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बोकारो : बिरहोर डेरा जाने के लिए नहीं है पक्की सड़क, प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को खाट पर लेकर चले परिजन

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ललपनिया के तिलैया के समीप महिला ने वाहन में ही बच्चे को जन्म दे दिया. इसके बाद परिजन उसे घर ले आये. जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. महिला को पहले से ही दो बच्चे हैं. महिला का पति संजय किस्कू रोजगार की तलाश में मुंबई गया हुआ है.

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ललपनिया (बोकारो), नागेश्वर : गोमिया प्रखंड की सियारी पंचायत के संताली बहुल गांव बिरहोर डेरा की एक महिला को प्रसव पीड़ा के बाद खाट पर टांग कर परिजन व ग्रामीण गांव से तीन किलोमीटर दूर टुटी झरना ले गये. वहां से निजी वाहन से उसे रामगढ़ ले जाया जा रहा था. इसी दौरान ललपनिया के तिलैया के समीप महिला ने वाहन में ही बच्चे को जन्म दे दिया. इसके बाद परिजन उसे घर ले आये. जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. महिला को पहले से ही दो बच्चे हैं. महिला का पति संजय किस्कू रोजगार की तलाश में मुंबई गया हुआ है.

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जानकारी के अनुसार, गुरुवार को अपराह्न करीब तीन बजे बिरहोर डेरा गांव निवासी तालो मांझी (32 वर्ष) प्रसव पीड़ा से बेचैन हो उठी. जब पड़ोस के लोगों को पता चला तो 108 एंबुलेंस को फोन किया. गांव आने के लिए रास्ता ठीक नहीं रहने पर ग्रामीण आनन-फानन में खाट पर टांग कर महिला को बोकारो नदी पार कर करीब तीन किमी दूर टुटी झरना के पास ले आये. वहां से इलाज के लिए निजी वाहन से बाहर ले गये. ग्रामीणों ने बताया कि महिला को डुमरी से गोमिया अस्पताल ले जाते, लेकिन पांच किमी रास्ता काफी खराब है. ग्रामीणों ने बताया कि 108 एंबुलेंस टूटी झरना के पास पहुंची थी, लेकिन उससे पहले दूसरे वाहन से वे लोग महिला को बाहर लेकर चले गये.

पथ है जर्जर, गांव में चार वर्ष से बिजली नहीं

महिला की मदद के लिए आगे आये सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर मांझी, अघनू मांझी, रामजी मांझी, भादो मांझी, सुनीता देवी, बसंती देवी आदि ने बताया कि गांव में विगत चार वर्षों से बिजली नहीं है. वहीं आवागमन का पथ भी काफी जर्जर है. गांव में इलाज की कोई सुविधा नहीं है. आपातकालीन स्थिति में भगवान ही मालिक है.

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