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Subhas Chandra Bose क्रांतिकारियों को संगठित करने पहुंचे थे मुजफ्फरपुर, चाय की दुकान से बनी थी रणनीति

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मुजफ्फरपुर के नौजवानों में क्रांति की ज्वाला भरने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस 26 अग्रस्त, 1939 को मुजफ्फरपुर आये थे. ऐसे तो कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस यहां कल्याणी चौक पर क्राकरी की पहली चाय दुकान कल्याणी केबिन का उद्घाटन करने आये थे.

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मुजफ्फरपुर के नौजवानों में क्रांति की ज्वाला भरने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस 26 अग्रस्त, 1939 को मुजफ्फरपुर आये थे. ऐसे तो कहा जाता है कि सुभाष चंद्र बोस यहां कल्याणी चौक पर क्राकरी की पहली चाय दुकान कल्याणी केबिन का उद्घाटन करने आये थे, लेकिन चाय दुकान करने वाले परिवार की पीढ़ी बताती है कि सुभाष चंद्र बोस इसी बहाने नौजवानों के बीच आजादी का जज्बा भरने आये थे. उस समय शहर के सोशलिस्ट नेता रौनन रॉय ने उन्हें आमंत्रित किया था. सबसे पहले सुभाष चंद्र बोस ने कल्याणी चौक पर कल्याणी केबिन का उद्घाटन किया. यह दुकान क्रांतिकारी ज्योतिंद्र नारायण दास और शशधर दास ने खोली थी. उस समय शहर में कप-प्लेट में चाय वाली दूसरी दुकान नहीं थी. दोनों क्रांतिकारियों ने दुकान के बहाने क्रांतिकारियों को एकत्र होने के लिए जगह तैयार की थी.

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ज्योतिंद्र नारायण दास के बेटे नाटककार स्वाधीन दास कहते हैं कि पिताजी की दुकान पर क्रांतिकारियों का जमघट लगता था. वह दौर था जब कप-प्लेट में अंग्रेज ही चाय पीते थे. दुकान खुलने से यहां के लोग भी कप-प्लेट में चाय पीने लगे. दुकान के उद्घाटन के बाद नेताजी ओरियेंट क्लब पहुंचे और सभा की. वहां काफी संख्या में लोग उन्हें देखने और सुनने पहुंचे थे. बिहार बंगाली एसोसिएशन के देवाशीष गुहा कहते हैं, ओरिएंट क्लब के मैदान में नेताजी के सामने सबसे पहले कविगुरु के गीत ”तोमार आसन शून्य आजि, हे वीर पूर्ण करो की प्रस्तुति की गयी. इसके बाद जीबीबी कॉलेज (एलएस कॉलेज) में उनका स्वागत किया गया. एसयूसीआई के राज्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि इसके बाद सुभाष चंद्र बोस बेतिया जाने के क्रम में एके बोस के कांटी स्थित कोठी पर रुके और यहां के क्रांतिकारियों से मिले. यहां रामगढ़ सम्मेलन की तैयारी पर चर्चा की गयी.

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