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बिहार जमींदारी उन्मूलन क्षतिपूरक बांड की राशि कोई लेने वाला नहीं, सरकार ने 50 साल पहले किया था जारी

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पिछले 50 साल से रिजर्व बैंक में रखे बिहार जमींदारी उन्मूलन क्षतिपूरक बांड का भुगतान लेने के लिए आने वाले जमींदारों के वारिसों की संख्या नहीं के बराबर रही है. रिजर्व बैंक द्वारा बांड पेपर वापस लेने के आग्रह के बाद सरकार ने इससे वापस लेने का निर्णय लिया है.

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कैलाशपति मिश्र,पटना. बिहार में वर्ष 1972-74 में जमींदारी उन्मूलन कानून लागू होने के बाद राज्य सरकार द्वारा जमींदारों के लिए क्षतिपूरक बांड जारी किया गया था. इस बांड की अवधि 40 साल रखी गयी थी और इस पर सालाना 2.5% की दर से ब्याज देय था. बांड सर्टीफिकेट रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के पटना कार्यालय को दी थी. बदले में सरकार रिजर्व बैंक को सालाना करीब 46 लाख देती थी. पिछले 50 साल से रिजर्व बैंक में रखे इस बांड का भुगतान लेने के लिए आने वाले जमींदारों के वारिसों की संख्या नहीं के बराबर रही है. रिजर्व बैंक द्वारा बांड पेपर वापस लेने के आग्रह के बाद सरकार ने इससे वापस लेने का निर्णय लिया. इस बांड को संभालने और रखने के लिए वित्त विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है. वित्त विभाग, रिजर्व बैंक से वापस लाकर सभी बांड सर्टीफिकेट को सिंचाई भवन स्थित कोषागार में सुरक्षित रखेगा.

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बांड में बिहार-झारखंड की हिस्सेदारी

बिहार जमींदारी उन्मूलन क्षतिपूरक बांड में की राशि 50, 100, 200, 500, 1000, 5000 और 100000 रुपये के कुल 463152 स्क्रिप्ट जारी की गयी थी. इसकी कुल राशि 25 करोड़ है. चूंकि इसमें झारखंड की भी हिस्सेदारी है. इसलिए 15 नवंबर, 2000 को बिहार-झारखंड के बीच इसका बंटवारा हुआ. बिहार की हिस्सेदारी में 74.71 फीसदी और झारखंड की 26.29 फीसदी निर्धारित की गयी है.

क्या है बिहार जमींदारी उन्मूलन क्षतिपूरक बांड

दरअसल, सरकार ने वर्ष 1972-74 में जमींदारों से उनकी जमीन-जायजाद का अधिग्रहण कर लिया था. बदले में उन्हें विभिन्न मूल्य के बांड दिये गये थे. जिसकी अवधि चालीस साल रखी गयी थी. इस पर सालाना 2.5% की दर से ब्याज देने का प्रावधान किया गया था.

अब बांड भुगतान के लिए जमींदारों के वारिस को कहां करना होगा आवेदन

अब बांड के भुगतान की राशि लेने के लिए जमींदारों के वारिस को वित्त विभाग में आवेदन करना होगा. विभाग द्वारा संबंधित आवेदन और बांड सर्टीफिकेट की जांच कर भुगतान योग्य पाये जाने पर वित्त विभाग के स्तर से इन दावों के विरुद्ध नियमानुकूल भुगतान की कार्रवाई करते हुए कोषागार के माध्यम से धारक को सीधे उनके बैंक खातें में बकाये शेष की राशि का ट्रांसफर किया जायेगा.

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सरकार को क्या होगा फायदा

पिछले 50 साल में राज्य सरकार ने बांड रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को करीब 1250 करोड़ दिया है. तत्कालीन प्रावधान के अनुसार सरकार को प्रति स्क्रिप्ट दस रुपये रिजर्व बैंक को देती रही है. 463152 स्क्रिप्ट को दस से गुना करने पर यह राशि करीब 463152 रुपये बैठती है. अब सरकार को सालाना 463152 रुपये का बचत होगा.

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