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‘युवा हल्ला बोल’ के अध्यक्ष अनुपम पहुंचे सहरसा, कहा- बेरोज़गारी आज जीवन मरण का सवाल बन चुका है

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सहरसा के एमएलटी कॉलेज के सभागार में युवा हल्ला बोल' के अध्यक्ष अनुपम पहुंचे. वहां उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बोझा ढोने और ठेला चलाने के लिए बिहार के लोगों को हजारों किलोमीटर दूर बम्बई दिल्ली जाना पड़ता है. बंद पड़े चीनी, पेपर और जूट मिलों को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए.

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सहरसा. देश में बेरोज़गारी के मुद्दे को लेकर ‘युवा हल्ला बोल’ संस्थापक और अध्यक्ष अनुपम यात्रा कर रहे हैं. इस क्रम में वे सहरसा पहुँचे. वहां उन्होंने कहा कि बेरोज़गारी संकट के समाधान के तौर पर ‘भारत रोज़गार संहिता’ का प्रस्ताव दिया है. ‘भारत रोज़गार संहिता’ को संक्षिप्त में भ-रो-सा कहा जा रहा है. बता दें कि ‘हल्ला बोल यात्रा’ की शुरुआत 16 अगस्त को भितिहरवा स्थित गाँधी आश्रम से सादगी भरे एक कार्यक्रम से हुई थी.

‘बेरोज़गारी आज जीवन मरण का सवाल बन चुका है’

जिले के एमएलटी कॉलेज के सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अनुपम ने कहा कि बेरोज़गारी आज जीवन मरण का सवाल बन चुका है. भविष्य को लेकर युवाओं में अनिश्चितता और अंधकार इस कदर है कि हताशा बढ़ती जा रही है. बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या की खबरें अब आम बात होती जा रही है. इस कारण से युवाओं का सरकार से भरोसा उठता जा रहा है. अब युवाओं को चाहिए भ-रो-सा यानी ‘भारत रोजगार संहिता’ सरकार देश के सभी रिक्तियों को अविलंब भरे और ‘भर्ती आचार संहिता’ लागू कर 9 महीने में नियुक्ति पूरी करे.

‘बम्बई दिल्ली जाना पड़ता है’

‘युवा हल्ला बोल’ संस्थापक ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बोझा ढोने और ठेला चलाने के लिए बिहार के लोगों को हजारों किलोमीटर दूर बम्बई दिल्ली जाना पड़ता है. बंद पड़े चीनी, पेपर और जूट मिलों को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए ताकि दो वक्त की रोटी के लिए बिहार के लोगों को पलायन न करना पड़े. वहीं, राष्ट्रीय महासचिव व यात्रा प्रभारी प्रशांत ने कहा कि देश में किसानों के आत्महत्या की खबरें पहले खूब आया करती थी. अब भारी संख्या में बेरोज़गारी के कारण युवाओं में आत्महत्या की खबरें आ रही है. युवाओं की आत्महत्या देश में राजनीतिक बहस के केंद्र में होना चाहिए. युवाओं को एकजुट होकर कहना पड़ेगा कि ‘आत्महत्या नहीं, आंदोलन होगा’.

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