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एचआइवी संक्रमित के संस्थागत प्रसव की नहीं है व्यवस्था

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सदर अस्पताल सहित जिले के किसी भी सरकारी अस्पतालों में एचआइवी एवं हेपेटाइटिस संक्रमित गर्भवती महिलाओं के संस्थागत प्रसव की व्यवस्था नहीं होने से महिलाओं को अधिक परेशानी होती है. निजी अस्पतालों द्वारा भी एचआइवी एवं हेपेटाइटिस संक्रमित गर्भवती महिलाओं का प्रसव करने में काफी आना-कानी की जाती है. निजी अस्पताल वाले अगर तैयार भी हो गए तो मनमाने पैसे की मांग करते हैं

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सीवान. सदर अस्पताल सहित जिले के किसी भी सरकारी अस्पतालों में एचआइवी एवं हेपेटाइटिस संक्रमित गर्भवती महिलाओं के संस्थागत प्रसव की व्यवस्था नहीं होने से महिलाओं को अधिक परेशानी होती है. निजी अस्पतालों द्वारा भी एचआइवी एवं हेपेटाइटिस संक्रमित गर्भवती महिलाओं का प्रसव करने में काफी आना-कानी की जाती है. निजी अस्पताल वाले अगर तैयार भी हो गए तो मनमाने पैसे की मांग करते हैं. इस परिस्थिति में एचआइवी एवं हेपेटाइटिस संक्रमित गर्भवती महिलाएं सरकारी एवं निजी अस्पतालों में अपनी पहचान छुपा कर प्रसव कराती हैं.बिहार एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा स्वास्थ्य विभाग को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं का सरकारी अस्पतालों में संस्थागत प्रसव कराने की व्यवस्था करनी है. नेशनल वायरल हेपटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत हेपेटाइटिस संक्रमित गर्भवती महिलाओं का भी निशुल्क संस्थागत प्रसव कराना है.सदर अस्पताल में दो ओटी रुम है. महिला स्वास्थ्य कर्मियों को एचआइवी एवं हेपेटाइटिस संक्रमित गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराने के लिए प्रशिक्षित भी किया गया है.लेकिन इसके बाबजूद विभाग के अधिकारियों ने एचआइवी एवं हेपेटाइटिस संक्रमित महिलाओं के प्रसव की व्यवस्था नहीं करायी.बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा एचआइवी संक्रमित महिलाओं के सुरक्षित प्रसव कराने के लिए सेफ किट की खरीदारी के लिए राशि भी उपलब्ध करायी गयी है. लेकिन सेफ किट की खरीदारी विभाग द्वारा नहीं की गई. एक दर्जन से अधिक एचआईवी संक्रमित महिलाओं का होना है प्रसव स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अब तक लगभग 28 एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिलाएं मिली हैं. इसमें से 20 नये एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिलाएं हैं जबकि 8 पहले से दवा खा रहीं एचआईवी संक्रमित महिलाएं हैं. बताया जाता है कि इसमें से लगभग 13 गर्भवती महिलाएं अपनी पहचान छुपा कर सरकारी एवं निजी अस्पतालों में प्रसव करा चुकी है. अभी लगभग 15 गर्भवती महिलाओं का प्रसव ड्यू डेट 6 महीने के अंदर है. इन सभी महिलाओं के संस्थागत प्रसव कराने की स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है.सदर अस्पताल के एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी सेंटर में लगभग 1300 एचआईवी संक्रमित महिलाएं एआरटी की दवा खाती हैं. इसमें से लगभग 800 महिलाएं 45 वर्ष से कम उम्र की है,जो गर्भवती हो सकती हैं. नहीं उपलब्ध है नेब्रापीन दवा एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद जब बच्चा होता है तो नवजात बच्चों को 48 घंटे के अंदर एचआईवी संक्रमण से बचाने के लिए नेब्रापीन दवा देनी अनिवार्य है. लेकिन किसी भी सरकारी अस्पताल के लेबर रूम में यह दवा उपलब्ध नहीं है. जब पहचान छुपा कर महिलाएं अपना प्रसव करा लेती हैं तब आसीटीसी से संपर्क कर बच्चों को दवा उपलब्ध कराते हैं. एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं के वायरल लोड के अनुसार नवजात बच्चों को 45 दिनों तक नेब्रापीन दवा दी जाती है. 45 दिन के बाद बच्चों को कोट्रिमोक्साज़ोल दवा लगभग 18 महीने दी जाती है. यह भी दवा विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण एचआईवी संक्रमित महिलाओं को दवा बाजार से खरीदनी पड़ती है. क्या कहते हैं जिम्मेदार सरकारी अस्पतालों में एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जा रहा है. सदर अस्पताल में इस साल लगभग चार महिलाओं का प्रसव कराया गया है.सीवान में एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं का सिजेरियन करना संभव नहीं. सिजेरियन के बाद ओटी को स्टरलाइज्ड करने के लिए 24 घंटा बंद रखना पड़ता है.एक ओटी के कारण महिला को पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है. डॉ. अनिल कुमार सिंह, जिला एड्स नियंत्रण पदाधिकारी,सीवान.

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