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Lockdown : मां के अंतिम संस्कार में नहीं हो सके शामिल, बोले- दिल्ली में फंसे लोगों को मेरी जरूरत

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शकील-उर-रहमान ने अपनी मां को आखिरी बार दिसंबर में तब देखा था जब वह बिहार के समस्तीपुर से यहां इलाज के लिए आयीं थी, लेकिन यह उनकी आखिरी मुलाकात साबित हुई. शकील-उर-रहमान की मां का हाल में निधन हो गया और वह मां को आखिरी बार भी देख नहीं सके.

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नयी दिल्ली/समस्तीपुर : शकील-उर-रहमान ने अपनी मां को आखिरी बार दिसंबर में तब देखा था जब वह बिहार के समस्तीपुर से यहां इलाज के लिए आयीं थी, लेकिन यह उनकी आखिरी मुलाकात साबित हुई. शकील-उर-रहमान की मां का हाल में निधन हो गया और वह मां को आखिरी बार भी देख नहीं सके.

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सोचा था लॉकडाउन खत्म होने के बाद मिलूंगा, लेकिन…

चालीस साल के कारोबारी ने रविवार को बताया, “मैंने सोचा था कि मैं लॉकडाउन (बंद) खत्म होने के बाद उनसे मिल लूंगा. लेकिन, हर चीज वैसी नहीं होती है जैसा हम सोचते हैं.” शकील-उर-रहमान कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू 21 दिन के बंद के दौरान मजदूरों को खाना खिलाने के लिए आश्रम चौक जाने की तैयारी कर रहे थे.

दिल्ली में ट्रेवल एजेंसी चलाते है रहमान

राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले रहमान की मां का शुक्रवार सुबह इंतकाल (देहांत) हो गया. उनके दोस्तों ने उनसे बिहार जाकर अपनी मां को आखिरी बार देखने को कहा. मगर रहमान का कहना था, मेरी जरूरत दिल्ली में है. मुझे यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसी की भी मां भूख से नहीं मरे.”

प्रशासन से गुजारिश को रहमान ने कर दिया इन्कार

रहमान के दोस्त मुस्लिम मोहम्मद ने कहा, हम (दोस्त) उन्हें उनके परिवार से मिलने के लिए जाने देने के लिए प्रशासन से गुजारिश कर सकते थे, लेकिन रहमान ने इससे इन्कार कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर वह मुसीबत में फंसे जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकें, तो यही उनकी मां को सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

मां से आखिरी बार मिलने की इच्छा रह गयी अधूरी : रहमान

रहमान ने कहा, “उनकी तबीयत कुछ समय से ठीक नहीं थी. हां, मैं उनसे मिलना चाहता था, उन्हें आखिरी बार देखना चाहता था, लेकिन सारी इच्छाएं पूरी नहीं होती हैं.” उनकी मां नौशिबा खातून की तदफीन (दफन) उनके रिश्तेदारों ने कर दी. वहीं रहमान पूरी दिल्ली में जरूरतमंदों, बेघरों और प्रवासी कामगारों को खाने के पैकेट बांट रहे हैं.

अबतक करीब 800 परिवारों की मदद कर चुके हैं रहमान और उनके दोस्त

रहमान के दोस्त मुस्लिम मोहम्मद ने बताया कि परिवार के एक सदस्य ने शुक्रवार सुबह सात बजे फोन कर के बताया कि उनकी मां का इंतकाल हो गया. इसके कुछ घंटे बाद वह बेघर लोगों को खाना पहुंचाने निकल गये रहमान और उनके दोस्त अबतक राष्ट्रीय राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में करीब 800 परिवारों की मदद कर चुके हैं.

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