पटना. गुलाबी ठंड का एहसास होने लगा है. सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने के लगभग 53 प्रतिशत मामले केवल सुबह के समय होते हैं. गर्मियों की तुलना में सर्दियों में हार्ट अटैक के मामले लगभग 25 प्रतिशत बढ़ जाते हैं. इस मौसम में कोरोनरी आर्टरी डिजीज यानी हार्ट की ब्लड वेसेल्स में थक्का जमने के कारण दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं. इन्हें सावधानियां बरतकर काफी हद तक रोका जा सकता है. जब धूप हो, तभी घर से बाहर निकलें.
यह कहना है पीएमसीएच के पूर्व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ कुमार हिमांशु का. प्रभात खबर की ओर से रविवार को मेडिकल काउंसेलिंग का आयोजन किया गया. इसमें उन्होंने हृदय रोग संबंधित बीमारी से बचाव के बारे में बताया. कोलस्ट्रॉल बढ़ने से हो रही कोरोनरी आर्टरी डिजीज : डॉ हिमांशु ने कहा कि हार्ट की ब्लड वेसेल्स में ब्लॉकेज की स्थिति को कोरोनरी आर्टरी डिजीज कहा जाता है.
इसके कारणों में अत्यधिक वसायुक्त खाने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना और फिर हृदय धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होना शामिल है. इसी तरह हृदय धमनियों में कैल्शियम भी जमा हो सकता है, जिससे दिल को पर्याप्त रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है.
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उन्होंने कहा कि अत्यधिक ठंड के कारण हृदय के अलावा मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों की धमनियां सिकुड़ती हैं. इससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है और रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉट) बनने की आशंका बढ़ती है. ऐसे में ठंड में हृदय रोगी हर 15 दिनों पर दिल की जांच कराते रहें.
Posted by: Radheshyam Kushwaha
पटना. गुलाबी ठंड का एहसास होने लगा है. सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने के लगभग 53 प्रतिशत मामले केवल सुबह के समय होते हैं. गर्मियों की तुलना में सर्दियों में हार्ट अटैक के मामले लगभग 25 प्रतिशत बढ़ जाते हैं. इस मौसम में कोरोनरी आर्टरी डिजीज यानी हार्ट की ब्लड वेसेल्स में थक्का जमने के कारण दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़ जाते हैं. इन्हें सावधानियां बरतकर काफी हद तक रोका जा सकता है. जब धूप हो, तभी घर से बाहर निकलें.
यह कहना है पीएमसीएच के पूर्व हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ कुमार हिमांशु का. प्रभात खबर की ओर से रविवार को मेडिकल काउंसेलिंग का आयोजन किया गया. इसमें उन्होंने हृदय रोग संबंधित बीमारी से बचाव के बारे में बताया. कोलस्ट्रॉल बढ़ने से हो रही कोरोनरी आर्टरी डिजीज : डॉ हिमांशु ने कहा कि हार्ट की ब्लड वेसेल्स में ब्लॉकेज की स्थिति को कोरोनरी आर्टरी डिजीज कहा जाता है.
इसके कारणों में अत्यधिक वसायुक्त खाने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना और फिर हृदय धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होना शामिल है. इसी तरह हृदय धमनियों में कैल्शियम भी जमा हो सकता है, जिससे दिल को पर्याप्त रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है.
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उन्होंने कहा कि अत्यधिक ठंड के कारण हृदय के अलावा मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों की धमनियां सिकुड़ती हैं. इससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है और रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉट) बनने की आशंका बढ़ती है. ऐसे में ठंड में हृदय रोगी हर 15 दिनों पर दिल की जांच कराते रहें.
Posted by: Radheshyam Kushwaha