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तिरंगे को सलामी देने के साथ की जाएगी ज्ञान की देवी की आराधना, 19 साल बाद गणतंत्र दिवस और सरस्वती पूजा एक साथ

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तिरंगे को सलामी देने के साथ ही इस बार ज्ञान की देवी की आराधना की जाएगी. 19 साल बाद गणतंत्र दिवस और सरस्वती पूजा (vasant panchami 2023) एक साथ पड़ रहा है. सभी स्कूल और कॉलेजों में इसकी तैयारी की जा रही है.

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पटना. 19 वर्षों के बाद गणतंत्र दिवस व ज्ञान पर्व सरस्वती पूजा (vasant panchami 2023) एक ही दिन मनायी जायेगी. इस दिन सर्वप्रथम देश की आन, बान और शान राष्ट्रध्वज तिरंगा को सलामी दी जायेगी. इसके बाद ज्ञान, बुद्धि और विद्या की अधिष्ठात्री देवी भगवती सरस्वती की आराधना की जायेगी. ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि पंचांगों की गणना के बाद निष्कर्ष निकाला गया है कि प्रत्येक 19 वर्षों के बाद यह स्थिति बनती है. जब गणतंत्र दिवस और सरस्वती पूजा एक साथ मनाये जाते हैं. इससे पूर्व वर्ष 2004, वर्ष 1985 और वर्ष 1966 में भी दोनों पर्व एक साथ मनाये गये थे. इस बार भी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा एक साथ होंगे.

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तीन देवियों में प्रधान हैं महासरस्वती

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा का कहना है कि देवी भागवत के अनुसार वर्ष में चार नवरात्र होते हैं. माघ महीने में पड़ने वाले नवरात्र को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. इसी नवरात्रि यानी माघ शुक्ल पंचमी को तीन महा देवियों में प्रधान मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था. इनके एक हाथ में पुस्तक दूसरे हाथ में वीणा है. मां सरस्वती को वीणा वादिनी भी कहते हैं. ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी भगवती सरस्वती की संगीत के लिए भी आराधना की जाती है.

गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू

गणतंत्र दिवस व सरस्वती पूजा की तैयारी शुरू हो चुकी है. गणतंत्र दिवस को लेकर राष्ट्रध्ज का निर्माण आरंभ हो चुका है. वहीं सरस्वती पूजा को लेकर मूर्तिकार माता सरस्वती की प्रतिमा पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, गया सहित सभी जिलों में जगह-जगह तैयार कर रहे हैं. अपनी पसंद के अनुसार लोग मूर्तिकार से अग्रिम बुकिंग भी करा रहे हैं.

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अग्रिम बुकिंग शुरू

इस बार झूला, कमल, वीणा, सिंहासन पर विराजमान भगवती सरस्वती की प्रतिमा अधिक देखने को मिलेगी. पटना के एक मूर्तिकार ने बताया कि सरस्वती पूजा को लेकर प्रतिमा बनाने का कार्य शुरू हो चुका है. लोग मनपसंद मूर्ति बनाने के लिए आकार व सजावट से संबंधित नक्शा भी उपलब्ध करा रहे हैं. कुछ लोग पूर्व से निर्मित प्रतिमा में सजावट को लेकर अपने आइडिया भी दे रहे हैं.

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