16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बिहार का सृजन घोटाला: मनोरमा देवी कौन थी? मां की मौत के बाद बेटे अमित और बहू रजनी प्रिया ने संभाली थी विरासत

Advertisement

बिहार का सृजन घोटाला एकबार फिर से सुर्खियों में है. सीबीआई ने इस घोटाले की मुख्य आरोपित रजनी प्रिया को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं अमित कुमार के मौत की बात सामने आयी है. इस घोटाले की नींव भागलपुर के सबौर की रहने वाली मनोरमा देवी ने रखी थी. जानिए अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया के बारे में..

Audio Book

ऑडियो सुनें

Srijan Scam Bhagalpur Bihar: भागलपुर के बहुचर्चित सृजन घोटाले की मुख्य आरोपितों में एक रजनी प्रिया को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है. इस गिरफ्तारी को बेहद अहम माना जा रहा है. सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर की संस्थापक सह सचिव मनोरमा देवी थी और इसकी मौत के बाद बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया ने ही विरासत संभाली थी. मनोरमा देवी की मौत के करीब 6 ही महीने बाद इस महाघोटाले का पर्दाफाश हो गया था. जब परत दर परत राज खुलने लगे तो सब दंग रह गए. प्रशासनिक मिलीभगत के जरिए सरकारी खजाने में बड़ी सेंधमारी की गयी थी. हजारों करोड़ का यह घोटाला बन चुका था..

- Advertisement -

बेटे अमित व बहू रजनी ने संभाली विरासत

सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर की संस्थापक सह सचिव मनोरमा देवी की मौत 14 फरवरी, 2017 को हुई थी. इसके बाद संस्था की सचिव मनोरमा देवी की बहू रजनी प्रिया व उसके पति अमित कुमार ने मनोरमा देवी के गुजर जाने के बाद विरासत संभाली. इसके करीब छह महीने के बाद सृजन घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ, जब जिला प्रशासन ने 07 अगस्त, 2017 को पहली प्राथमिकी दर्ज करायी. इससे पहले ही रजनी प्रिया और अमित कुमार अपने बच्चे के साथ फरार हो गये. जांच टीम यह मान कर चल रही थी कि 11 अगस्त तक प्रिया कुमार और अमित कुमार अपने देश में ही हैं. वह इसलिए भी कि उनके पासपोर्ट जब्त करने के लिए 12 अगस्त को पासपोर्ट कार्यालय को लिखा गया था.

कौन थीं मनोरमा देवी

सृजन संस्था की शुरुआत महज दो महिलाओं के साथ मनोरमा देवी ने की थी. मनोरमा देवी अति साधारण महिला थी जो किसी तरह गुजर बसर करके घर चलाती थी. सृजन संस्था की उसने शुरुआत की तो इसमें महिलाओं की संख्या बढ़ कर करीब छह हजार हो गयी. गरीब, पिछड़ी, महादलित महिलाओं के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और उन्हें आत्मनिर्भर करने के उद्देश्य से इस संस्था की शुरुआत की गयी थी. महिलाओं का तकरीबन 600 स्वयं सहायता समूह बना कर उन्हें स्वरोजगार से सृजन ने जोड़ा. वर्ष 1991 में मनोरमा देवी के पति अवधेश कुमार का असामयिक निधन हो गया था. उनके पति रांची में लाह अनुसंधान संस्थान में वरीय वैज्ञानिक के रूप में पदस्थापित थे. उनके नहीं रहने पर छह बच्चों की परवरिश का जिम्मा मनोरमा पर आ गया.

Also Read: बिहार का सृजन घोटाला क्या है? जानिए कैसे सरकारी खाते में की गयी हजारों करोड़ की सेंधमारी..
सिलाई मशीन से शुरू हुई थी सृजन की कहानी..

मनोरमा देवी ने 1993-94 में सबौर में किराये के एक कमरे में सुनीता और सरिता नामक दो महिलाओं के सहयोग से एक सिलाई मशीन रख कर कपड़ा सिलने का काम शुरू किया. इसके बाद रजंदीपुर पैक्स ने 10 हजार रुपए कर्ज दिया. कपड़े तैयार कर उसे बाजर में बेचा जाने लगा. आमदनी बढ़ने लगी, तो सिलाई-कढ़ाई का काम आगे बढ़ता गया. एक से बढ़ कर कई सिलाई मशीनों पर काम होने लगा. इसके साथ-साथ महिलाओं की संख्या भी बढ़ने लगी. वर्ष 1996 में सृजन महिला का समिति के रूप में रजिस्ट्रेशन हुआ. इसमें मनोरमा देवी सचिव के रूप काम कर रही थी. महिलाओं को समिति से जुड़ता देख सहकारिता बैंक ने 40 हजार रुपए कर्ज दिया. काम से प्रभावित होकर सबौर प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित ट्रायसम भवन (सरकारी) में समिति को अपनी गतिविधियों के आयोजन की अनुमति मिली. बाद में 35 साल की लीज पर यह भवन समिति को मिल गया.

…पर सृजन में पैसे जमा करनेवाले गरीब लोगों की नहीं ली गयी सुधि

सृजन संस्था के सबौर स्थित कार्यालय से महिलाओं को जोड़ कर पैसे जमा-निकासी का काम भी होता था. जब घोटाले का पर्दाफाश हुआ, तो सृजन कार्यालय को प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया. घोटाले की जांच तो शुरू हुई और आज भी जारी है, लेकिन उन गरीब महिलाओं के जमा पैसे के बारे में किसी ने सुधि नहीं ली. वर्ष 2017 में घोटाले के खुलासे के बाद सृजन कार्यालय के गेट पर अपने पैसे की उम्मीद लिये रोज गरीब महिलाएं तपती धूप में नंगे पांव पहुंचती थी. लेकिन उन्हें निराश होकर लौट जाना पड़ता था. सुबह आठ बजे से शाम के चार बजे तक गांवों की बूढ़ी, लाचार और विधवा रोती-कलपती दिखायी गयी देती थी. कुछ महीने तक यह सिलसिला चला. बाद में सभी महिला ने आना छोड़ दिया. सबौर के लैलख, ममलखा, बैजलपुर, परघरी, बैजनाथपुर, राजपुर, तातपुर, रंगा, कुरपट आदि गांव के साथ-साथ गोराडीह के कई गांवों की महिलाएं यहां पैसे जमा करती थीं.

करीब 1000 करोड़ के घोटाले की कहानी..

सृजन घोटाले में अबतक करीब 1000 करोड़ के घोटाले की बात सामने आयी है. इसमें लिप्त कई सरकारी कर्मी व अधिकारी जेल जा चुके हैं. किंगपिन भी जेल के अंदर ही है. वहीं मनोरमा देवी की मौत के बाद अब उसके फरार बेटे अमित कुमार की मौत की अपुष्ट बात उसकी पत्नी रजनी प्रिया कह रही है. इस घोटाले में अब कई अहम खुलासे हो सकते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें