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नालंदा विश्वविद्यालय में शुक्रवार को आयोजित वैशाली फेस्टिवल ऑफ डेमोक्रेसी कार्यक्रम में लोकतंत्र, गणतंत्र और जनतंत्र की समृद्ध परंपरा को लेकर चर्चा हुई. इस चर्चा में देश के नामचीन हस्तियों के अलावे दुनिया के 19 देश के प्रतिनिधि और अनेक देशों के राजदूत शामिल हैं. वक्ताओं ने कहा कि लोकतंत्र केवल भारत नहीं बल्कि भारत जैसा दुनिया के सभी देशों में होनी चाहिए.
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विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज ऑडिटोरियम में आईसीसीआर द्वारा आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया. उद्घाटन सत्र में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वा सरमा, केन्द्रीय विदेश, पर्यटन व संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी एवं अन्य ने कहा की वैशाली लोकतंत्र की जननी है.
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सभी ने कहा कि लोकतंत्र को पाठ्यक्रम में शामिल करने की आवश्यकता पर सभी ने जोर दिया. वक्ताओं ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र का उल्लेख रामायण, वेदों के अलावे बौद्ध और जैन साहित्य में भी किया गया है.
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केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा भारतीय लोकतंत्र का दुनिया में कोई मिशाल नहीं है. गणतंत्र, जनपद, महाजनपद भारत की पुरानी परंपराओं में मुख्य है. शाक्यमुनि वैशाली के थे. चाणक्य, चन्द्रगुप्त, अशोक इसी बिहार के थे. भारतीय लोकतंत्र और संस्कृति को दुनिया के सामने आगे लाने की आवश्यकता है.
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असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्व सरमा ने कहा कि 1947 में देश को आजादी मिली थी, लोकतंत्र नहीं. लोकतंत्र की स्थापना पांच हजार साल पहले वैशाली में हुओ थी. इसका उल्लेख रामायण, महाभारत, वेद, पुराण के अलावे बौद्ध और जैन ग्रंथों में भी मिलता है. भावी पीढ़ी भारतीय लोकतंत्र को जाने इसके लिए देश पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए.
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भारतीय संस्कृति संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि आने वाले दिनों में अब हर साल विश्व लोकतंत्र दिवस पर वैशाली फेस्टिवल ऑफ़ डेमोक्रेसी का आयोजन किया जायेगा. वैशाली को लोकतंत्र की जन्मस्थली बताते हुये उन्होंने कहा कि राजगीर, नालंदा और बोधगया की भी सांस्कृतिक परंपरा काफी समृद्ध रही है.
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डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि लोकतंत्र केवल चुनाव के लिए नहीं है यह सामाजिक विकास और आपसी प्रेम भाईचारा सौहार्द के लिए भी है जनतंत्र के प्रति इन दोनों दुनिया में विश्वास घात रहा है यही कारण है कि दिन पर दिन वोट प्रतिशत में भी कमी आ रही है उन्होंने कहा कि जनतंत्र की धारा भारतीयों के रग रग में रचा बसा है.
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बिहार के वैशाली के गणतंत्र की चर्चा करते हुए भारतीय संस्कृति संबंध परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि चाणक्य चंद्रगुप्त अशोक अंगराज कर्ण इसी बिहार के थे जिनके द्वारा लोकतंत्र की स्थापना की गई थी मराठा सम्राट शिवाजी महाराज, चोल, कोशल आदि राजाओं के द्वारा भी लोकतंत्र की स्थापना की गई थी.
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डॉ विनय सहस्त्रबुद्धे ने दोहराया कि अब हर साल 15 सितंबर को विश्व लोकतंत्र दिवस के मौके पर इस फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हमारे देश के इतिहासकार पश्चिमी देशों से अधिक प्रभावित रहे हैं. यही कारण है कि भारत के इतिहास और परंपरा को कमतर कर आंका गया है.
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इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने कहा कि नालंदा ज्ञान की आदि भूमि रही है. यहीं से दुनिया को ज्ञान की रोशनी मिली थी. जिस तरह वैशाली लोकतंत्र की जननी है, इस तरह नालंदा आवासीय विश्वविद्यालय की जननी है.
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प्रो सुनैना सिंह ने वसुधैव कुटुंबकम की चर्चा करते हुए कहा कि आज भी नालंदा जैसा दुनिया में कोई दूसरा विश्वविद्यालय नहीं है. भगवान बुद्ध और तीर्थंकर महावीर की कर्मभूमि में आयोजित इस फेस्टिवल के माध्यम से देश और दुनिया को नया संदेश और नई ऊर्जा मिलेगी.
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रांची की पूर्व मेयर डॉ आशा लकड़ा ने कल्चरल ऑफ़ डेमोक्रेसी विषय पर बोलते हुए कहा कि भारत की संस्कृति में लोकतंत्र रचा बसा है. लोकतंत्र समाज का हिस्सा है. समाज और देश में बदलाव लोकतंत्र से ही होता है.
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय को कोट करते हुए डॉ आशा लकड़ा ने कहा कि जो कमाएगा वही खिलाएगा. भारत के संविधान में लोकतंत्र समाहित है. प्राचीन भारत की संस्कृति में बदलाव हो रहा है. आजादी के पहले राजतंत्र था. जाति और वर्ण व्यवस्था समाज में हाबि था. बाबा साहब अंबेडकर गांव के पक्षधर थे. गांव में आज भी लोकतंत्र की परंपरा कायम है. झारखंड में मुंडा की परंपरा रही है. मुंडा गांव के प्रधान हुआ करते थे. उन्होंने कहा लोकतंत्र समाज को सुधारने और आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.