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Vat Savitri Puja 2021 : विवाहिताओं का महापर्व वट सावित्री आज, तैयारी पूरी, बस चंद घंटे बाद शुरू होगी पूजा

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जेठ कृष्णपक्ष अमावास्या को दो पर्व मनाए जायेंगे. महिलाएं अखंड सुहाग की कामना के लिए वट सावित्री व्रत करेंगी. हालांकि इसी दिन सूर्यग्रहण भी है, लेकिन यह यहां नहीं दिखेगा, इसलिए इसका प्रभाव नहीं माना जा रहा है.

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मुजफ्फरपुर. जेठ कृष्णपक्ष अमावास्या को दो पर्व मनाए जायेंगे. महिलाएं अखंड सुहाग की कामना के लिए वट सावित्री व्रत करेंगी. हालांकि इसी दिन सूर्यग्रहण भी है, लेकिन यह यहां नहीं दिखेगा, इसलिए इसका प्रभाव नहीं माना जा रहा है. भारतीय पंचाग के अनुसार ग्रहण की शुरुआत दोपहर 1.42 बजे होगी और इसका समापन शाम 6.41 पर होगा. इसकी कुल अवधि पांच घंटे होगी, लेकिन सूर्यग्रहण के नहीं दिखने के कारण पंडित इसका प्रभाव नहीं मान रहे हैं.

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गरीबनाथ मंदिर के पुजारी प. विनय पाठक ने कहा कि धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्यग्रहण का प्रभाव तभी माना जाता है, जब वह दिखाई दे. इसलिए यहां सूतक भी नहीं लगेगा. भक्त वट सावित्री और शनि पूजा दिन भर कर सकेंगे.

अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत

ज्योतिषाचार्य पं. प्रभात मिश्र ने कहा कि अखंड सौभाग्य के लिए वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है. शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री व्रत की कथा सुनने मात्र से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से घर में सुख-शांति समृद्धि के साथ साथ धनलक्ष्मी का वास होता है. वट वृक्ष में तीनों देवों का वास माना जाता है. मान्यता है कि वट वृक्ष में शरीर के कई रोगों का नाश करने की क्षमता होती है. इस दिन जो भी विवाहित महिला व्रत रखकर विधिवत पूजा आराधना करती है, उनके पति की रक्षा अनेक संकटों से होती है.

दरभंगा प्रतिनिधि के अनुसार विवाहिताओं का प्रसिद्ध लोक पर्व वट सावित्री पर्व गुरुवार को परंपरा के अनुरूप मनाया जायेगा. अक्षय अहिबात (सुहाग) के लिए मैथिलानियों के समर्पण का प्रकटीकरण होगा. पति की सलामती के लिए महिलाएं अपने सुहाग के प्रतीक वट के वृक्ष का पूजन करेंगी. उसे गले लगायेंगी. उसे पंखा झलेंगी. इसकी मुकम्मल तैयारी पूरी कर ली गयी है. इसमें व्रती परिवार में एक दिन पहले बुधवार से ही उत्सवी माहौल नजर आने लगा.

नवविवाहिताओं में दिखा उत्साह

विशेषकर उस परिवार में जिसमें इस वर्ष ही बेटी की शादी हुई है. मालूम हो कि विवाहिताओं का यह प्रसिद्ध मिथिला का लोकपर्व है. त्यौहार के दिन जहां नवविवाहिताएं विशेष पूजन करेंगी वहीं अन्य विवाहिताएं भी उपवास रख कर व्रत पूजन करेंगी. नख-शिख शृंगार कर नये परिधान धारण करेंगी.

पर्व को लेकर व्रती महिलाओं ने बुधवार को महिलाओं ने कपड़े से तैयार दुल्हा-दुल्हन, लहठी, चूड़ियां, धान का लावा, पांच तरह के फल, नये कपड़े समेत पर्व के दौरान जरुरी सामग्रियों की जमकर खरीदारी की. शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में नवविवाहिताओं में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह दिख रहा है.

नयी दुल्हन अपने घर की बुजुर्ग महिलाओं के मार्गदर्शन में पूजा की विधिवत तैयारियां में नेम-निष्ठा से जुटी रहीं. वट सावित्री पर्व के मौके पर विशेष रुप से माता गौरी की पूजा के लिए नवविवाहिताएं मिट्टी को गूंथ कर दिन में रख छोड़ा. बताया गया है कि रात में पारंपरिक गीतों के बीच एक साथ बैठकर महिलाएं नये वस्त्र धारण कर इसी मिट्टी से माता गौरी के स्वरुप का निर्माण करेंगी.

पर्व को लेकर बुजुर्ग महिलाओं का बताना है कि सुहागन महिलाओं के लिए यह पर्व काफी महत्व रखता है. महिलाएं अपने सुहाग को अक्षय बनाये रखने के लिए व्रत रख कर वट वृक्ष की पूजा करेंगी. बेड़ घूमेंगी. इसी पेड़ के नीचे बैठ कर माता गौरी की षोड्स विधि से पूजा करेंगी. नाग-नागिन की पूजा-अर्चना होगी. इसके बाद पर्व से जुड़ी कथाओं का श्रवण करेंगी. चौबीस घंटे का उपवास रखने के बाद अगले दिन स्नान-पूजा के बाद व्रत समाप्त किया जायेगा.

40 रुपये में बिका हाथ पंखा, 25 रुपये में वट वृक्ष की डाली

वट सावित्री पूजा को लेकर बुधवार को बाजार में काफी भीड़ रही. मान्यता के अनुसार पूजा में बांस का हाथ पंखा और वट वृक्ष की डाली की जरूरत होती है. इसको लेकर दोनों वस्तुओं के दाम चढ़े रहे. हाथ पंखा 40 रुपये और वट वृक्ष की डाली 25 रुपये में बिकी.

खरीदारी के रुझान को देखते हुए बाजार में इसके भाव बढ़े रहे. इसके अलावा साधारण लहठी का सेट भी 150 रुपये में बिका. इसके अलावा मौली, रोड़ी, अक्षत, कच्चा सूत और आम की खरीदारी भी खूब हुई. मान्यता है कि इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

Posted by Ashish Jha

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