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Navratri 2023: बोकारो का यह दुर्गा मंदिर 302 साल पुराना, 16 दिनों तक होती है विशेष पूजा

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चास (बोकारो) : कोलबेंदी गांव का यह दुर्गा मंदिर 302 साल पुराना है. यहां विशेष प्रकार से पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों के बदले 16 दिनों तक पूजा की जाती हैं. यहां जितिया पर्व के पारण के दिन ही कलश स्थापना व बकरा का बलि देकर पूजा शुरू कर दी जाती है.

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चास (बोकारो), संतोष कुमार : बोकारो जिले के चास प्रखंड के कोलबेंदी गांव में आयोजित दुर्गापूजा की चर्चा पूरे प्रदेश में होती है, क्योंकि यहां 16 दिनों तक पूजा की जाती है. 17वें दिन देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है. कोलबेंदी में पूजा की यह परंपरा 302 वर्ष पुरानी है. यहां जितिया पर्व के पारण के दिन कलश स्थापना व बकरा बलि देकर पूजा शुरू करने की परंपरा है. पंचमी से नवमी तक प्रत्येक दिन बकरों की बलि दी जाती है. खासकर नवमी के दिन सैकड़ों बकरों की बलि दी जाती है.

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आस्था का केंद्र है यह मंदिर

कोलबेंदी के दुर्गा मंदिर की स्थापना गांव के जमींदार ठाकुर किशन देव ने की थी. एक ही पटरा पर 10 देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है. इनमें मां दुर्गा के अलावा मां लक्ष्मी, सरस्वती, श्री गणेश, कार्तिक, जया, विजया, महिषासुर आदि की प्रतिमाएं होती हैं. देवी-देवताओं के वाहनों की प्रतिमाएं भी उसी पटरे पर होती है. मूर्तिकार द्वारा मंदिर में ही मूर्तियों का निर्माण किया जाता है. यह मंदिर चास-चंदनकियारी के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. विजयादशमी को यहां भव्य मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है.

मन्नत होती है पूरी

माना जाता है कि दुर्गा पूजा के दौरान जो भी मां दुर्गा से मन्नत मांगता है, तो उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है. जमींदार किशन देव के वंशज ही वर्षों से मंदिर में पूजा व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते आ रहे हैं. वर्तमान में दुर्गा प्रसाद देव, प्रताप देव, विजय कुमार देव, जन्मेजय देव, नंदकिशोर देव, दीपक देव, अशोक देव, राजकुमार देव, प्रदीप देव ,जगन्नाथ देव, अमर शंकर देव, पुजारी सोमनाथ बनर्जी, मिहिर बनर्जी सहित अन्य दुर्गा पूजा को भव्य और सफल बनाने में लगे हुए हैं.

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