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बिहार में पहली बार काऊ डंग लॉग मशीन से बनेगी लकड़ी, गोबर- गौ मूत्र प्रबंधन से होगी अतिरिक्त आय, गौ पालन से दूर होगी बेरोजगारी

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हरनौत प्रखंड मुख्यालय स्थित अयोध्या नगर में नवनिर्मित नालंदा फार्मिंग में काऊ डंग लोग मशीन लगाया गया है. जिसमें गाय के गोबर से लकड़ी तैयार किया जायेगा.

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हरनौत (नालंदा). बिहार में पहली बार काऊ डंग मशीन से लकड़ी बनाने का कार्य किया जा रहा है. जिसका उपयोग विभिन्न जगहों पर जलावन में किया जा सकेगा.

हरनौत प्रखंड मुख्यालय स्थित अयोध्या नगर में नवनिर्मित नालंदा फार्मिंग में काऊ डंग लोग मशीन लगाया गया है. जिसमें गाय के गोबर से लकड़ी तैयार किया जायेगा.

जिसका उपयोग विभिन्न जगहों पर जैसे एमडीएम के लिये स्कूल, होटल, लाइन होटल व शव दाह में जलावन के रूप में किया जा सकेगा. पिछले दिनों ही डॉ. शिवाजी कुमार नि:शक्तता आयुक्त बिहार सरकार के द्वारा काऊ डंग लॉक मशीन का उद्घाटन किया गया.

इस मौके पर उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में लोगों को स्वरोजगार की आवश्यकता है. ऐसे में पशुपालन एक बेहतर विकल्प है. ग्रामीण या शहरी इलाकों में बेरोजगारों की तादाद दिनों दिन बढ़ती जा रही है.

जॉब नहीं लगने के कारण लोग कई तरह के कठिनाइयों से गुजरते हैं. ऐसे में पशुपालन एक बेहतर विकल्प है. नालंदा फार्मिंग रवि कुमार ने बताया कि आज दूध की जरूरत सबको है. दूध की मार्केटिंग भी आसानी से होती है.

ऐसे में पशुपालक गाय पालन से अच्छी आमदनी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकते हैं. आज के परिवेश में पशुपालक सिर्फ दूध से ही कमाई लेते हैं, जिसके कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.

विषम परिस्थिति में अगर किसान अपने गौ पालन कर गोबर बेचते हैं और गोमूत्र प्रबंधन करते हैं तो निश्चित ही उन्हें अन्य लोगों की अपेक्षा काफी अधिक हो गया, जो उनके व उनके परिवार को चलाने के लिये काफी होगा.

गोबर कलक्कड़ अगर सामूहिक रूप से हर जगह परिवर्तन आ जाता है तो निश्चित है हो रही पेड़ों की कटाई में कमी हो सके. इनरव्हील क्लब आम्रपाली ऑफ पटना के सेक्रेटरी आशा प्रसाद ने बताया कि वर्तमान परिवेश में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है. जिससे जलवायु असमान्य हो चुके हैं.

ऐसे में काऊ डंग मशीन से लकड़ी बनाने का कार्य बेहतर विकल्प साबित होगा. इससे पेड़ों की हो रही कटाई में काफी गिरावट आयेगी.

इनरव्हील क्लब आम्रपाली ऑफ पटना के पूर्व सेक्रेटरी तृप्ति सिंह ने कहा कि काऊ डंग मशीन पशुपालकों के लिए एक बेहतर विकल्प है. इससे ना उन्हें काऊ डंग को ठिकाने लगाने में मदद होगा बल्कि उन्हें आर्थिक मदद भी होगी.

यह मशीन जहां मजदूरी में बचत करेगी. वहीं समय की भी बचत होगी. कम समय में अधिक काम होगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में बिहार से लोग पलायन कर रहे हैं. अगर उन्हें अपने घर में ही जॉब मिलता है तो निश्चित है वह करेगा और उसके लिए यह मशीन रोजगार उत्पन्न करेगी.

Posted by Ashish Jha

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