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बीएयू में महिलाओं को पुआल से कलाकृति बनाने का दिया प्रशिक्षण, कुलपति बोले- यह भी फसल अवशेष प्रबंधन का हिस्सा

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बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में फसल अवशेष से कलाकृति निर्माण तकनीक पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को किया गया.भागलपुर व आसपास की 30 महिलाओं ने इस आवासीय प्रशिक्षण में भाग लिया.

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बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में फसल अवशेष से कलाकृति निर्माण तकनीक पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को किया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत दिये गये इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में .भागलपुर व आसपास की 30 महिलाओं ने इस आवासीय प्रशिक्षण में भाग लिया इन्हें प्रशिक्षण देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र जहानाबाद के वरीय वैज्ञानिक व प्रधान डॉ शोभारानी और कलाकार पहुंचे थे.

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पुआल से कलाकृति निर्माण भी फसल अवशेष प्रबंधन का एक हिस्सा है

पहले सभी प्रशिक्षुओं संग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को पुष्पांजलि अर्पित कर जयंती मनायी. कुलपति ने कहा कि हम बाबा साहेब के सपनों को साकार कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि फसल अवशेष आज एक बड़ी समस्या है, इसके जलने से वातावरण तो प्रदूषित होता ही है. पुआल से कलाकृति निर्माण भी फसल अवशेष प्रबंधन का एक हिस्सा है .

हर जरूरी सामग्री और औजार मुहैया कराने का कुलपति ने दिया निर्देश

कुलपति ने कहा कि जिन 30 महिलाओं को हमने प्रशिक्षण दिया है वे हमारे एंबेस्डेर बनेंगे. कुलपति ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन महिलाओं को कलाकृति बनाने के लिए जो भी सामग्री और औजार की आवश्यकता हो उन्हें तुरंत मुहैया करायी जाये.

पुआल से कौन-कौन सी कलाकृति बनाई जा सकती है :

इस प्रशिक्षण के कोऑर्डिनेटर अनिता कुमारी ने बताया कि धान के पुआल से बहुत ही सुंदर कलाकृति जैसे बाल हैंगिंग, पोट्रेट, सिनरी, मोमेंटों, ज्वेलरी इत्यादि बखूबी बनाया जा सकता है. जिसकी बाजार में बहुत अच्छी कीमत मिल जाती है. भागलपुर के कलाकार दिलीप कुमार पिछले दस सालों से पुआल से कलाकृति बनाने के कार्य से जुड़े हुए हैं और यहां प्रशिक्षण दे रहे हैं. इन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति इस कला को सीख कर हर माह बीस से पच्चीस हजार रुपये की आमदनी कर सकता है .

जहानाबाद जिले की महिलाएं फसल अवशेष से कलाकृति निर्माण में काफी आगे हैं

बिहार में कभी नक्सल प्रभावित जिलों में से एक रहा जहानाबाद जिले की महिलाएं फसल अवशेष से कलाकृति निर्माण में काफी आगे हैं. केवीके जहानाबाद इसके लिए बढ़ चढ़ कर कार्य करती है. प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ आर के सोहाने ने प्रशिक्षण के बारे में विशेष जानकारी दी. विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ राजेश कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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