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कोसी बराज पर घट रहा पानी, तो तटबंध के भीतर तेजी से फैल रहा बाढ़ का पानी

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कोसी बराज पर घट रहा पानी

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सुपौल कोसी नदी के जल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. जिस कारण कोसी बराज पर पानी का दबाव काफी कम हो गया है. पानी के बहाव के लिए बराज के सीमित फाटक को खोल कर रखा गया है. लेकिन कोसी नदी का पानी तटबंध के भीतर निरंतर बढ़ रहा है. जिस कारण तटबंध के भीतर बसे लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो रही है. जो लोग कल तक अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे तो, वैसे लोगों के लिए भी बाढ का खतरा उत्पन्न हो गया है. अब वैसे लोग भी विस्थापित होने पर मजबूर हो रहे हैं. बच्चे, बुजुर्ग व मवेशी को ऊंचे स्थानों पर लेकर शरण लेने लगे हैं. हालांकि बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन द्वारा हर संभव व्यवस्था की जा रही है. लेकिन पीड़ितों के लिए यह व्यवस्था अपने घर जैसा नहीं है. जिस कारण उनके मन में इसका टीस बना रहता है.

सामुदायिक किचन में बढ़ने लगी भीड़

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तटबंध के भीतर जैसे-जैसे पानी फैल रहा है. वैसे ही तटबंध के भीतर से लोगों का आना जारी हो गया है. वहीं पीड़ितों के लिए शुरू किये गये सामुदायिक किचन की जानकारी होने के बाद किचन में पीड़ित परिवार की भीड़ बढ़ने लगी है. पीड़ितों को सामुदायिक किचन में दिन रात का भोजन दिया जा रहा है. हालांकि बाढ़ पीड़ित के अलावे लोगों के भी किचन में भोजन करने की सूचना मिल रही है. बाढ प्रभावित इलाके के 35 स्थानों पर सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है.

बाढ़ पीड़ितों के बीच सूखा राशन का वितरण शुरू

जिला प्रशासन द्वारा तटबंध के अंदर पानी में फंसे लोगों के लिए सूखा राशन का वितरण शुरू कराया गया है. इसके तहत पीड़ितों को चना, चुरा, चीनी सहित अन्य समान दी जा रही है. डीएम कौशल कुमार ने बताया कि फिलहाल 35 हजार सूखा राशन का पैकेट तैयार कराया गया है. जरूरत पड़ने पर और पैकेट तैयार कराया जायेगा.

लगाये गये मानव व पशु चिकित्सा शिविर

जिला प्रशासन के आदेश पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मानव व पशु चिकित्सा शिविर लगाये गये हैं. जहां बाढ़ पीड़ितों का जांच कर उन्हें मुफ्त में दवा दी जा रही है. वहीं पशु चिकित्सा शिविर में पशु चिकित्सक द्वारा पशुओं की स्वास्थ्य जांच कर दवा दी जा रही है.

अपनों को खोजने में जुटे रिश्तेदार

शनिवार की देर रात कोसी नदी में आयी बाढ़ के बाद बेघर हुए लोग गांव से निकलकर यंत्र-तंत्र शरण लिए हुए है. ऐसे लोगों के रिश्तेदार को जब पता चला तो वे अपनों को खोजने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं. सोमवार को पूर्वी कोसी तटबंध के 57.20 पर पॉलिथीन टांग रही साधना बच्चें को लेकर बांध पर बैठे किसी के आने का इंतजार कर रही थी. इसी दौरान साधना की नजर अपने भाई व पापा पर पड़ा तो पापा से लिपट रोने लगी. बेटी की यह स्थिति देख पिता साधना सहित उसके परिवार के अन्य सदस्यों को टेम्पो पर बैठे अपने घर की ओर निकल पड़े.

शुद्ध पेयजल की बनी समस्या

कोसी में अचानक आयी बाढ़ के बाद बाढ़ पीड़ितों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या शुद्ध पेयजल की उत्पन्न हो गयी है. तटबंध के भीतर बसे लोग पीने के पानी का एक मुख्य स्त्रोत चापाकल ही है. कुछ जगहों पर नल-जल का कार्य कराया गया. लेकिन इन नल का पानी लोग पीने के लिए उपयोग नहीं कर रहे हैं. बाढ़ के पानी में चापाकल के डूब जाने से पानी गंदा निकल रहा है. ऐसी स्थिति में बाढ़ पीड़ित पीने पानी के लिए भी तरस रहे हैं. वहीं इन पीड़ित परिवार के लिए शौचालय भी एक मुख्य समस्या बन चुका है.

पशुपालकों के बीच चारा का वितरण

तटबंध के भीतर बाढ़ के हालात उत्पन्न होने के बाद सभी प्रकार की समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं. पीड़ितों के लिए मवेशी चारा प्रमुख समस्या बना है. पशुचारा की समस्या को देख जिला पदाधिकारी के निर्देश पर पशुपालन विभाग ने पीड़ित परिवार जिनके पास पशुधन है. ऐसे लोगों के बीच पशुचारा का वितरण शुरू कर दिया गया है. पशुचारा में भूसा के साथ अन्य सामग्री शामिल है.

घर क्षति का कराया जायेगा सर्वे

बाढ़ के पानी में तटबंध के भीतर बसे कई लोगों का घरबार नदी के आगोश में समा गया है. जिसकी स्पष्ट संख्या जिला प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है. सरकारी प्रावधान के अनुसार ऐसे पीड़ित परिवारों को क्षति पूर्ति दिया जाना है. इसको लेकर जिला प्रशासन द्वारा क्षति का आकलन मंगलवार से कराया जायेगा. बताया जा रहा है कि गृह क्षति की सूची तैयार करने के बाद पीड़ित परिवारों के फसल क्षति का भी आकलन किया जायेगा. सूची के आधार पर ऐसे चिन्हित लोगों को सरकारी सहायता उपलब्ध करायी जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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