले मुख्य अभियंता जिन्हें उस समय जनलर सुपरिटेंडेंट कहा जाता था उनका काम एएल लहरी था. कई लोगों ने उस वक्त नेहरू जी को देखा और उनका भाषण सुना था. ऐसे लोग कहते हैं कि पंडित नेहरू के 15 वर्ष के कार्यकाल में हिंदुस्तान का विकास हुआ. उद्योग धंधे स्थापित हुए. ए प्लांट के बंद होने का भी उन्हें काफी दुख है. उनका कहना है कि ए प्लांट अभी भी 20 साल आसानी से चल सकता था. उस प्लांट में ऐसी मशीनरी लगी हुई थी कि एक के बंद होने से दूसरे मशीन से विद्युत उत्पादन जारी रहता था. यूएसए की आरएल कूक कंपनी ने प्लांट में हैवी मशीनरी का सारा काम किया था.

रिपोर्ट : राकेश वर्मा, बेरमो, बोकारो.

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