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नशे की गिरफ्त में आकर अपराधी बन रहे युवा, अभिभावकों की बढ़ी चिंता

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नशे की गिरफ्त में आकर अपराधी बन रहे युवा

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जिले के विभिन्न भागों में फल-फूल रहा स्मैक व अन्य नशे का कारोबार मोबाइल के एक कॉल पर मिल रहा स्मैक स्कूली बच्चे व युवा बन रहे नशेड़ी, बेच कर भी कमा रहे पैसे पैसे नहीं रहने पर चोरी व अन्य अपराध की ओर हो जाते हैं प्रवृत्त (लोगो लगा दें) जदिया सूबे में पूर्ण शराबबंदी के बाद थाना क्षेत्र में नशे के सामान की तस्करी चरम पर है. इसकी गिरफ्त में खास कर किशोर वर्ग आ रहे हैं. इससे अभिभावक चिंतित हैं. नशे के रूप में युवा व किशोर समूह सुलेशन, कोरेक्स, स्मैक व नशे के टैबलेट का सेवन कर रहे हैं. नशे के शौकीन युवाओं को ये आसानी से मिल रहे हैं. नशे की लत युवाओं को अपराध की दुनिया में भी धकेल रहा है. जब इन्हें पैसे की दिक्कत होती है, तो ये घर का सामान तक बेच देते हैं. वहीं चोरी व लूट की घटना को अंजाम देते हैं. उन्हें हथियार चलाने में भी किसी प्रकार का भय नहीं होता. आसानी से मिल रहे नशीले पदार्थ जानकारों का कहना है कि ऐसा कोई इलाका नहीं होगा, जहां स्मैक ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करायी है. हर इलाके में स्मैकर मिल ही जायेंगे. शराबबंदी के बाद स्मैक पीने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है. स्मैकरों से लोग परेशान हैं. घर से निकलना मुश्किल हो गया है. घर छोड़ कर कहीं जाते हैं, तो चोरी हो जाती है. चोरी के पैसों से नशेड़ी कुछ दिन स्मैक पीते हैं. पैसा खत्म होते ही आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में लग जाते हैं. ऐसे लोगों को पुलिस भी भय नहीं रहता है. हालांकि स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा कुछ किशोरों को पकड़ हिदायत दी गयी है. लेकिन नशे की तस्करी व इसका उपयोग बदस्तूर जारी है. पुड़िये में मिल रहा स्मैक, काम करता है नेटवर्क तस्करी में शामिल लोग बड़े पैमाने पर स्थानीय विक्रेताओं को स्मैक की सप्लाई करते हैं. जिसे यहां के स्मैक तस्कर पुड़िया बनाकर यहां के नशेड़ियों को बेचते हैं. छोटी सी पुड़िया होने के कारण किसी को शक नहीं होता. स्मैक की तस्करी में किशोरों का एक बड़ा नेटवर्क काम करता है. जो खरीदारी से लेकर बिक्री तक का जिम्मा संभालता है. महज मोबाइल नंबर से कॉल करने पर आसानी से स्मैक मिल जाता है. नेटवर्क द्वारा स्मैक को पाउडर का नाम दिया गया है. बेचने वाले छोटे-छोटे पैकेट को आराम से अपने पॉकेट में लेकर घूमते हैं और बिक्री करते हैं. स्मैक के कारोबार में युवा शामिल हैं. तो इसके खरीदार स्कूली बच्चे व अन्य लोग बने हैं. पुलिस को नहीं है कोई सूचना : एसडीपीओ इस बाबत एसडीपीओ विपिन कुमार ने कहा कि इसकी कोई सूचना उन्हें नहीं है. यदि जानकारी मिलती है, तो सघन जांच की जायेगी.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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