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बिहार में नयी शिक्षक नियुक्ति नियमावली का विरोध, शिक्षक संघों ने किया आंदोलन का ऐलान

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संघ के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक व प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा कि सरकार ने एक बार फिर से नयी नियमावली लाकर यह स्पष्ट कर दिया की वह शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के तरह वेतनमान और सेवा शर्त देने के मूड में नहीं है.

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बिहार में नयी शिक्षक नियुक्ति नियमावली पर मुहर लगने के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने कहा कि नयी नियमावली के तहत अलग संवर्ग बनाने का जो निर्णय लिया गया है संघ उसे कभी स्वीकार नहीं करेगा. हालांकि, संघ ने संयुक्त बयान जारी कर बिहार सरकार के कैबिनेट बैठक में शिक्षकों के संदर्भ में लिये गये राज्यकर्मी का दर्जा देने से संबंधित निर्णय का स्वागत भी किया. संघ के राज्य अध्यक्ष बृजनंदन शर्मा, राज्य कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार, महासचिव नागेंद्र नाथ शर्मा, वरीय उपाध्यक्ष नुनु मणी सिंह, राम अवतार पांडेय, उपाध्यक्ष घनश्याम यादव एवं प्रवक्ता प्रेमचंद्र ने कहा कि राज्य सरकार ने यह अच्छा फैसला लिया है, लेकिन अलग संवर्ग बनाने के निर्णय को संघ कभी स्वीकार नहीं करेगा.

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शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए

साथ ही पंचायती राज व्यवस्था के तहत पूर्व से बहाल शिक्षकों को राज्यकर्मी के रूप में नहीं माने जाने के सरकार के निर्णय की मुखालफत करते हुए कहा कि पूर्व से नियुक्त सभी शिक्षकों को राज्यकर्मी घोषित किया जाना चाहिए एवं राज्य कर्मी घोषित करने के लिए इनसे किसी भी तरह की कोई परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए. क्योंकि ये सभी शिक्षक सरकार द्वारा ही निर्धारित दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण हैं. इसलिए इन्हें सीधे राज्य कर्मी घोषित किया जाना चाहिए. पुराने शिक्षकों के लिए जो संवर्ग एवं नियमावली बनायी गयी है उसी के तहत शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए. नया संवर्ग बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है. नया संवर्ग बनाने एवं नये परीक्षा के आधार पर राज्यकर्मी का दर्जा देने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर इसे वापस नहीं लेती तो बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ सरकार के निर्णयों का पुरजोर विरोध करते हुए आंदोलन करेगा.

पहले से कार्यरत नियोजित शिक्षकों व अभ्यर्थियों के साथ धोखा

टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोप गुट ने आरोप लगाया है कि शिक्षक नियोजन नियमावली पारित होने से सीटीइटी, बीटीइटी, एसटीइटी पास करके नौकरी की आस लगाये बैठे शिक्षक अभ्यर्थी के साथ धोखा है. वर्षों से अपनी सेवा दे रहे नियोजित शिक्षकों को निराशा हाथ लगी है. बीपीएससी के माध्यम परीक्षा आयोजित कर नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया है और नयी नियमावली से पहले ही कार्यरत नियोजित शिक्षकों को भी अलग-थलग रखा हैं.

शिक्षकों को छला गया

संघ के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक व प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा कि सरकार ने एक बार फिर से नयी नियमावली लाकर यह स्पष्ट कर दिया की वह शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के तरह वेतनमान और सेवा शर्त देने के मूड में नहीं है. अपने चुनावी वादे से मुकरते हुए पूर्व से कार्यरत शिक्षकों के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं करके शिक्षकों को छला गया है. अब एक ही विद्यालय में अलग-अलग तरह के शिक्षकों को नियुक्त करके सरकार विद्यालयों में विद्वेषपूर्ण माहौल बनाना चाहती है.

नियमावली नियोजित शिक्षकों के साथ वादाखिलाफी का प्रमाण

टीइटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने शिक्षक नियुक्ति को लेकर नियमावली-2023 को महागठबंधन के घटक दलों के वादाखिलाफी का दस्तावेज बताया है. वर्तमान में जो नियमावली आयी है वह पूर्व से कार्यरत टीइटी शिक्षकों को ठगने का प्रयास मात्र है, जिसे संघ कभी सफल नहीं होने देगा. उन्होंने कहा कि हालांकि ये नियमावली सातवें चरण में होने वाले शिक्षकों की बहाली के लिए लाभकारी हो सकती है. इस नियमावली के भी कैबिनेट से पास होने में बिहार के तमाम शिक्षक अभ्यर्थी का बहुत बड़ा योगदान है, जिन्होंने सड़क पर संघर्ष से सरकार को नियमावली लाने को बाध्य किया.

Also Read: बिहार : शिक्षक नियुक्ति नियमावली पर लगी मुहर, सुशील मोदी बोले- शिक्षक अभ्यार्थियों को फिर से ठगा जा रहा
शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ नाइंसाफी

प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष उदय शंकर सिंह एवं प्रदेश संगठन महामंत्री राहुल देव सिंह ने संयुक्त रूप से बताया की नये नियम के तहत अब शिक्षक बहाली के लिए आयोग परीक्षा लेगी. साथ ही अभी जो शिक्षक काम कर रहे हैं उन्हें भी परीक्षा में भाग लेना जरूरी है. ये उन शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ नाइंसाफी है जो इतने दिनों से इस नियमावली के आने की राह देख रहे थे.

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